आँकड़ों का रेखाचित्र निरूपण को स्पष्ट कीजिए।

आँकड़ों का रेखाचित्र निरूपण को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- मानव सभ्यता के प्रारम्भ से ही चित्रों द्वारा अपने सन्देश को दूसरों तक पहुँचाने की परम्परा रही है, उसी प्रकार आँकड़ों का आलेखी निरूपण भी सन्देश को सरल स्पष्ट तथा सुबोध बना देता है। आलेखों को देखने मात्र से वह व्यक्ति भी अपने अनुमान लगा सकता है जो कुशल गणितज्ञ नहीं है। हम सभी इस विद्या से भली-भाँति परिचित भी हैं, टेलीविजन पर क्रिकेट का मैच देखते समय हमें कई प्रकार की सारणियाँ एवं आलेख दिखाये जाते हैं, जहाँ सारणियों को समझने में हमें समय लगता है तथा अपने मस्तिष्क पर अतिरिक्त कार्य भी करना होता है वहीं आलेखों को हम बहुत आसानी से समझ जाते हैं और विश्लेषित कर लेते हैं। आँकड़ों या प्राप्तांकों को ग्राफ के द्वारा प्रदर्शित करने को ग्राफीय चित्रण कहते हैं। यह प्रदर्शन वक्र (Curve) अथवा रेखा (Line) के रूप में होता है। वक़ अथवा रेखाचित्र से आँकड़ों से सम्बद्ध चरों के मध्य जो सम्बन्ध होता है उसका स्वरूप स्पष्ट होता है।
रेबर तथा रेबर (Reber and Reber, 2001) ने ग्राफीय चित्रण को परिभाषित करते हुए कहा है-“सांख्यिकीय, नैदानिक अथवा प्रयोगात्मक आँकड़ों के वास्तविक चित्रण को ग्राफ कहते हैं, जो ऐसी रेखाओं वक्रों अथवा आकारों के रूप में होता है, जो चरों के मध्य सम्बन्धों को प्रतिबन्धित करते हैं।’
उपर्युक्त परिभाषा के विश्लेषण से ग्राफ के स्वरूप के सम्बन्ध में निम्नलिखित चार तथ्य स्पष्ट होते हैं
(1) ग्राफ आँकड़ों का वास्तविक चित्रण करता है।
(2) ग्राफ द्वारा चित्रित होने वाले आँकड़े सांख्यिकीय, नैदानिक अथवा प्रयोगात्मक हो सकते हैं।
(3) ग्राफ रेखाओं के रूप में, वक्रों के रूप में और आकृतियों के रूप में हो सकता है।
(4) ग्राफ के तीनों रूप सम्बद्ध चरों के मध्य सम्बन्ध को दर्शाते हैं।
ग्राफ अथवा ग्राफीय चित्रण के लाभ (Advantages of graph or graphical representation)—ग्राफ अथवा ग्राफीय चित्रण के निम्नलिखित लाभ हैं
(1) ग्राफ द्वारा जटिल प्रदत्तों को सार्थक (Significant) बना दिया जाता है, जिससे वह सुगमता से समझ में आ जाते
(2) ग्राफ तुलनात्मक अध्ययन को सरल बनाते हैं।
(3) ग्राफ के द्वारा किसी आश्रित चर (Dependent Variable) पर स्वतन्त्र चर (Independent Variable) के प्रभाव को प्रदर्शित करने में सुविधा होती है।
(4) ग्राफ के द्वारा महत्त्वपूर्ण सांख्यिकीय निष्कर्ष सरलतापूर्वक ज्ञात किये जा सकते हैं
(5) शिक्षा के क्षेत्र में ग्राफ का प्रयोग अनेक रूपों में किया जाता है; जैसे——छात्रों की संख्या स्पष्ट करने में, छात्रों के परीक्षा परिणाम स्पष्ट करने में और शिक्षा की प्रगति आदि को स्पष्ट करने में।
ग्राफ की सीमाएँ (Limitations of graph ) – ग्राफ की निम्नलिखित सीमाएँ हैं—
(1) ग्राफ बनाने के कुछ निश्चित नियम होते हैं। इन नियमों की जानकारी के बिना उचित ग्राफ नहीं बनाया जा सकता है।
(2) ग्राफ अनेक प्रकार के होते हैं जो समस्या के स्वरूप के अनुसार प्रयोग किये जाते हैं।
(3) ग्राफ में आंशिक शुद्धता पूर्ण रूप से सम्भव नहीं हो पाती है।
(4) एक ही आधार पर दो चरों से सम्बद्ध बनाये गये दो अलगअलग ग्राफों के स्वरूपों में अस्थिरता के कारण भ्रामक प्रभाव देखने को मिलते हैं।
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