फ्लाईंग शटल के व्यवहार का हथकरघा उद्योग पर क्या प्रभाव पड़ा ?
फ्लाईंग शटल के व्यवहार का हथकरघा उद्योग पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर ⇒ फ्लाईंग शटल से जहाँ एक ओर उत्पादन में वृद्धि हुई वहीं कारीगरों की संख्या में कमी लाकर भी बचत किया गया। इससे बुनकरों को दोगुना लाभ हुआ। फ्लाईंग शटल का व्यवहार हथकरघा उद्योग में तेजी से बढ़ने लगा। 1941 तक 35 प्रतिशत से अधिक हथकरघे पलाईंग शटल द्वारा संचालित होने लगे। त्रावनकोर, मैसूर, कोचीन, बंगाल में हथकरघा उद्योग में फ्लाईंग शटल का व्यवहार 70-80 प्रतिशत तक होने लगा। ये क्षेत्र हथकरघा उद्योग के केंद्र बन गए जहाँ बड़े स्तर पर उत्पादन किया जाने लगा। बढ़े हुए उत्पादन के आधार पर हथकरघा उद्योग मिलों में उत्पादित वस्त्र का मुकाबला करने की स्थिति में आ गया।