राष्ट्रवाद के उदय का यूरोप और विश्व पर क्या प्रभाव पड़ा ?

राष्ट्रवाद के उदय का यूरोप और विश्व पर क्या प्रभाव पड़ा ?

उत्तर ⇒ 18वीं-19वीं शताब्दी में यूरोप में जिस राष्ट्रवाद की लहर चली गई व्यापक और दूरगामी प्रभाव न केवल यूरोप पर वरन् पूरे विश्व पर पड़ा जो निम्नलिखित

(i) राष्ट्रीयता की भावना से ही प्रेरित होकर अनेक राष्ट्रों में क्रांतियाँ और आंदोलन हए जिसके परिणामस्वरूप अनेक नये राष्ट्रों का उदय हुआ। इटली और जर्मनी का एकीकरण भी राष्ट्रवाद के उदय का ही परिणाम था।

(ii) राष्ट्रवाद के विकास का प्रभाव एशिया और अफ्रीका में भी देखने को मिला। यूरोपीय उपनिवेशों के आधिपत्य के विरुद्ध वहाँ भी औपनिवेशिक शासन से मुक्ति के लिए राष्ट्रीय आंदोलन आरंभ हो गए।

(iii) भारतीय राष्ट्रवादी भी यूरोपीय राष्ट्रवाद से प्रभावित हए। पैसूर के टीपू सलतान ने फ्रांसीसी क्रांति से प्रभावित होकर जैकोबिन क्लब की स्थापना की एवं स्वयं इसका सदस्य भी बना।

(iv) धर्मसुधार आंदोलन के भारतीय नेताओं ने भी राष्ट्रवादी भावनाओं से प्रभावित होकर राष्ट्रीय आंदोलनों को अपना समर्थन दिया।

(v) राष्ट्रवाद के विकास ने यूरोप में प्रतिक्रियावादी शक्तियों और निरंकुश शासकों के प्रभाव को कमजोर कर दिया।

(vi) राष्ट्रवाद के विकास का कुछ नकारात्मक प्रभाव भी पड़ा। 19वीं सदी के उत्तरार्द्ध से राष्ट्रवाद ‘संकीर्ण राष्ट्रवाद’ में बदल गया। प्रत्येक राष्ट्र अपने राष्ट्रीय हित की दुहाई देकर उचित-अनुचित सब कार्य करने लगे।

(vii) राष्ट्रवाद के उदय ने साम्राज्यवादी प्रवृत्ति को बढ़ावा दिया। इस साम्राज्यवादी प्रवृत्ति के कारण ही ऑटोमन साम्राज्य ध्वस्त हुआ और पूरा बाल्कन क्षेत्र युद्ध का अखाड़ा बन गया।

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