आकांक्षाओं के प्रकारों को समझाइये ।
आकांक्षाओं के प्रकारों को समझाइये ।
उत्तर— आकांक्षाओं के प्रकार–निम्नलिखित हैं—
(1) वैयक्तिक आकांक्षाएँ— वैयक्तिक आकांक्षाएँ व्यक्ति प्रधान होती हैं जो कि व्यक्ति को विकास के अवसर न मिलने की प्रतिक्रिया एवं भावी समाज की लोकतांत्रिक रूपरेखा होती हैं। वैयक्तिक आकांक्षाएँ निम्नवत् हैं—
(i) व्यक्ति के व्यक्तित्व की गरिमा का सम्मान–प्रत्येक व्यक्ति अपनी सम्मान भावना की रक्षा करना चाहता है उसे इसके लिए यह आकांक्षा रहती है कि उसके व्यक्तित्व की उपेक्षा न की जाए।
(ii) वैयक्तिक स्वतंत्रता — वैयक्तिक स्वतंत्रता के सन्दर्भ में संविधान के अनुच्छेद 19 में सात स्वतन्त्रताओं का विवेचन है—
(a) वाणी एवं अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता
(b) सभा करने की स्वतन्त्रता
(c) संघ बनाने की स्वतन्त्रता
(d) भ्रमण करने की स्वतन्त्रता
(e) आवास की स्वतन्त्रता
(f) सम्पत्ति अर्जन, धारण एवं बेचने की स्वतन्त्रता
(g) पेशा, व्यवसाय, वाणिज्य एवं व्यापार की स्वतन्त्रता ।
(iii) वैयक्तिक समानता – नवीन भारतीय समाज व्यवस्था में न केवल वैयक्तिक स्वतंत्रता की आकांक्षा की गयी है। अपितु यह भी आकांक्षा की गई है कि विगत सैकड़ों वर्षों में हमने व्यक्ति व्यक्ति के मध्य अनेक भेद बनाकर जो अनेक वर्ग बना दिए हैं वे समाप्त हों एवं किसी भी दृष्टि से व्यक्ति-व्यक्ति में कोई अन्तर न किया जाए। ये आकांक्षाएँ निम्नलिखित हैं—
(a) राज्य, धर्म, जाति, वर्ण, लिंग, जन्म स्थान, वंशानुक्रम के आधार पर नागरिकों में विभेद नहीं करें।
(b) कानून के समक्ष सब समान हों।
(c) सार्वजनिक स्थानों के उपयोग में धर्म, जाति आदि आधारों पर विभेद न हो ।
(d) लोक सेवाओं में सबको समान अवसर मिले।
(e) अस्पृश्यता (Untochability) समाप्त कर दी जाए।
(f) धार्मिक दृष्टि से भी सभी धर्म समान हैं।
(g) जो अब तक पिछड़े रह गए उन्हें समान स्तर पर लाया जाए। इन्हें सुविधा दी जाए।
(h) पिछड़े वर्गों, जातियों, आदिवासियों आदि को
(i) स्त्रियों एंव बालकों को ।
इस आकांक्षा की सम्पूर्ति के लिए संविधान के 14 से 18 तक के अनुच्छेद में प्रावधान किए गए हैं।
(2) राजनीतिक आकांक्षाएँ – स्वतंत्र भारतीय समाज ने राजनीतिक आकांक्षा के रूप में लोकतांत्रिक गणराज्य को चुना है, , जिसकी आकांक्षाएँ निम्नलिखित हैं—
(i) अन्तिम सत्ता जनता में निहित हो ।
(ii) जनता का, जनता द्वारा, जनता के लिए शासन हो ।
(iii) व्यक्ति की गरिमा का आदर किया जाए।
(iv) व्यक्ति के व्यक्तित्व का विकास अन्तिम लक्ष्य हो ।
(v) राजनीतिक अधिकारों की दृष्टि से व्यक्तियों के लिंग, जाति, वर्ण, धर्म वंशानुक्रम के आधार पर भेद नहीं किया जाए।
(vi) सभी नागरिकों को सभी नागरिक स्वतंत्रताएँ प्रदान की जाएँ।
(vii) सभी नागरिकों को राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक न्याय प्रदान किया जाए।
(viii) भ्रातृत्व जिसका आधार हो ।
(ix) सत्ता का विकेन्द्रीकरण हो ।
(3) सामाजिक आकांक्षाएँ-हमारी सामाजिक आकांक्षाएँ निम्नलिखित हैं—
(i) समानता पर आधारित समाज – अर्थात् वह समाज जहाँ धर्म, वर्ग, लिंग, मूल, वंश जाति के आधार पर वर्गीकरण एवं विभेद न हो।
(ii) स्वतंत्र समाज – जहाँ समाज के सभी सदस्यों को नागरिक स्वतंत्रताएँ प्राप्त हों।
(iii) आर्थिक न्याय पर आधारित समाज—
(a) प्रत्येक व्यक्ति को पेशा, व्यवसाय, वाणिज्य – व्यापार की स्वतंत्रता एवं समान अवसर हो ।
(b) सम्पत्ति, अर्जन धारण एवं बेचने की स्वतंत्रता हो ।
(c) सभी को जीविकोपार्जन के पर्याप्त साधन हों।
(d) पुरुष, स्त्री वर्ग, वंश आदि का भेद आर्थिक क्षेत्र में न किया जाए।
(e) समुदाय की भौतिक सम्पत्ति का स्वामित्व एवं नियंत्रण, सामूहिक हित के लिए हो ।
(f) धन और उत्पादन के साधनों का केन्द्रीयकरण न हो ।
(g) कमजोर वर्गों का शोषण न हो।
(h) कमजोर वर्गों (स्त्रियों, अनुसूचित जनजाति, जाति आदि) के हितों का संरक्षण हो ।
(iv) भ्रातृत्व पर आधारित समाज – जहाँ सब भाई-भाई के समान रहे।
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