कविता
कोश
Jaankari Rakho
Large Radish
ठुकरा दो या प्यार करो - सुभद्राकुमारी चौहान
कविता
कोश
Jaankari Rakho
Large Radish
देव! तुम्हारे कई उपासक कई ढंग से आते हैं सेवा में बहुमूल्य भेंट वे कई रंग की लाते हैं
कविता
कोश
Jaankari Rakho
Large Radish
धूमधाम से साज-बाज से वे मंदिर में आते हैं मुक्तामणि बहुमुल्य वस्तुऐं लाकर तुम्हें चढ़ाते हैं
कविता
कोश
Jaankari Rakho
Large Radish
मैं ही हूँ गरीबिनी ऐसी जो कुछ साथ नहीं लायी फिर भी साहस कर मंदिर में पूजा करने चली आयी
कविता
कोश
Jaankari Rakho
Large Radish
धूप-दीप-नैवेद्य नहीं है झांकी का श्रृंगार नहीं हाय! गले में पहनाने को फूलों का भी हार नहीं
कविता
कोश
Jaankari Rakho
Large Radish
कैसे करूँ कीर्तन, मेरे स्वर में है माधुर्य नहीं मन का भाव प्रकट करने को वाणी में चातुर्य नहीं
कविता
कोश
Jaankari Rakho
Large Radish
पूजा और पुजापा प्रभुवर इसी पुजारिन को समझो दान-दक्षिणा और निछावर इसी भिखारिन को समझो
कविता
कोश
Jaankari Rakho
Large Radish
मैं उनमत्त प्रेम की प्यासी हृदय दिखाने आयी हूँ जो कुछ है, वह यही पास है, इसे चढ़ाने आयी हूँ
कविता
कोश
Jaankari Rakho
Large Radish
चरणों पर अर्पित है, इसको चाहो तो स्वीकार करो यह तो वस्तु तुम्हारी ही है ठुकरा दो या प्यार करो