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जिंदगी गुलामी में नहीं - नरेंद्र वर्मा

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जिंदगी गुलामी में नहीं, आजादी से जियो, लिमिट में नहीं अनलिमिटेड जिओ, कल जी लेंगे इस ख्याल में मत रहो, क्या पता आपका कल हो ना हो।

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कितनी दूर जाना है पता नहीं , कितनी दूर तक चलेगी पता नहीं, लेकिन कुछ ऐसा कर जाना है, तुम हो ना हो, फिर भी तुम रहो।

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कहीं धूप तो, कहीं छाव है, कहीं दुख तो, कहीं सुख है, हर घर की यही कहानी है, यह रीत पुरानी है।

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आज रात दुख वाली है तो कल दिवाली है, दुख-दर्द और खुशियों से भरी यही जिंदगानी है, तेरी मेरी यह कहानी निराली है, यह कहानी पुरानी है, लेकिन हर पन्ना नया है।

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आज रात दुख वाली है तो कल दिवाली है, दुख-दर्द और खुशियों से भरी यही जिंदगानी है, तेरी मेरी यह कहानी निराली है, यह कहानी पुरानी है, लेकिन हर पन्ना नया है।