असमर्थ व्यक्तियों की शिक्षा के लिए राष्ट्रीय नीति, 2006 में किन बातों का विशेष ध्यान रखा गया है ?

असमर्थ व्यक्तियों की शिक्षा के लिए राष्ट्रीय नीति, 2006 में किन बातों का विशेष ध्यान रखा गया है ?

उत्तर— असमर्थ व्यक्तियों की शिक्षा के लिए राष्ट्रीय नीति 2006 में निम्न बातों का ध्यान रखा गया है—

(1) प्राथमिक, माध्यमिक तथा उच्चतर शिक्षा स्तर पर विकलांग बच्चों की संख्या तथा शिक्षा जारी रखने की वार्षिक समीक्षा करने के लिये अलग व्यवस्था की जायेगी।
(2) विकलांग बच्चों की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिये प्रत्येक राज्य क्षेत्र में समावेशी शिक्षा के मॉडल स्कूल स्थापित किये जायेंगे।
(3) 6 वर्ष की आयु तक के विकलांग बच्चों की पहचान की जायेगी तथा इसके बाद उनका आवश्यक उपचार किया जायेगा ताकि वे समावेशी शिक्षा में भाग ले सकें।
(4) मानसिक रूप से अपंग बच्चों के लिये मनोवैज्ञानिक पुनर्वास केन्द्रों में शिक्षा सुविधाएँ प्रदान की जायेंगी।
(5) विकलांग व्यक्तियों के लिये उच्च शिक्षण संस्थाओं में तीन प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की जायेगी। विकलांग छात्रों की शैक्षिक जरूरतों को ध्यान में रखते हुए विकलांगता केन्द्र स्थापित करने के लिये विश्वविद्यालयों, कॉलेजों, व्यावसायिक संस्थाओं को वित्तीय सहायता प्रदान की जाये। उन्हें विकलांग छात्रों के लिये कैम्पस में कक्षा, छात्रावास तथा अन्य सुविधाएँ प्रदान करने के लिये भी प्रोत्साहित किया जायेगा ताकि विकलांग बच्चों को समावेशी शिक्षा प्रदान की जा सके ।
(6) स्कूलों में सहायक सामग्री उपलब्ध करवाई जायेगी। स्कूलों में सामान्य पुस्तकालयों, ई-पुस्तकालयों, ब्रेल पुस्तकालयों एवं टाकिंग पुस्तकालयों, स्रोत कक्षों आदि की स्थापना करने के लिये सुविधाओं का विस्तार करने हेतु प्रोत्साहन दिये जायेंगे ।
(7) राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयों तथा दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रमों को · लोकप्रिय बनाना जायेगा तथा उनका विस्तार देश के अन्य भागों में किया जायेगा।
(8) सामाजिक न्याय और अधिकारिता मन्त्रालय द्वारा वर्तमान में सहायता दिये जा रहे विशेष स्कूल, बढ़ती हुई समावेशी शिक्षा के लिये संसाधन केन्द्र बन जायेंगे। मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा आवश्यकता के अनुसार नये विशेष विद्यालय खोले जायेंगे ।
(9) विकलांग बच्चों के प्रबन्ध सम्बन्धी मुद्दों पर एक मॉड्यूल अध्यापकों के प्रवेश तथा सेवाकालीन प्रशिक्षण कार्यक्रमों में शामिल करना ।
(10) स्कूलों में माता-पिता अध्यापक परामर्श तथा शिकायत निवारण प्रणाली की स्थापना की जायेगी ।
(11) कुछ मामलों में विकलांगता, निजी परिस्थितियों और प्राथमिकताओं के स्वरूप के कारण गृह आधारित शिक्षा प्रदान की जायेगी।
(12) शिक्षा के क्षेत्र में कम्प्यूटर का विशेष महत्त्व है। ऐसा प्रयास किया जायेगा कि प्रत्येक विकलांग बच्चे को कम्प्यूटर के प्रयोग का समुचित ज्ञान हो।
(13) विकलांग व्यक्तियों द्वारा आपसी बातचीत के लिये सांकेतिक भाषा, वैकल्पिक व अभिवृद्धि सम्बन्धी सम्प्रेषण माध्यमों को मान्यता प्रदान की जायेगी तथा इनका मानवीकरण किया जायेगा । इन्हें लोकप्रिय भी बनाया जायेगा।
(14) विद्यालयों को ऐसी जगह पर स्थापित किया जायेगा जो विकलांग क्षेत्रों की सुविधा के अनुसार हो और जहाँ से यात्रा दूरी कम हो । विकल्प के तौर पर, राज्य, समुदाय एवं गैर-सरकारी संगठनों की सहायता से व्यवहार्य यात्रा के सम्बन्ध में प्रबन्ध किये जायेंगे।
(15) सभी स्कूलों के सभी प्रकार के विकलांग बच्चों के लिये बाधा मुक्त बनाया जायेगा ताकि सभी बच्चों की इन स्कूलों तक पहुँच हो ।
(16) शिक्षण का माध्यम उसकी पद्धति को सामान्य तथा बाधित बच्चों के अनुकूल बनाया जायेगा ताकि सभी बच्चों का शैक्षिक विकास सम्भव हो सके।
(17) तकनीकी, अनुपूरक तथा विशिष्ट शिक्षा की व्यवस्था एक ही स्कूल में उपलब्ध करवाई जायेगी, जहाँ पर कुछ स्कूल आसानी से जा सकें।
(18) कुछ स्कूल विकलांग बच्चों का नामांक नहीं करते हैं । ऐसा मुख्य रूप से स्कूल अधिकारियों तथा शिक्षकों की विकलांग व्यक्तियों की क्षमता की कमी के कारण होता है। विकलांग बच्चों को समावेशी शिक्षा में शामिल करने के लिये स्कूल के शिक्षकों, प्राचार्य तथा अन्य कर्मचारियों से जानकारी प्रदान करने के लिये विशेष कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे ।

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