ध्वनि प्रदूषण से आप क्या समझते हैं ? ध्वनि प्रदूषण के कारणों का उल्लेख कीजिए ।
ध्वनि प्रदूषण से आप क्या समझते हैं ? ध्वनि प्रदूषण के कारणों का उल्लेख कीजिए ।
अथवा
ध्वनि प्रदूषण के मुख्य कारक कौन से हैं ? मानव पर ध्वनि प्रदूषण के दुष्प्रभावों की विवेचना कीजिए।
अथवा
ध्वनि प्रदूषण के विभिन्न स्त्रोत कौन-कौनसे हैं ?
उत्तर— ध्वनि प्रदूषण (Noise Pollution ) – विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, “कोई भी अवांछित और अप्रिय ध्वनि ही शोर है । ” ऐसी ध्वनि जो मानसिक क्रियाओं में बाधा डालती है, शोर कहलाती है सामान्य से अधिक ऊँची आवाज / ध्वनि को शोर कहा जाता है । मोटरसाइकिलों, स्कूटरों, बसों, वायुयानों, मशीनों के चलने एवं हॉर्न द्वारा अत्यधिक तीव्र ध्वनियाँ उत्पन्न होती हैं जो शोर प्रदूषण का कारण बनती है ।
ध्वनि प्रदूषण के कारण (Causes of Noise Pollution) – मनुष्य की विभिन्न क्रियाओं— मोटर वाहन, रेल, वायुयान, कारखानों, लाउड-स्पीकर, उत्सव, बैण्ड-बाजा, कूलर, प्रेशर कूकर, रेडियो, टेलीविजन, म्यूजिक सिस्टम आदि सभी के द्वारा शोर उत्पन्न होता है जिससे शोर प्रदूषण या ध्वनि प्रदूषण होता है।
ध्वनि प्रदूषण के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं—
(1) यातायात के साधन (Means of Transport)—आजकल यातायात के विभिन्न साधन उपलब्ध हैं। जिनसे हम दिनों व महीनों की दूरी केवल कुछ ही घण्टों में तय कर लेते हैं। इन साधनों में से शोर प्रदूषण के लिए सबसे अधिक दोषी हैं—वायुयान, जेट विमान, सुपर सोनिक विमान आदि। जेट विमान 150dB तक ध्वनि उत्पन्न करते हैं एवं ये विमान पृथ्वी के वायुमण्डल में उपस्थित सुरक्षात्मक ओजोन परत को भी हानि पहुँचाते हैं। यातायात के अन्य साधन मोटर साइकिल, कार, स्कूटर, टक, बस, जीप, रेलगाड़ी आदि भी शोर प्रदूषण का मुख्य कारण है।
(2) औद्योगिककरण (Industrialisation) — विभिन्न उद्योगों में कार्यों को सरलता तथा शीघ्रता से करने के लिए मशीनों का प्रयोग किया जाता है। वे मशीनें जो मनुष्य की सहायक हैं अपने ही शोर से अप्रत्यक्ष रूप से उसके स्वास्थ्य को हानि पहुँचाती हैं। शोर प्रदूषण को रोकने सम्बन्धी अन्तर्राष्ट्रीय संस्था के प्रो. लेहमान (Prof. Lehman) के अनुसार, “शोर प्रौद्योगिकी की प्रगति का नहीं, अपितु उसकी प्रतिगति का प्रतीक है।” अधिकांश उद्योगों में ध्वनि की तीव्रता 120dB या उससे भी अधिक होती है, जिससे शोर प्रदूषण होता है।
(3) उत्सव पर्व (Festivals Celebrations) – आधुनिक युग में भौतिकवाद हम पर हावी हो रहा है और प्रत्येक खुशी के अवसर पर हम पार्टी करके अपनी खुशी व्यक्त कर सकते हैं। ऐसे व्यक्तिगत और सामाजिक उत्सवों पर लाउडस्पीकर का प्रयोग किया जाता है जिससे शोर प्रदूषण होता है । विभिन्न धार्मिक उत्सवों पर जागरण-कीर्तन करने से भी शोर प्रदूषण होता है ।
(4) पाश्चात्य संगीत (Western Music) – वैश्वीकरण और उदारीकरण के परिणामस्वरूप पाश्चात्य संस्कृति भी हमारे देश पर प्रभाव डाल रहा है। आज के युवा पाश्चात्य संगीत के दीवाने हैं और डिस्को, पब, बार, डाँस पार्टी डीजे आदि में तेज आवाज के संगीत पर थिरकना पसन्द करते हैं। ऐसे कानफोडू संगीत से न केवल आसपास के लोगों को परेशानी होती है बल्कि तनाव भी बढ़ता है ।
ध्वनि/शोर प्रदूषण के प्रभाव (Effects of Noise Pollution) अत्यधिक शोर मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। मनुष्य को 115db में 15 मिनट, 110dB में आधा घण्टा से अधिक समय तक नहीं रहना चाहिए । वैज्ञानिकों ने विभिन्न प्रयोगों के आधार पर यह सिद्ध किया है कि 30dB की ध्वनि में नींद टल जाती है, 75dB से टेलीफोन पर बातचीत में बाधा होती है। 90dB से नींद में सोया हुआ व्यक्ति जाग जाता है और 120dB पर चक्कर आने लगते हैं। शोर प्रदूषण के मुख्य प्रभाव निम्नलिखित है—
(1) बुढ़ापा (Ageing) — ऑस्ट्रिया के ध्वनि वैज्ञानिक डॉ. ग्रिफिथ ने यह स्पष्ट किया है कि अत्यधिक शोर में रहने वाले लोग जल्दी बूढ़े हो जाते हैं। उनके चेहरे पर जल्दी झुर्रियाँ उभर आती हैं और वे जल्दी थकान अनुभव करते हैं ।
(2) गर्भस्थ शिशुओं पर प्रभाव (Effects on Foetus ) – ध्वनि प्रदूषण गर्भस्थ शिशुओं और गर्भवती स्त्रियों को भी बुरी तरह प्रभावित करता है। इससे गर्भस्थ शारीरिक रूप से विकृत या मानसिक रूप से विक्षिप्त हो सकते हैं और यहाँ तक कि उनकी मृत्यु भी हो सकती है।
(3) बातचीत में कठिनाई (Interference with Speech) – शोर प्रदूषण के कारण बातचीत में कठिनाई होती है। इससे सम्प्रेषण में बाधा उत्पन्न होती है।
(4) सुनने की क्षमता पर प्रभाव (Effect on Hearing Ability) – शोर से मनुष्य की सुनने की क्षमता प्रभावित होती है। 80dB से अधिक ध्वनि से श्रवण इन्द्रियों पर प्रतिकूल प्रभाव होना आरम्भ हो जाता है। 120dB या इससे अधिक ध्वनि से व्यक्ति बहरा हो सकता है और उसके कान के पर्दे फट सकते हैं।
(5) शारीरिक प्रभाव (Physical Effects) – शोर प्रदूषण अनेक शारीरिक रोगों का कारण बनता है। अत्यधिक शोर कानों को तो प्रभावित करता ही है इससे उच्च रक्तचाप और हृदय सम्बन्धी रोग भी हो जाते हैं। तेज ध्वनि के कारण रक्तवाहिकाओं पर दबाव डालने लगता है। इससे रक्त में कार्टिसोन तथा कोलस्टोल का स्तर बढ़ जाता है जिससे रक्तचाप में बढ़ोतरी हो जाती है। हृदय की धड़कन तेज हो जाती है और हृदय रोगों की संभावना बढ़ जाती है ।
(6) मानसिक रोग (Mental Diseases) – शोर प्रदूषण अनेक मानसिक रोगों का कारण भी है, क्योंकि इससे हमारे तन्त्रिका तन्त्र पर बुरा प्रभाव पड़ता है। शोर से हारपरटेंशन हो सकता है, जिससे मस्तिष्क रोग, अनिद्रा, कुण्ठा आदि हो सकते हैं। इससे स्वभाव में चिड़चिड़ापन आदि भी देखा जाता है ।
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