विराम चिह्न क्या है ? परिभाषित कीजिए । विराम चिह्न की वाक्यों में क्या उपयोगिता है ?
विराम चिह्न क्या है ? परिभाषित कीजिए । विराम चिह्न की वाक्यों में क्या उपयोगिता है ?
अथवा
विराम चिह्न किसे कहते हैं ? स्पष्ट करते हुए किन्हीं 5 विराम चिह्नों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर— विराम चिह्न—“शब्दों तथा वाक्यों का परस्पर सम्बन्ध बताने तथा विषय को भिन्न-भिन्न भागों में बाँटने और पढ़ने में यथास्थान रुकने के लिये लेखन में जिन चिह्नों का प्रयोग किया जाता है, उन्हें विराम-चिह्न कहते हैं । “
प्रयोजन—विराम-चिह्नों के द्वारा किसी शब्द, वाक्यांश या वाक्य के पश्चात् क्षणिक या कुछ क्षणों के लिए विराम लेते हैं। इसके निम्न प्रयोजन हो सकते हैं—
(i) मौखिक अभिव्यक्ति के समय हम अपनी वाणी में आरोहअवरोह या बलाघात ला सकें। ऐसा करने से मालूम हो जायेगा कि हम हर्ष प्रकट कर रहे हैं, शोक प्रकट कर रहे हैं, आश्चर्य प्रकट कर रहे हैं, प्रश्न पूछ रहे हैं, सम्बोधित कर रहे हैं, आदेश दे रहें हैं अथवा साधारण बातचीत कर रहे हैं ।
(ii) लिखित अभिव्यक्ति के समय हम अपनी भावाभिव्यक्ति तथा अर्थग्राह्यता में स्पष्टता और सरलता ला सकते हैं। पाठक उपयुक्त स्थलों पर विराम लेता हुआ, लेखक के भावों को सुगमतापूर्वक हृदयंगम करता हुआ आगे-आगे बढ़ता जाता है।
(1) पूर्ण विराम (।) या (.)
जब वाक्य पूरा हो जाता है तो वाक्य के अन्त में पूर्ण विराम का प्रयोग किया जाता है। वाक्य के लम्बे या छोटे होने से कोई अन्तर नहीं पड़ता, यथा—
(i) “सोमवार को सायं 5 बजे, पटेल उद्यान में, एक सार्वजनिक सभा में श्री अटलबिहारी वाजपेयी का भाषण होगा।”
(ii) “राम वन गए।”
(2) अर्द्ध विराम ( 😉
जब किसी वाक्य में अर्द्ध विराम लगा होता है, तो पूर्ण विराम की अपेक्षा कम परन्तु अल्प-विराम की अपेक्षा अधिक विराम लेते हैं इसका प्रयोग निम्न स्थलों पर होता है—
(i) संयुक्त या मिश्रित वाक्य में विपरीत अर्थ प्रकट करने वाले उपवाक्यों के मध्य में, यथा–
“उन पर आक्रमण किया गया; उन्हें गालियाँ दी गई; उन्हें विष दिया गया; परन्तु फिर भी स्वामी दयानन्द के स्नेह में किसी भी प्रकार की न्यूनता न आई । “
(ii) संयुक्त वाक्य के प्रधान अथवा मुख्य उपवाक्यों के जब आप में विशेष सम्बन्ध नहीं रहता तो उन्हें अलग करने के लिए; जैसे–
“भारतीय प्रशासकों को इतना मालूम होना चाहिए कि आज की दुनिया में कोई किसी का स्थायी मित्र या शत्रु नहीं होता, आज का मित्र कल का शत्रु और आज का शत्रु कल का मित्र हो सकता है । “
(3) अल्प विराम (,)
जहाँ यह विराम होता है वहाँ कम से कम रुका जाता है। इसका प्रयोग नीचे दिये गये स्थलों पर किया जाता है—
(i) यदि उद्देश्य लम्बाई में अधिक हो, तो उसके उपरान्त, यथा”गर्म लू से झुलसती तथा अकाल से पीड़ित जनता, वर्षा के आगमन से झूम उठी।”
(ii) उपाधियों से अलग दिखाने के लिए, यथा—
“साहित्यरत्न, विद्यालंकार, प्रभाकर, बी.ए.।”
(4) प्रश्नवाचक चिन्ह (?)
इस चिन्ह का प्रयोग निम्न स्थानों पर होता है
(i) प्रश्नवाचक वाक्य के उपरान्त पर होता है—
‘श्यामा विवेकानन्द स्मारक देखने कब जायेगी?”
(ii) वाक्य के अन्त में सन्देह युक्त अथवा व्यंग्य युक्त भाव प्रकट करने के लिए, कभी-कभी कोष्ठक में प्रश्नवाचक चिह्न का प्रयोग होता है, यथा—
“तस्करी पर नियंत्रण पाया जा सकेगा।”
(5) विस्मयादि बोधक ( ! )
इसका प्रयोग निम्नांकित स्थलों पर होता है—
(i) प्रश्नवाचक वाक्यों के बाद, जहाँ मनोवेग प्रकट किये जायें, यथा—
“ऊपर ही चढ़े जाते हो, क्या दिखता नहीं !”
(ii) भय, आश्चर्य, शोक, घृणा, हर्ष, आज्ञा, प्रार्थना आदि मनोवेग प्रकट करने वाले शब्दों, वाक्यांशों तथा वाक्यों के अन्त में यथ—
राम ! तुम कितने अच्छे हो !
हाय ! दीनदयाल उपाध्याय की हत्या हो गई !
अबे ! भाग यहाँ से !
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