आंकलन हेतु आयोजित की जाने वाली समूह गतिविधियों को स्पष्ट कीजिए ।

आंकलन हेतु आयोजित की जाने वाली समूह गतिविधियों को स्पष्ट कीजिए ।

अथवा

आंकलन हेतु सामूहिक गतिविधियों का वर्णन कीजिये |
उत्तर–आंकलन हेतु सामूहिक गतिविधियाँ (Group Activities for Assessment)—विद्यालय में बालकों का वास्तविक आंकलन करने के लिए निम्नलिखित सामूहिक गतिविधियों का आयोजन कराना चाहिए—
(1) कार्यशालाएँ– कार्यशालाएँ एक महत्त्वपूर्ण सेवाकालीन कार्यक्रम हैं। कार्यशाला में मुख्यतया समूह में शिक्षक किसी शैक्षिक समस्या पर विचार-विमर्श करते हैं। इससे शिक्षकों के स्तर में सुधार होता है। भारत सरकार द्वारा आई.ए.एस.ई. तथा जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्था द्वारा शिक्षकों के लिए अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं ।
( 2 ) सहकारी क्रियाशीलता – छात्रों को सहयोग का पाठ पढ़ाने के लिए विद्यालय में विभिन्न सहयोगी क्रियाशीलनों एवं सहयोगी समितियों का संगठन किया जाता है। विद्यालय में सामाजिक विज्ञान छात्र अपने सहयोग एवं हिस्सों की सहायता से सहकारी दुकान, सहकारी बैंक तथा जलयान गृह आदि स्थापित करते हैं और बहुत कम लाभ लेने पर भी जो लाभ बचता है उसे अपने-अपने हिस्सों के अनुसार विभाजित कर लेते हैं |
(3) श्रमदान – सामाजिक विज्ञान के छात्रों में श्रम के प्रति प्रेम उत्पन्न करना । इससे छात्रों से विद्यालय के विभिन्न प्रकार के कार्य कराए जाते हैं, जैसे—विद्यालय परिसर की सफाई, ग्रामों की सड़कों का निर्माण, रास्तों की सफाई, खाद के गड्ढे खुदवाना आदि। इन कार्यों को करने से श्रम के प्रति अनुराग बढ़ता है, सामुदायिक सम्पर्क बढ़ता है तथा छात्रों का शारीरिक विकास होता है। मिट्टी का संरक्षण तथा जल बचाओ, गंगा आदि गतिविधियों को किया जा सकता है ।
(4) व्यावसायिक गतिविधियाँ– व्यावसायिक गतिविधियों के द्वारा शिक्षक अपने में सुधार ला सकता है। वह क्या पढें ? यह उसकी आवश्यकताएँ एवं रुचियाँ निश्चित करेगी । उनको अपने क्षेत्र की श्रेष्ठ नवीनतम पुस्तकों एवं पत्रिकाओं का ज्ञान होना चाहिए । शिक्षक को व्यावसायिक रुचि एवं सतत् प्रशिक्षण हेतु नया शिक्षक तथा टीचर रिव्यू आदि पत्रिकाओं को पढ़ना चाहिए।
(5) शैक्षिक यात्राएँ – शैक्षिक भ्रमण आयोजित कर शिक्षक स्वयं भी बहुत अनुभव प्राप्त कर सकता है। अतः शिक्षक को स्वयं भी शैक्षिक यात्राएँ करते रहना चाहिए।
(6) वृक्षारोपण – वृक्षारोपण प्रवृत्ति विद्यालयों में प्रायः वन महोत्सव सप्ताह के समय सम्पन्न की जाती है किन्तु इसे यह वर्षाकाल में भी किया जाता है। वृक्षारोपण में केवल पौधे लगा देना ही पर्याप्त नहीं होता अपितु उन पौधों की सदैव देखभाल रखने का दायित्व भी समाविष्ट है। यह प्रवृत्ति विद्यालय तक ही सीमित न रहकर स्थानीय समुदाय को क्षेत्र तक विस्तृत जानकारी होनी चाहिए। औषधियाँ, लाख, गोंद, रंग, रोगन, जड़ी-बूटियाँ तथा आदि का ज्ञान कराने हेतु भी वृक्षारोपण आवश्यक है |
(7) नियमितिकरण – छात्रों की वर्षभर नियमितिकरण बनाए रखने के लिए प्रातः जाने के समय उपस्थिति पंजिका की गणना होनी चाहिए, जिससे सामाजिक विज्ञान के क्षेत्र किसी छात्र ने कब एवं कितना कार्य किया उसका ब्यौरा रहता है। तथा विभिन्न विषयों के छात्रों की उपलब्धि की गणना भी आसान हो जाती है।
(8) उत्सव एवं पर्व-दिवसों का आयोजन – 15 अगस्त तथा 26 जनवरी, 2 अक्टूबर, 14 नवम्बर तथा 5 जून (जनसंख्या दिवस) आदि राष्ट्रीय पर्व तथा धार्मिक, सांस्कृतिक एवं साहित्यिक दिवसों को इस प्रकार दर्शाया गया है— इदुलजुहा, तुलसी जयन्ती, मोहर्रम, रक्षाबन्धन, जन्माष्टमी, स्वतन्त्रता दिवस, गुरुनानक जयन्ती, क्रिसमस, विवेकानन्द जयन्ती, मकर संक्रान्ति, सरस्वती एवं रवीन्द्र जयन्ती आदि दिवसों का आयोजन उनका कब एवं क्या मनाए जाने के कारणों का पता करने से विभिन्न प्रकार के सामाजिक विषय |
(9) रेडक्रॉस – रेडक्रॉस में बालकों को अनेक प्रकार की उपयोगीशिक्षा दी जाती है। जूनियर रेडक्रॉस में बालक प्राथमिक चिकित्सा, प्राथमिक सहायता, अग्नि शमन, जंगलों में लगने वाली आग को रोकना तथा बाढ़राहत क्षेत्रों के लिए कार्य आदि । इस प्रकार की सामाजिक विज्ञान विषय के अन्तर्गत दी गई शिक्षा बड़ी लाभदायक होती है।
(10) प्रदर्शनी – प्रदर्शनियों के माध्यम से सम्बन्धित विविध प्रतिरूप, नमूने, चित्र, मानचित्र, यन्त्र तथा संयन्त्र आदि को प्रस्तुत करने का एक माध्यम सामाजिक विज्ञान प्रदर्शनी है। सामान्यतया विद्यालय दिवस या अन्य किसी ऐसे ही अवसर पर भूगोल संघ के सदस्यों के द्वारा अथवा सामाजिक विज्ञान विषय को छात्रों की ओर से प्रदर्शनी का आयोजन भौगोलिक भ्रमण तथा संग्रह अभियान के पश्चात् किया जा सकता है।
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