औद्योगिकीकरण ने सिर्फ आर्थिक ढाँचे को ही प्रभावित नहीं किया बल्कि राजनैतिक परिवर्तन का भी मार्ग प्रशस्त किया, कैसे ?

औद्योगिकीकरण ने सिर्फ आर्थिक ढाँचे को ही प्रभावित नहीं किया बल्कि राजनैतिक परिवर्तन का भी मार्ग प्रशस्त किया, कैसे ?

उत्तर ⇒ औद्योगिकीकरण वास्तव में न सिर्फ आर्थिक ढाँचे को प्रभावित किया वरन इसने राजनैतिक परिवर्तन के मार्ग को भी प्रशस्त कर दिखाया। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत सरकार ने जहाँ एक तरफ कुटीर उद्योग को बढ़ावा दिया वहीं दूसरी तरफ औद्योगिकीकरण प्रक्रिया भी आगे बढ़ने लगी। अब रसायन एवं बिजली जैसे औद्योगिक क्षेत्रों का विस्तार होने लगा तथा विद्युत् इलेक्ट्रॉनिक एवं स्वचालित मशीनों का प्रयोग किया जाने लगा। उन्नीसवीं शताब्दी में ब्रिटेन की औद्योगिक नीति ने जिस तरह औपनिवेशिक शोषण की शुरुआत की, भारत में राष्ट्रवाद की नींव उसका प्रतिफल था। यही कारण था कि जब महात्मा गाँधी ने असहयोग आंदोलन की शुरुआत की तो राष्ट्रवादियों के साथ अहमदाबाद एवं खेड़ा मिल मजदूरों ने उनका साथ दिया। महात्मा गाँधी ने विदेशी वस्तुओं को बहिष्कार एवं स्वदेशी वस्तुओं को अपनाने पर बल डालते हुए कुटीर उद्योग को पुनर्जीवित करने का प्रयास किया तथा उपनिवेशवाद के खिलाफ उसका प्रयोग किया। पूरे भारत के मिलों में काम करनेवाले मजदूरों ने भारत छोड़ो आंदोलन में उनका साथ दिया। अतः औद्योगिकीकरण में जिसकी शुरुआत एक आर्थिक प्रक्रिया के तहत हुई थी, भारत में राजनैतिक एवं सामाजिक परिवर्तन का मार्ग प्रशस्त हुआ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *