असमर्थता के प्रकारों का वर्णन कीजिए।
असमर्थता के प्रकारों का वर्णन कीजिए।
अथवा
विशिष्ट आवश्यकताओं वाले बालकों के प्रकार बताइये।
उत्तर – जो बालक सामान्य बालक से अलग विशिष्टता रखता है वह विशिष्ट बालक कहलाता है। विशिष्ट बालकों के प्रकारों को निम्न प्रकार वर्गीकृत कर सकते हैं—
(अ) शारीरिक दृष्टि से
(स) बौद्धिक दृष्टि से
(स) सामाजिक दृष्टि से ।
(अ) शारीरिक दृष्टि से विशिष्ट बालक—
वाणी दोष दृष्टि बाधा श्रवण बाधित शारीरिक दोष
( 1 ) वाणी दोष – मुख्य वाणी दोषों में उच्चारण दोष, वाणी का प्रवाह, आवाज की समस्या, हकलाना आदि आते हैं।
( 2 ) दृष्टि बाधा– कुछ बालक जन्मांध होते हैं, कुछ दुर्घटनावश बाद में अंधे हो जाते हैं। आंशिक रूप से प्रभावित बालक बड़े छापे की पुस्तकें पढ़ने में समर्थ होते हैं, ये ऐनक लगाकर कार्य करते हैं। अंधेपन से प्रभावित छात्रों को ब्रेल लिपि या बोलने वाली किताब से पढ़ाया जा सकता है।
( 3 ) श्रवण बाधित – जो बालक दूसरे की आवाज को ढंग से नहीं सुन पाते, उन्हें श्रवण बाधित बालक कहा जाता है। कुछ बालक ऊँचा सुनते हैं जिन्हें श्रवण यंत्र की सहायता लेनी पड़ती है ।
( 4 ) शारीरिक दोष – ऐसे बालक स्वयं विद्यालय नहीं जा सकते, उन्हें विद्यालय जाने में बाहरी सहायता लेनी पड़ती है ।
( ब ) बौद्धिक दृष्टि से विशिष्ट बालक – इनकी पहचान बुद्धि परीक्षण के द्वारा की जाती है। 90 से 110 की IQ. वाले बालकों को सामान्य मान कर अन्य बालकों को विशिष्ट बालकों की श्रेणी में रखा जाता है। 90 से नीचे बुद्धि लब्धि वाले पिछड़े बालकों की श्रेणी में आते हैं। 110 से अधिक बुद्धि लब्धि वाले बालक प्रतिभावान की श्रेणी में आते हैं।
इन्हें चार श्रेणियों में बाँट सकते हैं—
( 1 ) प्रतिभाशाली – जिनकी बौद्धिक योग्यता तथा सामाजिक समायोजन की योग्यता अन्य बालकों से अधिक होती है ।
( 2 ) सृजनशील – जो बालक कुछ भी नया करता है वह बालक सृजनशील है। सृजनशीलता से नए विचारों की प्राप्ति होती है।
( 3 ) अधिगम असमर्थ – इनकी बुद्धि लब्धि 75-90 तक होती करते हैं । ये बालक काफी समय में व धीमी गति से कार्य करते हैं |
( 4 ) मंद बुद्धि – इन बालकों की बुद्धि-लब्धि 75 या इससे कम होती है इन्हें मानसिक विकलांग भी कह सकते हैं।
(स) सामाजिक दृष्टि से—इस श्रेणी में दो प्रकार के बालक आते हैं—
( 1 ) बाल अपराधी – यदि कोई बालक समाज विरोधी कार्य करता है या कानून का उल्लंघन करता है तो वह बाल अपराधी कहा जाता है।
( 2 ) समस्यात्मक बालक – समस्यात्मक बालकों का मुख्य कार्य अध्यापकों, छात्रों को परेशान करता है। ये सामान्य भी हो सकते हैं तथा सृजनात्मक, प्रतिभावान, मंद बुद्धि व पिछड़े भी हो सकते हैं।
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