संरचनात्मक और योगात्मक मूल्यांकन से आप क्या समझते हैं ? इसकी विशेषताओं की विवेचना कीजिए।

संरचनात्मक और योगात्मक मूल्यांकन से आप क्या समझते हैं ? इसकी विशेषताओं की विवेचना कीजिए।

 अथवा
शैक्षिक मूल्यांकन का क्या अर्थ है? संरचनात्मक और योगात्मक मूल्यांकन को विस्तार से समझाइये।
उत्तर – शैक्षिक मूल्यांकन – शैक्षिक शिक्षा के क्षेत्र में एक नवीन धारणा के साथ ही साथ एक सापेक्ष शैक्षिक प्रक्रिया है तथा इसके द्वारा बालक के ज्ञान व व्यवहार में हुए परिवर्तनों तथा उसकी व्यक्तिगत विशेषताओं की जाँच की जाती है। मूल्यांकन प्रक्रिया में तीन पद समाहित होते हैं —
(1) उद्देश्यों का निर्धारण
(2) उद्देश्यों को प्राप्त करने हेतु दिए जाने वाले अनुभव एवं
(3) वांछित उद्देश्यों की प्राप्ति की संभावना ज्ञात करने के लिए मापन तथा मूल्यांकन करना ।
मूल्यांकन जीवनपर्यन्त चलने वाली प्रक्रिया है तथा इसका क्षेत्र अत्यन्त विस्तृत है। इसकी सहायता से शिक्षण साधन, शिक्षण विधि, शिक्षण उद्देश्य, शैक्षिक कार्यक्रम, शिक्षा योजना यहाँ तक कि मूल्यांकन विधियों का भी मूल्यांकन किया जाता है।
स्क्रीवेन ( Scriven) के अनुसार, शैक्षिक मूल्यांकन की भूमिका को दो भागों में विभाजित किया गया है—
(1) संरचनात्मक या रचनात्मक मूल्यांकन (Formative Evaluation)
(2) योगात्मक या आंकलित मूल्यांकन (Summative Evaluation)
(1) संरचनात्मक या रचनात्मक मूल्यांकन (Formative Evaluation)
माइकेल स्क्रीवेन (Michael Scriven) ने संरचनात्मक तथा योगात्मक मूल्यांकन का प्रत्यय सन् 1967 में दिया गया तथा सन् 1968 में बैंजामिन ब्लूम (Benjamin Bloom) ने पुस्तक ‘Learning for Mastery’ में इस प्रत्यय अर्थात् संरचनात्मक मूल्यांकन के बारे में बताया कि यह शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में छात्रों के सुधार के लिए एक उपकरण जैसा प्रयोग किया जाता है।
दूसरे शब्दों में, शिक्षण प्रक्रिया में शिक्षण की पाठ्यवस्तु को हमेशा इकाइयों में बाँटकर शिक्षण किया जाता है। प्रत्येक इकाई को दो या तीन इकाइयों में समूह को छात्रों को पढ़ाने के बाद अन्त में परीक्षण दिया जाना चाहिए। इसे ही इकाई परीक्षण या संरचनात्मक मूल्यांकन (Formative Evaluation) कहते हैं। शिक्षा के क्षेत्र में यह मूल्यांकन वह मूल्यांकन है जो किसी निर्माणाधीन शिक्षानीति, शिक्षणविधि या मूल्यांकन विधि की संरचना को अन्तिम रूप देने से पहले किया जाता है। यह छात्र के प्रारम्भिक ज्ञान की परीक्षा है तथा प्रदत्त ज्ञान की व्यवहार में प्रयुक्त करने की योग्यता है। यह छात्र में होने वाले परिवर्तन की और संकेत करता है जिससे वह पैद्धान्तिक विषयों से प्रायोगिक विषयों की और अग्रसर होता है अर्थात् इसमें छात्र एवं छात्रा द्वारा अपने प्राप्त ज्ञान का दैनिक जीवन में प्रयोग करने का मूल्यांकन य ज । भी औपचारिक तथा अनौपचारिक दोनों ही तरीके से शामिल होता है। यह अध्यापक द्वारा निर्मित होता है एवं शिक्षण प्रक्रिया में सुधार लाता है तथा इसके माध्यम से अधिक सीखते हैं।
संरचनात्मक मूल्यांकन की विशेषताएँ (Characteristies of Formative Evaluation)—
(1) इकाई का चयन (Features selection of the unit)– निर्माणात्मक मूल्यांकन में शिक्षण की किसी एक विशिष्ट इकाई का चयन किया जाता है |
(ii) इकाई की विशिष्टता (Specification of the unit) – इकाई के भागों का उनकी विशिष्टता के आधार पर विश्लेषण किया जाता है। इकाई की विशिष्टताओं में सम्मिलित है—
(a) विषय-वस्तु (The content)
(b) विद्यार्थी का व्यवहार (The behaviour of the pupil)
(c) विषय-वस्तु के सम्बन्ध में प्राप्त किए जाने वाले लक्ष्य (The objectives to be achieved in relation to the content)
(iii) विषय-वस्तु निर्धारित करना (Determining the contents) – निर्माणात्मक मूल्यांकन में इकाई की नयी विषय-वस्तु का निर्धारण किया जाता है। इस प्रकार इसमें नए शब्द, नए सम्बन्ध तथा नई प्रक्रियाओं का समावेश होता है, जो कि मूल्यांकन की सार्थकता को निश्चित करता है।
(iv) अधिगम-परिणाम निर्धारित करना (Determining learning outcomes) — विषय-सामग्री के नये तत्त्व से सम्बन्धित अधिगम के परिणाम या विद्यार्थी का व्यवहार निर्धारित किया जाता है।
(2) योग्यात्मक मूल्यांकन (Summative Evaluation) – माइकेल स्क्रीवन (Michael Scriven) ने ही Summative अर्थात् योगात्मक या आंकलित मूल्यांकन का प्रत्यय सन् 1967 में दिया था। Summative शब्द का सम्बन्ध Summation से होता है जिसका अर्थ ‘योग’ होता है। अत: इसको योगात्मक या आंकलित मूल्यांकन के नाम से भी जाना जाता है। इस तरह की परीक्षा में जब छात्र सभी इकाइयों को पृथक्-पृथक् रूप में संरचनात्मक मूल्यांकन (Formative Evaluation) कर लेते हैं तो अन्त में उन्हें एक परीक्षण दिया जाता है जिसमें सभी इकाइयों या उन इकाइयों का कुछ अंश शामिल रहता है। जिसे योगात्मक या आंकलित मूल्यांकन (Summative Evaluation) कहा जाता है। इस मूल्यांकन में छात्रों के सम्पूर्ण पक्षों से सम्बन्धित सूचनाएँ एकत्र की जाती हैं तथा उनका संश्लेषण व विश्लेषण किया जाता है तथा छात्रों की सफलता के आधार पर ही पुनर्बलन दिया जाता है तथा छात्रों की सफलता के आधार पर ही उनके उद्देश्यों की प्राप्ति का भी निर्णय लिया जाता है।
मूल्यांकन के क्षेत्र में योगात्मक या आंकलित मूल्यांकन वह है जो पहले से निर्मित किसी शिक्षा नीति, पाठ्यवस्तु, शिक्षण विधि, शिक्षण सामग्री या मूल्यांकन विधि की उपयोगिता की जाँच करने हेतु किया जाता है। अन्तिम निर्णय के रूप में यह निश्चित किया जाता है कि उपर्युक्त शिक्षण विधि, शिक्षानीति, पाठ्यक्रम, शिक्षण सामग्री को यथावत् रखा जाए या नहीं।
प्रो. एस. के दुबे के अनुसार, “योगात्मक मूल्यांकन एक व्यापक प्रक्रिया है जो कि छात्रों का शैक्षिक, व्यक्तिगत एवं व्यावहारिक मूल्यांकन करती है तथा छात्रों के सभी पक्षों के विकास स्तर को स्पष्ट करती है।”
योगात्मक मूल्यांकन की विशेषताएँ (Features of Summative Evaluation)—
(i) कोर्स के अन्त में ( At the end of the course) संकल्पनात्मक मूल्यांकन एक निश्चित कालावधि, कार्यक्रम अथवा सेमेस्टर के अन्त में होता है ।
(ii) अन्तिम एवं निर्णयात्मक (Terminal and Judgment in character) — यह अन्तिम एवं निर्णयात्मक होता है।
(iii) अनुदेशन लक्ष्य (Instructional objectives) —इसका गठन इस बात को निर्धारित करने के लिए किया जाता है कि विद्यार्थियों ने कहाँ तक अनुदेशन के लक्ष्य प्राप्त किए हैं। इस मूल्यांकन के निम्नलिखित उद्देश्य हैं—
(a) ) प्रगति का मूल्यांकन (Evaluation of Progress)
(b) शिक्षक की प्रभावशीलता की जाँच करना (Judging the effectiveness of the teacher)
(c) पाठ्यक्रम, अध्ययन कोर्स अथवा शैक्षिक योजना की प्रभावशीलता की जाँच करना (Judging the effectiveness of the curriculum, course of study or educational plan)
(d) विद्यार्थियों का ग्रेड निर्धारित करना और उन्हें प्रमाणित करना (Grading and certifying students).
ब्लूम व उनके साथियों (Bloom and companions) के अनुसार, “संभवत: संकलनात्मक मूल्यांकन की अनिवार्य विशेषता अधिगम अथवा अनुदेशन के पश्चात् उसकी विद्यार्थी अध्यापक अथवा पाठ्यक्रम के संदर्भ में प्रभावशीलता की जाँच करना है। “
(iv) निर्धारित कोर्स मूल्यांकन का आधार (Course covered on the basis)—विशेष अवस्था अथवा सेमैस्टर के लिए निर्धारित किया गया कोर्स संकलित मूल्यांकन का आधार बनता है।
प्रो. ब्लूम और उनके साथियों (Prof. Bloom and his associates) के अनुसार संकलनात्मक मूल्यांकन आरम्भ करने से पहले कम-से-कम उन कुछ कौशलों अथवा अवधारणाओं का सम्मिलित रूप प्रस्तुत करना चाहिए जो कि व्यापक योग्यता का आधार बन सकें।
(v) परीक्षा की मदों द्वारा निर्धारित किए जाने वाले सामान्यीकरण का स्तर संकलनात्मक मूल्यांकन की एक महत्त्वपूर्ण विशेषता है।
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