नए चेहरों की भी होगी राजनीति में एंट्री, सरकार ने जेपीसी को गिनाए एकसाथ चुनाव कराने के फायदे

नए चेहरों की भी होगी राजनीति में एंट्री, सरकार ने जेपीसी को गिनाए एकसाथ चुनाव कराने के फायदे

देश में ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ को लेकर बहस लंबे समय से चल रही है। वहीं इस विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति के पास भेज दिया गया है। इससे संबंधित 129वां संविधान संशोधन विधेयक लोकसभा में पेश किया गया था। वहीं विपक्ष ने इसका जोरदार विरोध किया जिसके बाद बिल को जेपीसी के पास भेज दिया गया। वहीं केंद्रीय कानून मंत्रालय ने कहा है कि एक साथ विधानसभा और लोकसभा के चुनाव कराने से नए चेहरों और युवाओं के लिए राजनीति में आने के मौके बढ़ेंगे। मंत्रालय ने कहा कि राजनीति में कुछ ही नेताओं का एकाधिकार जैसा हो गया है। एक साथ चुनाव होने से इससे छुटकारा मिल सकता है।

कानून मंत्रालय ने जेपीसी में शामिल सांसदों के सवालों के जवाब दिए हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक ज्यादातर सवाल चुनाव आयोग से किए गए हैं। कानून मंत्रालय से पूछा गया कि क्या साथ में चुनाव कराने से संविधान के मूलभूत ढांचे पर कोई असर पड़ेगा। सरकार का कहना है कि एक राष्ट्र एक चुनाव की अवधारणा स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावया फिर संविधान के मूलभूत ढांचे के खिलाफ बिल्कुल नहीं है। इससे ना तो नागरिकों के अधिकारों का हनन होगा और ना ही चुनाव लड़ने का अधिकार प्रभावित होगा।

अपने दावों को मजबूत करने के लिए कानून मंत्रालय ने केशवानंद भारती केस, एसआर बोमई केस और इंदिरा गांधी बनाम राज नारायण केस का उदाहरण भी दिया। जेपीसी ने पूछा था कि साथ में चुनाव कराने से राजनीतिक प्रतिनिधित्व की विविधता पर असर पड़ेगा। वहीं सरकार का कहना है कि इससे नए लोगों के लिए अवसर बढ़ेंगे। मंत्रालय ने कहा कि इससे पार्टी के कार्यकर्ताओं को भी चुनाव लड़ने और राजनीति में कदम रखने का मौका मिलेगा।

सूत्रों ने यह भी बताया था कि विधि आयोग के पूर्व अध्यक्ष ऋतुराज अवस्थी, लोकपाल के न्यायिक सदस्य, वरिष्ठ अधिवक्ता और 2015 में एक संसदीय समिति का नेतृत्व करने वाले पूर्व कांग्रेस सांसद ईएम सुदर्शन नचियप्पन, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नेतृत्व वाली समिति के सचिव आईएएस अधिकारी नितेन चंद्र के भी समिति के साथ अपने विचार साझा करने की संभावना है। सोमवार यानी 25 फरवरी को संसदीय समिति की बैठक होने वाली है।

‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ पर मोदी सरकार द्वारा पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया था और इसने अपनी विशाल रिपोर्ट में इस अवधारणा की जोरदार पैरवी की है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने समिति की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया था। सरकार ने लोकसभा में दो विधेयक पेश किए, जिनमें संविधान में संशोधन का प्रावधान शामिल है।

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने भाजपा सांसद और पूर्व कानून राज्य मंत्री पीपी चौधरी की अध्यक्षता में संसद की 39 सदस्यीय संयुक्त समिति का गठन किया था। इस संसदीय समिति की अब तक दो बैठकें हो चुकी हैं, जिसमें उसने अपने एजेंडे का विस्तृत विवरण, हितधारकों और विशेषज्ञों की सूची तैयार की है। (भाषा से इनपुट्स के साथ)

Source – Hindustan

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