धार्मिक ज्ञान से आपका क्या अभिप्राय है ? अथवा धार्मिक ज्ञान पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये ।
धार्मिक ज्ञान से आपका क्या अभिप्राय है ? अथवा धार्मिक ज्ञान पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये ।
उत्तर – धार्मिक ज्ञान का स्वरूप बहुत ही ग्रन्थों में संहिताबद्ध होता है। धर्म ग्रन्थों में वर्णित ज्ञान ही धार्मिक ज्ञान के रूप में प्रयुक्त किया जाता है। यह ज्ञान धर्म विशेष के व्यक्तियों की जीवन पद्धति को निर्धारित करता है। धर्म ग्रन्थों की प्रामाणिकता सिद्ध करने के लिए प्रायः यह कहते हैं कि इनके वचन तथा शब्द स्वयं पैगम्बरों के द्वारा सुने गये हैं, बाहरी कानों से नहीं अपितु अंतरात्मा से । पारम्परिक समाज के क्रियाकलाप इसी ज्ञान से किये जाते हैं । हिन्दुओं के लिये वेद, मुसलमानों के लिये कुरान शरीफ, ईसाइयों के लिये बाइबिल, सिक्खों के लिये गुरु ग्रन्थ साहिब धार्मिक ज्ञान के स्रोत है। यह ज्ञान नया न होकर परम्परागत एवं सर्वमान्य होता है। धार्मिक व्यक्ति इस ज्ञान के संशय नहीं रखते।
धार्मिक ज्ञान से मनुष्य में सहिष्णुता, शिष्टाचार, आत्मीयता, समानता, सहानुभूति, बंधुत्व के गुणों का संचार होता है जिनसे सेवा और त्याग की भावना पैदा होती है जिससे मनुष्य के व्यक्तित्व एवं चरित्र का विकास होता है।+
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