अवलोकन विधि से आप क्या समझते हैं ? एक शिक्षक द्वारा अधिगम प्रक्रिया का अवलोकन कैसे किया जा सकता

अवलोकन विधि से आप क्या समझते हैं ? एक शिक्षक द्वारा अधिगम प्रक्रिया का अवलोकन कैसे किया जा सकता

अथवा
शिक्षक द्वारा अधिगम प्रक्रिया में अवलोकन का क्या महत्त्व है ?
उत्तर — अवलोकन का अर्थ (Meaning of Observation )– अवलोकन/सिंहावलोकन आंकलन की सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण प्रविधि है। कक्षा-कक्ष में सीखने-सिखाने की प्रक्रिया के दौरान विद्यालयों गतिविधियों (प्रार्थना सभा, खेल, बाल सभा, सांस्कृतिक कार्यक्रम, राष्ट्रीय पर्वो एवं जयन्तियों के दौरान) में बालकों की भागीदारी के समय तथा विद्यालय के बाहर जहाँ बालक किसी कार्य को करते हुए मिले उसका सिंहावलोकन किया जा सकता है। अवलोकन करना भी एक प्रकार का कौशल है। अवलोकन के द्वारा हम बालकों के बारे में अपनी धारणा/राय बना लेते हैं कि बालक का स्तर क्या है? किस विषय में वह अधिक रुचि लेता है? बालक का कौन-सा पक्ष सबल है और कौन सा पक्ष कमजोर ? हम सभी अवलोकन के द्वारा इन सभी प्रश्नों से सम्बन्धित जानकारी एकत्र कर लेते हैं।
अवलोकन के द्वारा हम बच्चों के सम्प्रेषण, अवधारणाओं तथा कौशलों का उपयोग करने, समस्या का समाधान करने तथा दूसरों के साथ काम करने की योग्यता व दक्षता का आंकलन कर सकते हैं। अवलोकन दैनिक, साप्ताहिक, मासिक, त्रैमासिक, अर्द्धवार्षिक और वार्षिक किसी भी प्रकार का हो सकता है, किन्तु इसका उद्देश्य मात्र एक सा होता है बालकों की अधिगम क्षमताओं का विकास करना ।
वैज्ञानिक शोध में अवलोकन शब्द का प्रयोग व्यापक रूप से किया जाता है। वैज्ञानिक अध्ययन वस्तुतः क्रमबद्ध अवलोकन की विधि है साथ ही यह मनोविज्ञान के तथ्यों को संकलित करने की एक विधि भी है जिसका उपयोग किसी भी प्रकार के आंकलन में किया जा सकता है।
अवलोकन तकनीक का स्वरूप (Nature of Observation Technique) —
प्रदत्त संकलन की तकनीक के रूप में अवलोकन सर्वाधिक प्राचीन विधि है। जब से मनुष्य अपने चारों तरफ घटित होने वाली घटनाओं को देख- सुन कर समझने का प्रयास करने लगा तब से अवलोकन तकनीक का प्रयोग किया जाने लगा है। काफी समय तक इसको एक वैज्ञानिक तकनीक के रूप में विकसित नहीं करने पर कोई प्रश्न नहीं किया गया, किन्तु जैसे-जैसे मनोविज्ञान, समाजशास्त्र तथा शिक्षाशास्त्र जैसे सामाजिक विज्ञान विषयों का विकास होता गया अवलोकन को अधिक शुद्ध, परिमार्जित, वस्तुनिष्ठ, विश्वसनीय एवं वैध बनाने का प्रयत्न किया जाने लगा। इस प्रयत्न का परिणाम हमें गतिमान कैमरा तथा ध्वनि अभिलेखों के माध्यम से प्राप्त फिल्मों के रूप में उपलब्ध हुआ। इसलिए माना जाता है कि अवलोकन केवल जीवन शिक्षण का एक अपरिहार्य अंग ही नहीं वरन् वैज्ञानिक खोज का प्रारम्भिक यंत्र भी है।
अवलोकन की उपयोगिता या विशिष्टता (Utility or Advantages of Observation) अवलोकन की उपयोगिता या विशिष्टता निम्नलिखित हैं—
(1) अवलोकन द्वारा व्यवहार को उसी रूप में उल्लेखित किया जाता है जिस रूप में वह अवतरित होता है। अनुसंधान की अधिकांश विधियाँ अन्तर्दर्शनीय पर निर्भर करती है । इन विधियों में अनुसंधान की आशा का अंश भी सम्मिलित रहता है। साक्षात्कार द्वारा संकलित प्रदत्तों की व्याख्या प्राय: अनुसंधानकर्त्ता की अपनी मनःस्थिति तथा मनोवृत्ति पर निर्भर करती है, अवलोकन में इसको कोई स्थान प्राप्त नहीं है।
(2) अवलोकन विधि द्वारा विशेष प्रकार के व्यवहार सम्बन्धी प्रदत्तों का संकलन किया जा सकता है। कथनी और करनी में अन्तर को इसी विधि द्वारा ज्ञात किया जाता है। इस प्रकार के कार्यों में साक्षात्कार और अवलोकन दोनों विधियों का प्रयोग किया जाता है। कुछ व्यवहार ऐसे होते हैं जिनका अवलोकन तो किया जा सकता है परन्तु शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता, जैसे- कुछ रस्म-रिवाज, बच्चों के प्रति माँ का प्यार और व्यवहार आदि। ऐसे व्यवहारों का उपयोग केवल अवलोकन द्वारा ही हो सकता है।
शिक्षक द्वारा अवलोकन (Observation by Teacher) — अवलोकन द्वारा बालकों के बारे में जानकारी सामान्य या स्वाभाविक वातावरण में की जाती है। सीखने के दौरान शिक्षक बालकों का आंकलन उनके उत्तर देने, प्रश्न पूछने, परिचर्चा करने, अभिव्यक्ति करने आदि के माध्यम से करते हैं। अध्यापक इन प्रश्नों का रिकार्ड भी रखता है जो बालकों ने उनसे पूछे हैं। यह एक महत्त्वपूर्ण सूचना होती है जिसके आधार पर यह जाना जा सकता है कि बच्चा कितना और कैसे सीख रहा है ?
शिक्षक द्वारा अवलोकन किये जाने पर बच्चों के बहुत से पक्षों का आंकलन किया जाता है। अवलोकन से बच्चों का आंकलन व्यक्तिगत तथा सामूहिक दोनों रूपों में किया जाता है। शिक्षक बच्चों के व्यवहार, रुचि, क्षमता, दक्षता, सीखी गई अवधारणा का दैनिक जीवन में प्रयोग आदि का अवलोकन करके बच्चों के बारे में एक दृष्टिकोण बनाता है। शिक्षकों को बच्चों का आंकलन/अवलोकन विभिन्न परिस्थितियों, क्रियाकलापों और समयावधि में करना चाहिए ताकि बच्चों के सर्वांगीण विकास के क्रम को जाना जा सके। अवलोकन द्वारा तुरन्त शिक्षक को बालक की वास्तविक स्थिति का पता चलता है। अवलोकन द्वारा बच्चों के सीखने के तरीके, अन्तः क्रिया करने, समूह में कार्य करने के बारे में जानकारी के साथ-साथ बच्चों के द्वारा सीखने की सामग्री एवं संसाधनों के उपयोग का भी पता चलता है। अवलोकन के अन्तर्गत सुनना, बोलना, कार्य करना, कार्य करने के तरीकों का निर्माण करना तथा किसी पक्ष को देखने के तरीकों को अपनाना आदि भी आता है। शिक्षक द्वारा अवलोकन वैयक्तिक एवं सामूहिक दोनों प्रकार से किया जा सकता है। दोनों प्रकार से अवलोकन शिक्षक द्वारा निरन्तर होते रहना चाहिए। अवलोकन के पश्चात् बालक का मूल्यांकन समुचित रूप से होना चाहिए। सामूहिक मूल्यांकन में बच्चों के क्रिया-कलापों पर ही नजर रखनी चाहिए जिससे बालक के दौड़ने, नाचने, गीत-गाने, खेल-खेलने, अभिनय करने, कार्य करने, प्रत्यक्ष करने, अप्रत्यक्ष करने आदि पर ध्यान देकर वास्तविक आंकलन करना चाहिए।
शिक्षक द्वारा अवलोकन को प्रभावी बनाने के उपाय- शिक्षक द्वारा अवलोकन को प्रभावी बनाने के उपाय निम्नलिखित है—
(1) बच्चों के अवलोकनोपरान्त मुख्य बिन्दुओं या कार्यों को डायरी में तुरन्त प्रभाव से लिख लेना चाहिए।
(2) किसी गतिविधि को करने के दौरान या समाप्त होने के पश्चात् ही अवलोकन करना चाहिए।
(3) बच्चे द्वारा किये गये कार्य, उससे जुड़ी घटना का गुणात्मक उल्लेख को लिखने का विशेष प्रयास करना चाहिए।
(4) अवलोकन के समय बच्चों से स्पष्टीकरण प्राप्त करने हेतु बातचीत भी करनी चाहिए।
(5) बच्चों को कार्याधि में उनके द्वारा किये गये कार्यों में परिवर्तन करने की छूट भी दी जानी चाहिए।
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