महिलाओं के लिए आरक्षण पर टिप्पणी लिखिए।
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उत्तर— महिलाओं के लिए आरक्षण – परम्परागत रूप से भारतीय महिला सदियों से घरों की चार दीवारी में कैद रही है । वैश्वीकरण के इस तेज युग में जहाँ पश्चिमी व पूर्वी देशों में महिलाएँ सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक क्षेत्रों में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही हैं, वहीं भारतीय महिला सामाजिक व धार्मिक कारणों से खुलकर न तो अपनी क्षमताओं का विकास कर पाई है और न ही भारतीय पुरुष प्रधान मानसिकता ने उसे उसके व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास के अवसर प्रदान किए है। विगत 70 वर्षों में भारत में महिला शिक्षा के क्षेत्र में प्रगति तो अवश्य हुई है, परन्तु रोजगार प्राप्त करने, उद्योगों में व्यवसाय करने व राजनीतिक क्षेत्रों में काम करने के पर्याप्त अवसर भारतीय महिलाओं को अभी तक नहीं मिल सके हैं। जब तक भारतीय महिलाओं की सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक स्थिति पुरुषों के समतुल्य नहीं हो जाती तब तक न तो देश की वास्तविक तरक्की संभव है और न ही महिलाओं की प्रगति। ऐसी स्थिति में यह आवश्यक हो जाता है कि उन्हें सभी क्षेत्रों में वे सभी विशेष सुविधाएँ उपलब्ध करायी जाए जिन्हें प्राप्त कर वे शक्ति और सामर्थ्य में पुरुषों के बराबर पहुँच जाए। वर्तमान में सरकारी नौकरियों में कई राज्यों में महिलाओं के लिए पद आरक्षित हैं। अब भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना भी महिलाओं को आंशिक कमीशन के द्वारा नियोजित कर रही है। अन्य सरकारी नौकरियों में भी महिलाओं का प्रतिशत तदन्तर बढ़ रहा हैं। लेकिन पुरुषों की तुलना में सभी क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी अत्यन्त अल्प है।
पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं को आरक्षण – महिलाओं का समुचित विकास हो सके एवं वे सक्रिय रूप से स्थानीय स्वशासन की गतिविधियों में भाग ले सकें इस प्रयोजनार्थ भारतीय संविधान के 73वें एवं 74वें संवैधानिक संशोधन द्वारा पंचायती राज संस्थाओं में 1/3 पद सभी श्रेणियों में महिलाओं के लिए आरक्षित कर दिए गए हैं। इस प्रावधान से पंचायती राज संस्थानों में महिलाओं की उल्लेखनीय रूप से भागीदारी बढ़ी है जिससे न केवल उनका सामाजिक व राजनीतिक सशक्तीकरण हुआ है अपितु उन्होंने पंचायतीराज संस्थाओं के माध्यम से विकास के कार्यों में भी सक्रिय भूमिका अदा की है। अधिकांश महिला निर्वाचित प्रतिनिधियों ने ग्रामसभा व पंचायत की गतिविधियों में सक्रिय भागीदारी की है। अब आरक्षण के फलस्वरूप भारत में पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं की भागीदारी ने 42.3 प्रतिशत के आँकड़े को पार कर दिया है।
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