अशक्तता सम्बन्धी रूढ़िबद्धता पूर्वाग्रह क्या है और इसे समाप्त करने हेतु क्या प्रयास करने चाहिए ?

अशक्तता सम्बन्धी रूढ़िबद्धता पूर्वाग्रह क्या है और इसे समाप्त करने हेतु क्या प्रयास करने चाहिए ? 

उत्तर— अशक्तता सम्बन्धी रूढ़िबद्धता एवं पूर्वाग्रह–समाज का एक वर्ग ऐसा भी है जो प्राकृतिक, जन्मजात या मानवकृत कारणों से समाज की मुख्य धारा से कट गया है। इन बालकों को समाज को मुख्य धारा में मिलाने के उद्देश्य से ही शैक्षिक अवसरों के समानता की बात की जाती है। सामाजिक न्याय तथा मानवतावादी दार्शनिक विचारधारा के अनुसार शिक्षा प्राप्त करने का जितना अधिकार मेधावी छात्र एवं छात्राओं को है उतना ही विकलांग या मंद बुद्धि बालक को भी है।
अशक्त लोगों के प्रति यह रूढ़िवादिता है कि वे सामान्य व्यक्ति की तरह अधिक कार्य या अच्छे तरीके से नहीं कर पाते हैं। जिससे कई बार उन्हें नौकरियों से भी वंचित कर दिया जाता है। लंगड़े व्यक्ति को लंगड़ा-लंगड़ा कहकर चिढ़ाया जाता है। जिससे ये अशक्त जन हीन भावना से ग्रस्त हो जाते हैं।
लोगों में पूर्वाग्रह है कि अशक्त लोग बुद्धिहीन, मंदबुद्धि के होते हैं परन्तु यह जरूरी नहीं है कि वह कम शैक्षिक उपलब्धि वाले हों । कई परिणाम देखने में आए हैं कि ऐसे बालक मेरिट लिस्ट में स्थान प्राप्त करते हैं क्योंकि उनमें एकाग्रता होती है। अतः विद्यालय, समाजों में, विश्वविद्यालयों में उन्हें उचित अवसर प्रदान करना चाहिए। साथ ही अशक्त जन को भी अपना मनोबल बढ़ाना होगा जैसे- सुधाचन्द्रन के पैर कट जाने पर भी मनोबल कम नहीं हुआ है वह आज भी अच्छी नृत्यांगना है।
अशक्तता सम्बन्धी रूढ़िबद्धता एवं पूर्वाग्रह को समाप्त करने हेतु प्रयास—अशक्तता सम्बन्धी रूढ़िबद्धता को समाप्त करने हेतु निम्नलिखित प्रयास किए जाने चाहिए—
(1) हमें अशक्त जनों के मनोबल को बढ़ाना चाहिए एवं अन्य व्यक्तियों के मन में उनके प्रति सकारात्मक सोच को विकसित करना चाहिए।
(2) माता-पिता को उसकी अवहेलना नहीं करनी चाहिए उसे घर के अन्य सदस्यों की तरह सम्मानपूर्वक रखना चाहिए।
(3) शिक्षक को चाहिए कि विद्यालयों या विश्वविद्यालयों में
होने वाले विभिन्न पाठ्येत्तर कार्यक्रमों में उन्हें भाग लेने के अवसर प्रदान करें।
(4) अध्यापक एवं माता-पिता, सहपाठी उसे प्रोत्साहित करें एवं हर क्षेत्र में आगे आने के लिए अभिप्रेरित करें। उन्हें उत्साहित करें कि यदि तुम आगे आओगे तो सफलता तुम्हारे कदम चूमेगी।
(5) पूर्वाग्रह तथा रूढ़िवादिता मिटाने हेतु सहशिक्षा का प्रावधान होना चाहिए।
(6) विकलांग बालकों को स्व रोजगार की शिक्षा भी देनी चाहिए इससे उनका आत्मबल बढ़ेगा।
(7) विकलांग बालक को समझाना चाहिए कि तुम भी उपन्यासकार, कहानीकार, फिल्मकार, धनुर्धारी, संगीतकार बन सकते हो जैसे-एकलव्य, जिसका अंगूठा न होने पर भी महान धनुर्धारी बना।
(8) विकलांग अंगों की यथासंभव क्षतिपूर्ति की जाए जैसे लंगड़े व्यक्ति को चित्रकला के लिए प्रेरित किया जा सकता है।
(9) उनको अवकाश के समय का सदुपयोग करने का अवसर देना चाहिए अर्थात् उन्हें संगीत, चित्रकला, नृत्य, पेंटिंग इत्यादि का प्रशिक्षण प्रदान करना चाहिए। जिससे सामान्य बालक भी उसकी प्रशंसा करे तथा पूर्वाग्रह दूर करें।
(10) विकलांग बालकों का समाजीकरण किया जाए उन्हें अपने हम उम्र के साथ खेलने-कूदने, मौजमस्ती, वार्तालाप करने का अवसर प्रदान करें इससे एक-दूसरे के प्रति नकारात्मक मनोवृत्ति दूर होगी एवं रूढ़िवादिता भी दूर होगी।
इस तरह हम जनमानस की अभिवृत्ति में परिवर्तन कर विकलांग पूर्वाग्रह व रूढ़िवादिता को नष्ट कर सकते हैं।
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