पूर्वाग्रह निर्माण के मनोवैज्ञानिक कारकों का वर्णन कीजिए।
पूर्वाग्रह निर्माण के मनोवैज्ञानिक कारकों का वर्णन कीजिए।
अथवा
पूर्वाग्रह निर्माण के सहायक कारकों का उल्लेख कीजिये।
उत्तर— पूर्वाग्रह निर्माण के मनोवैज्ञानिक कारक – पूर्वाग्रह के निर्माण में कुछ मनोवैज्ञानिक तत्व भी सम्मिलित होते हैं इनका ढाख निम्न प्रकार है—
(1) कुण्ठा एवं आक्रामकता – कुण्ठा से भी पूर्वाग्रह की उत्पत्ति होती है। इसका आधार आक्रामकता है। जब व्यक्ति कोई लक्ष्य रखता है लेकिन वह बाधाओं के कारण उस लक्ष्य पर नहीं पहुँच पाता है तो उसमें कुण्ठा उत्पन्न हो जाती है। जिससे वह आक्रामक हो जाता है एवं वह अपनी आक्रामकता और बैर भाव एक कमजोर स्रोत की ओर विस्थापित कर लेता है अर्थात् उसके प्रति अधिक पूर्वाग्रही बन जाता है। उदाहरण के लिए- कुण्ठा के कारण ही आज सामान्यवर्ग आरक्षित वर्ग के प्रति अधिक पूर्वाग्रही है। कुण्ठा के कारण ही बालक सड़क के बल्ब तोड़ देता है, कारों के कांच तोड़ देता है। इस तरह उसकी यह मनोवृत्ति पूर्वाग्रह को जन्म देती है।
(2) असुरक्षा और चिन्ता – व्यक्ति में पूर्वाग्रह असुरक्षा एवं चिन्ता की भावना से भी विकसित होती है। असुरक्षा की भावना एवं चिन्ता की भावना उस व्यक्ति में ज्यादा होती है जो बेरोजगार होता है या जिसका सामाजिक-आर्थिक स्तर निम्न होता है अथवा जिसे पारिवारिक प्रेम नहीं मिल पाता है। ऐसे व्यक्ति अन्य व्यक्तियों या अन्य समूहों के प्रति अस्पष्ट विचार विकसित कर लेते हैं जिसके फलस्वरूप उनमें पूर्वाग्रह जन्म लेता है उदाहरण के लिए अध्ययन में पाया गया कि एकाकी जीवन असुरक्षा तथा चिन्ता उत्पन्न करता है जिससे पूर्वाग्रह की प्रवृत्ति जन्म लेती है
(3) अधिकारवादी व्यक्तित्व–अधिकारवादी शील गुण वाले व्यक्तियों में (जैसे—दृढ़ता, आत्मविश्वास, दण्डात्मकता, सकारात्मकता गुण वाले) कमजोर शील गुण वालों के प्रति पूर्वाग्रह ज्यादा होता है । जिन अधिकारवादी व्यक्तियों को बचपन में कठोर अनुशासन में रहने का प्रशिक्षण मिला हो तो वह अपने माता-पिता से खुश नहीं रहते हैं लेकिन वह अपना बैर भाव माता पिता से नहीं करके बाह्य समूहों के प्रति नकारात्मक मनोवृत्ति दिखाकर करते हैं जिसके फलस्वरूप नकारात्मक पूर्वाग्रह का निर्माण होता है। विशेषकर उनका पूर्वाग्रह वृद्धों पर ज्यादा होता है। उदाहरण के लिए – एक बालक को अपने माता-पिता का प्यार नहीं मिल पाता था जिससे वह उस बालक की अपेक्षा अकारण अधिक पिटता था जिसके माता-पिता उसे बहुत प्यार करते थे ।
(4) सामाजिक मापदण्ड–पूर्वधारणाओं के विकास में अनेक सामाजिक मापदण्ड बहुत महत्त्वपूर्ण होते हैं। उदाहरण के लिएदक्षिणी अफ्रीका के गोरे लोग काली जाति के लोगों के प्रति बहुत अधिक प्रतिकूल भावना रखते हैं जबकि फ्रांस के स्केण्डिनेविया, रूस के निवासी बहुत कम ऐसी मनोवृत्ति रखते हैं। इस तरह विभिन्न राष्ट्र के निवासी रंग भेद के प्रति विभिन्न मात्रा में पूर्वधारणा रखते हैं। हमारे देश में भी यही स्थिति है जहाँ प्रत्येक जाति के लोग एक दूसरे से मिलते जुलते रहते हैं उनमें अपने से भिन्न समूह या जातियों के प्रति अधिक पूर्वाग्रह नहीं पाया जाता है।
(5) विभेद –पूर्वाग्रह का निर्माण बाल्यकाल से ही हो जाता है। बाल्यकाल में बालक बिना किसी प्रकार का भेदभाव रखकर खेलते हैं। वह जिसके साथ खेलते हैं वह किसी भी जाति, धर्म, भाषा बोलने वाला हो सकता है लेकिन जैसे-जैसे बड़े होते जाते हैं वैसे-वैसे उनमें विभेद की भावना बढ़ती है फलस्वरूप वह दूसरे समूह के बालकों से अपने को अलग रखने लगता है।
(6) विफलता –कभी-कभी विफलता की भावना भी पूर्वधारणाओं को विकसित कर लेती है; जैसे—किसी गांव में किसान निर्धन हैं एवं बनिए धनवान हैं। फलस्वरूप वह अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं कर पाते हैं। फलतः उनमें विफलता का भाव बढ़ जाता है और वे बनिए के प्रति अधिक पूर्वाग्रही हो जाते हैं तथा डाकू बनकर लूटमार प्रारम्भ कर देते हैं।
(7) असामान्य व्यक्तित्व–असामान्य व्यक्तित्व से अभिप्राय है मानसिक रोगग्रस्त व्यक्ति । मानसिक रूप से जो व्यक्ति रोगी होता है, वह असामाजिक तथा हिंसक व्यवहार पूर्वाग्रह के आधार पर करने लगता है।
(8) शारीरिक विशेषताएँ– कई जाति समूहों या राष्ट्र समूहों इत्यादि में कुछ शारीरिक विशेषताएँ होती हैं जिसके फलस्वरूप पूर्वाग्रह का निर्माण हो जाता है। जैसे किसी व्यक्ति को हम देखकर कह सकते हैं कि अमुक व्यक्ति मुसलमान लगता है या सिक्ख लगता है। रंग रूप के साथ-साथ कुछ सांस्कृतिक अन्तर भी है जो विभिन्नता को स्पष्ट करते हैं; जैसे—हिन्दू, मुसलमानों, ईसाइयों या सिक्खों की वेशभूषा में अन्तर होता है। इसी तरह सिर पर तिलक देखकर कह सकते हैं कि वह हिन्दू है। इसी प्रकार साड़ी पहने स्त्री को देखकर कह सकते हैं कि वह हिन्दू नारी है। सलवार कुर्ता पहने स्त्री को देखकर कह सकते हैं कि यह मुसलमान या सिक्ख है। बालक इस अन्तर को बचपन से देखते हैं अतः अपने समूह तथा दूसरे समूह में विभेद करना सीख लेते हैं। इस तरह उनका पूर्वाग्रह विकसित हो जाता है।
(9) आत्मसम्मान– पूर्वाग्रह के निर्माण में आत्मसम्मान की भावना भी बहुत महत्वपूर्ण होती है। व्यक्ति को आत्मसम्मान सबसे ज्यादा प्यारा होता है। फलतः वह अपने को दूसरों से ऊंचा प्रदर्शित करना चाहता है। जब वह ऐसा नहीं कर पाता है तो पूर्वाग्रह निर्मित कर लेता है। जैसे— उच्चवर्ग के लोग निम्नवर्ग के व्यक्तियों से अपने को श्रेष्ठ समझते हैं।
प्रत्येक व्यक्ति सामाजिक प्रतिष्ठा चाहता है फलस्वरूप वह समाज के आदर्शों, परम्पराओं, रीतिरिवाजों, अंधविश्वासों इत्यादि को अपना लेता है।
हमसे जुड़ें, हमें फॉलो करे ..
- Telegram ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
- Facebook पर फॉलो करे – Click Here
- Facebook ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
- Google News ज्वाइन करे – Click Here