चिन्तन प्रक्रिया से आप क्या समझते हैं ? चिन्तन प्रक्रिया को प्रदर्शित करने वाले किन्हीं तीन कार्य एवं तीन प्रश्नों का निर्माण कीजिए।
चिन्तन प्रक्रिया से आप क्या समझते हैं ? चिन्तन प्रक्रिया को प्रदर्शित करने वाले किन्हीं तीन कार्य एवं तीन प्रश्नों का निर्माण कीजिए।
अथवा
चिन्तन प्रक्रिया से क्या अभिप्राय है ? चिन्तन प्रक्रिया को सक्रिय बनाने वाले विभिन्न कार्य लिखिये।
उत्तर – चिन्तन प्रक्रिया – इसके लिए लघू. प्रश्न संख्या 11 का उत्तर देखें।
चिन्तन प्रक्रिया को प्रदर्शित करने वाले तीन कार्य एवं तीन प्रश्नों का निर्माण—
(1) गतिविधियों को सम्पन्न कराना – विद्यालय के अन्तर्गत शिक्षण में अध्यापक द्वारा विभिन्न प्रकार की गतिविधियों को कराना, प्रदर्शन एवं बच्चों को स्वयं इसके लिए प्रेरित करना आदि के सभी शैक्षिक कार्यनीतियाँ हैं। यह कार्य नीतियाँ बच्चों की अवधारणाओं की समझ को अधिक सुदृढ़ता प्रदान करती है। बच्चे इन कामों को करने से बड़े ही आनन्दित होते हैं, प्रोत्साहित होते हैं। इन कार्यों से उनमें अवलोकन करने तथा प्रायोगिक क्षमताओं को विकसित करने का अत्यधिक अवसर मिलता है। कोई भी गतिविधियों समूह में की जाती है जिसमें बालकों को सीखने का अवसर मिलता है। बालक इन गतिविधियों अथवा प्रदर्शन के माध्यम से जो कुछ सीखने का प्रयास करता है वह सदैव स्थायी होता है। अध्यापकों को इनमें कम से कम हस्तक्षेप करना चाहिए तथा बच्चों से ही समस्त कार्यों को करने के लिए अभिप्रेरित करना चाहिए ।
(2) प्रदर्शनी का आयोजन कराना – बालकों द्वारा सीखे गए ज्ञान की अभिव्यक्ति के लिए प्रदर्शनी का आयोजन आज सभी विद्यालयों के लिए आम बात हो गई है। प्रदर्शनी के माध्यम से बच्चे अपने विद्यालय में सीखे हुए ज्ञान के आधार पर प्रदर्शनी में अपने प्रदर्शन कौशल का उपयोग करता है। प्रदर्शनी विज्ञान, कला, साहित्य व सामाजिक विज्ञान आदि किसी भी विषय का हो सकता है। इसके द्वारा बालकों के क्रियात्मक और कौशलात्मक प्रवृत्ति को विकसित करने का अवसर प्रदान किया जाता है। इसके द्वारा वैज्ञानिक सोच को अधिकाधिक विकसित किया जा सकता है। प्रदर्शनी में स्वनिर्मित मॉडल, चार्ट, खिलौने, ग्राफ, परियोजना रिपोर्ट, गतिविधियाँ रिर्पोर्ट, सर्वे रिपोर्ट, नवीन वैज्ञानिक आविष्कार की वस्तुएँ को प्राथमिकता देकर बालकों की रचनात्मक प्रवृत्ति को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
(3) भ्रमण कराना-शैक्षिक गतिविधि के रूप में शैक्षिक प्रमाण या क्षेत्रीय भ्रमण कराना आधुनिक शिक्षा व्यवस्था का एक आवश्यक अंग बन चुका है। इस कार्य का उद्देश्य कक्षा-कक्ष के बाहर इन अनुभवों की बालकों में आरोपित करना होता है जो कक्षा-कक्ष में नहीं दिए जा सकते हैं। यह बच्चों की अवलोकन, प्रेक्षण, आँकड़े इकट्ठे करने, सम्प्रेषण करने आदि की क्षमता को विकसित करने में सहायक होते हैं साथ ही बच्चों की अवधारणाओं को वास्तविक जीवन तथा पर्यावरण से सम्बन्ध स्थापित करने में सहायक होते हैं। इससे यह जरूरी नहीं है कि क्षेत्रीय भ्रमण किसी दूरस्थ स्थानों का ही किया जाए बल्कि किसी नजदीक के स्थानों, उद्यानों, झीलों, नदियों, बाँधों आदि का भी किया जा सकता है जहाँ बालकों को प्राकृतिक वातावरण में नवीन अवधारणाओं से जुड़ने का अवसर प्राप्त हो सके और वह कुछ नवीन बातों को सीख सकें।
बालकों को सक्रिय बनाने हेतु शिक्षकों द्वारा पूछे जाने वाले प्रश्न ( Questions Asked by Teachers to Make Children Active) — शिक्षक द्वारा बालकों से जो प्रश्न पूछे जाते हैं वो महत्त्वपूर्ण होने चाहिए पाठ्यपुस्तक पर आधारित होने चाहिए, विषयवस्तु से होने चाहिए और बालक के ज्ञान को विकसित करने वाले होने चाहिये। ये प्रश्न अध्यापक और विद्यार्थी के बीच शिक्षण अधिगम प्रक्रिया के दौरान वार्तालाप स्थापित करने तथा विद्यार्थी के आंकलन करने में सहायक होते हैं। सामान्यतः जिस-जिस भी प्रकार के प्रश्न करते है जो कि तथ्य आधारित अथवा शिक्षण के दौरान बताई गई विषय वस्तु से सम्बन्धित होते हैं। ऐसे प्रश्नों के उत्तर देने के लिए बच्चों को अपने स्मरण शक्ति, तत्परता और वास्तविक तथ्यों की जानकारी से अपने आपको जोड़ कर देना पड़ता है। इसमें बच्चों की निर्णय क्षमता और हाजिर जबाबों का सम्पूर्ण मिश्रण होता है। शिक्षकों का दायित्व भी बनता है कि वे बच्चों से इस प्रकार प्रश्न पूछे जो जाँच द्वारा खोजबीन के साथ-साथ विशिष्ट क्षमताओं को भी विकसित करे। इससे छात्रों में हस्तकौशल के साथसाथ अवलोकन, निष्कर्ष निकालना, व्याख्या करना, अभिव्यक्त करना आदि पर आधारित प्रश्न करने पर छात्रों के विभिन्न क्षमताओं का विकास सम्भव हो सकेगा।
इससे स्पष्ट होता है कि शिक्षक के द्वारा पूछे गए विभिन्न प्रकार के प्रश्न कक्षा में शिक्षण अधिगम प्रक्रिया पर निर्भर करते हैं। साथ ही सभी प्रकार के प्रश्न पूछना, प्रश्नों पर चर्चा करना, टिप्पणी देना, प्रतिक्रिया देना, छात्र को जाँच-पड़ताल के लिए प्रेरित करना व अन्य विभिन्न कौशलों को विकसित करना महत्त्वपूर्ण होता है। अत: कक्षा-कक्ष में होने वाली विभिन्न प्रकार की गतिविधियों में एक ओर प्रश्नों का वर्गीकरण तो दूसरी ओर उन प्रश्नों के उत्तर को खोजना है जो विद्यार्थियों को सम्बन्धित परीक्षण व अपने क्रिया कौशलों के उपयोग के लिए प्रोत्साहित कर
प्रश्नों के लिए कार्य नीति (Strategy For Questions ) — कक्षा-कक्ष अधिगम में सूचनात्मक प्रश्न उच्च स्तर की सोच विकसित नहीं कर सकते हैं। सूचनात्मक प्रश्नों को प्राप्त कर बच्चे इसे ठीक उसी प्रकार हस्तान्तरित कर देते हैं। इन उत्तरों के तर्क और वैज्ञानिकता पर कभी विचार नहीं करते किन्तु व्यावहारिक प्रश्नों के उत्तर देने के लिए बच्चों को अपनी आवश्यकताओं, अवधारणाओं, अनुभवों, क्रिया-कौशलों और क्षमताओं आदि का उपयोग करने की आवश्यकता होती है। अतः अध्यापक को बच्चों में उच्च स्तर की सोच विकसित करने के लिए उपर्युक्त प्रकार के प्रश्न करने की आवश्यकता होती है। अध्यापक को सदैव ऐसे प्रश्न पूछने चाहिए जो बच्चों के पूर्व ज्ञान और नवीन ज्ञान के बीच सेतु का काम कर सकें।
विभिन्न उद्देश्यों की पूर्ति के लिए प्रश्नों की बनावट— p
( 1 ) पूर्व ज्ञान के उपयोग पर आधारित प्रश्न
(i) घर्षण गति को अवरुद्ध करता है ऐसा क्यों मानते हैं ?
(ii) घास पर गतिमान वस्तु रुक जाती है, आप क्या निष्कर्ष निकालने हैं और क्यों ?
(2) समस्या समाधान पर आधारित प्रश्न—
(i) पानी शुद्ध है कि नहीं यह जानने के लिए आप क्या करेंगे?
(ii) बिजली अनापूर्ति के उपरान्त भी मीटर में रीडिंग आने पर आप क्या करेंगे ?
(iii) किसी व्यक्ति कें जलने, चोट लगने, उँगली कटने, खून बहने की स्थिति में आप क्या करेंगे ?
( 3 ) घटना, अवलोकन पर आधारित प्रश्न—
(i) आप इन्द्र धनुष में रंगों का क्रम किस प्रकार देखते हैं ?
(ii) प्रदूषित खाना और स्वास्थ्य में क्या सम्बन्ध है ?
(iii) न्यूटन की चकती को घुमाने पर वह सफेद क्यों दिखाई देती है, इससे आपको क्या पता लगता है ?
(4) एक प्रश्न के अधिक उत्तर होने की स्थिति में प्रश्न—
(i) जल प्रदूषित होने के क्या कारण होते हैं ?
(ii) प्रदूषण क्यों होता है ?
(iii) मिट्टी में बीज के अंकुरित न होने के क्या कारण है।
(iv) अतिवृष्टि के क्या कारण हो सकते हैं?
उपर्युक्त समस्या पर आधारित प्रश्नों के अवलोकन से स्पष्ट होता है कि विभिन्न प्रकार के प्रश्न विभिन्न उद्देश्यों की पूर्ति करते हैं। ऐसे प्रश्नों के उत्तर देने में छात्र के विभिन्न कौशलों का विकास होता है।
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