कैसे काम करता है पैराशूट ?

कैसे काम करता है पैराशूट ?

 

पैराशूट का आविष्कार लगभग उसी समय हुआ था, जब गुब्बारे का आविष्कार हुआ था । पहली बार पैराशूट का प्रदर्शन 1783 में एक फ्रांसीसी नागरिक लुई सेबेस्तीन लेनोरमंड ने किया था। तब से लेकर अब तक पैराशूट के स्वरूप और इसके डिजाइन में काफी परिवर्तन आ चुका है। अब अलगअलग जरूरतों को ध्यान में रखते हुए अलग-अलग प्रकार के पैराशूट बनाए जाने लगे हैं। पैराशूट का प्रमुख उपयोग ऊंचाई वाले स्थानों या हवाई जहाज से व्यक्तियों तथा सामान को सुरक्षित जमीन पर उतारने के लिए किया जाता है । आइए, देखें कि पैराशूट कैसे काम करता है । गिरती हुई चीज पर दो बल एक साथ काम करते हैं – एक होता है, पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल और दूसरा है हवा का प्रतिरोध बल । गुरुत्वाकर्षण बल उस वस्तु को तेजी से नीचे की तरफ खींचता है और हवा का प्रतिरोध उसे गिरने से रोकता है । गिरने वाली चीज का वेग बढ़ने से हवा का प्रतिरोध भी बढ़ता जाता है । इससे गिरती हुई वस्तु उस वेग तक पहुंच जाती है, जिसे स्थिर अंतिम वेग या टर्मिनल वेलोसिटी कहा जाता है । वस्तु स्थिर हो जाती है और गिरना रुक जाता है। पैराशूट की छतरी काफी बड़ी होती है, इसलिए हवा का प्रतिरोध बढ़ जाता है और गिरने वाली वस्तु काफी धीरे-धीरे नीचे आती है।

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