अमरीश पूरी की संक्षिप्त जानकारी

 पहले स्क्रीन टेस्ट में फेल होने के बाद अमरीश पूरी इम्प्लॉइज स्टेट इन्श्योरेंस कॉरपोरेशन में काम करने लगे थे.

 22 साल के उम्र में अमरीश पुरी ने एक हीरो के रोल के लिए ऑडिशन दिया था. तब प्रोड्यूसर ने उनको ये कहते हुए खारिज कर दिया कि, “उनका चेहरा बड़ा पथरीला सा है”.

अमरीश पुरी ने अपने फ़िल्मी करियर की ‘शंततु! कोर्ट चालू आहे’ इस शुरुआत मराठी सिनेमा से की. 1967 में आई इस फिल्म में अमरीश ने एक अंधे का किरदार अदा किया था, जो रेलवे कम्पार्टमेंट में गाने गाता है.

 अमरीश पुरी को बॉलीवुड में पहला रोल 39 साल की उम्र में मिला था. सुनील दत्त और वहीदा रहमान स्टारर फिल्म ‘रेशमा और शेरा’ में उन्होंने रहमत खान नाम के शख्स का किरदार निभाया था.

अमरीश पुरी को हैट पहनने का खूब शौक था. उनके कलेक्शन में 200 से ज्यादा देसी-विदेशी हैट देखे जा सकते थे.

 90 के दशक में अमरीश पुरी फिल्म के हीरो से भी ज्यादा फीस लेते थे. क्योंकि एक विलेन के रूप में अमरीश पूरी ने खूब प्रसिद्धि हासिल की थी.

अमरीश पुरी हिंदी फिल्मों के सबसे महंगे विलेन थे. कहा जाता है कि एक फिल्म के लिए 1 करोड़ रुपये लेते थे.और अगर डायरेक्टर परिचित होता था तो फीस कुछ कम कर देते थे.

मनचाही फीस ना मिलने पर फिल्म छोड़ देते थे.

अमरीश पुरी और आमिर ने कभी साथ काम नहीं किया.

फिल्मों के ऑफर आने लगे तो अमरीश पुरी ने कर्मचारी राज्य बीमा निगम की अपनी करीब 21 साल की सरकारी नौकरी छोड़ दी थी.

अमरीश पुरी ने हिंदी के अलावामराठी, कन्नड़, पंजाबी, मलयालम, तेलुगू और तमिल फिल्मों तथा हॉलीवुड फिल्म में भीअपने अभिनय का लौहा मनवा चुके हैं.

अमरीश पूरी ने 1984 में आई स्टीवेन स्पीलबर्ग की फ़िल्म “इंडियाना जोन्स एंड द टेम्पल ऑफ़ डूम” (Indiana Jones and the Temple of Doom) में मोलाराम की भूमिका निभाई जो काफ़ी चर्चित रही.

अमरीश पूरी ने अपने फ़िल्मी करियर में कई आइकॉनिक विलेन के किरदार निभाए हैं. उन्होंने 1967 से 2005 तक 450 से अधिक फिल्मों में काम किया है. और उनकी अधिकतर फिल्में हिट रही हैं.

अमरीश पूरी के जीवन की आखरी फिल्म ‘किसना’ थी, जो उनके निधन के बाद वर्ष 2005 में रिलीज हुई थी.

अमरीश पुरी ने 12 जनवरी, 2005 को ब्रेन हेमरेज के चलते दुनिया को अलविदा कह दिया था.