अवलोकन तकनीक का स्वरूप क्या है ? अधिगम प्रक्रिया के अवलोकन की उपयोगिता एवं विशेषताओं को लिखिये ।
अवलोकन तकनीक का स्वरूप क्या है ? अधिगम प्रक्रिया के अवलोकन की उपयोगिता एवं विशेषताओं को लिखिये ।
उत्तर – अवलोकन तकनीक का स्वरूप (Nature of Observation Technique) – प्रदत्त संकलन की तकनीक के रूप में अवलोकन सर्वाधिक प्राचीन विधि है। जब से मनुष्य अपने चारों तरफ घटित होने वाले घटनाओं को देख सुन कर समझने का प्रयास करने लगा तब से अवलोकन तकनीक का प्रयोग किया जाने लगा है। काफी समय तक इसको एक वैज्ञानिक तकनीक के रूप में विकसित नहीं करने पर कोई प्रश्न नहीं किया गया, किन्तु जैसे-जैसे मनोविज्ञान, समाजशास्त्र तथा शिक्षाशास्त्र जैसे सामाजिक विज्ञान विषयों का विकास होता गया अवलोकन को अधिक शुद्ध, परिमार्जित, वस्तुनिष्ठ, विश्वसनीय एवं वैध बनाने का प्रयत्न किया जाने लगा। इस प्रयत्न का परिणाम हमें गतिमान कैमरा तथा ध्वनि अभिलेखों के माध्यम से प्राप्त फिल्मों के रूप में उपलब्ध हुआ। इसलिए माना जाता है कि अवलोकन केवल जीवन शिक्षण का एक अपरिहार्य अंग ही नहीं वरन् वैज्ञानिक खोज का प्रारम्भिक यन्त्र भी है।
अवलोकन की उपयोगिता या विशिष्टता (Utility or Advantages of Observation)–अवलोकन की उपयोगिता या विशिष्टता निम्नलिखित हैं—
(1) अवलोकन द्वारा व्यवहार को उसी रूप में उल्लेखित किया जाता है जिस रूप में वह अवतरित होता है । अनुसंधान की अधिकांश विधियाँ अन्तर्दर्शनीय पर निर्भर करती है। इन विधियों में अनुसंधान की आशा का अंश भी सम्मिलित रहता है। साक्षात्कार द्वारा संकलित प्रदत्तों की व्याख्या प्राय: अनुसंधानकर्त्ता की अपनी मनःस्थिति तथा मनोवृत्ति पर निर्भर करती है, अवलोकन में इसका कोई स्थान प्राप्त नहीं है ।
(2) मनुष्य और पशुओं के व्यवहार के अध्ययन की मुख्य विधि अवलोकन है। छोटे बालक के अवलोकन के समय यह बात भी सामने आती है कि वह बोल नहीं सकता तथा पशु भी बोल नहीं सकता। ऐसी परिस्थिति में अवलोकन अनुमान और प्रत्यक्षदर्शी व्यवहार पर आधारित होता है।
(3) अवलोकन विधि द्वारा विशेष प्रकार के व्यवहार सम्बन्धी प्रदत्तों का संकलन किया जा सकता है। कथनी और करनी में अन्तर को इसी विधि द्वारा ज्ञात किया जाता है। इस प्रकार के कार्यों में साक्षात्कार और अवलोकन दोनों विधियों का प्रयोग किया जाता है। कुछ व्यवहार ऐसे होते हैं जिनका अवलोकन तो किया जा सकता है परन्तु शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता जैसे—कुछ रस्म-रिवाज, बच्चों के प्रति माँ का प्यार और व्यवहार आदि। ऐसे व्यवहारों का उपयोग केवल अवलोकन द्वारा ही हो सकता है।
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