आलोचनात्मक शिक्षाशास्त्र से आप क्या समझते है?
आलोचनात्मक शिक्षाशास्त्र से आप क्या समझते है?
उत्तर —आलोचनात्मक शिक्षाशास्त्र का तात्पर्य— आलोचनात्मक शिक्षाशास्त्र, शिक्षा का एक दर्शन है तथा यह सामाजिक आन्दोलन को शिक्षा के साथ सम्बन्धित करता है। इसको सर्वप्रथम पॉल फ्रेरे ने वर्णित किया। इसका आगे विकास हेनरी गिरॉक्स द्वारा किया गया।
आलोचनात्मक शिक्षा शास्त्र शिक्षण एवं अधिगम में सम्बन्ध स्थापित करता है। आलोचनात्मक शिक्षाशास्त्र पॉल फ्रेरे के कार्यों द्वारा सर्वाधिक प्रभावित हुआ है। –
फ्रेरे इस तथ्य पर बल देते थे कि विद्यार्थियों में आलोचनात्मक रूप से सोचने की योग्यता का विकास होना चाहिए। ताकि वे अपनी शैक्षणिक स्थिति का सही-सही आकलन कर सकें। उन्हें अपने ज्ञान एवं शक्ति की सहायता से उत्पीड़न का विरोध करना चाहिए।
यह एक प्रकार का शैक्षणिक आन्दोलन था जिसने विद्यार्थियों में स्वतन्त्रता, मान्यता एवं अधिकार के प्रति सजगता को विकसित किया। इसके द्वारा ज्ञान एवं योग्यता की शक्ति को पहचाना गया।
आलोचनात्मक शिक्षाशास्त्र वर्तमान में शिक्षा का महत्त्वपूर्ण अवयव है जो कि शिक्षा के प्रत्येक क्षेत्र में प्रवेश कर चुका है। इसमें विद्यार्थी से यह अपेक्षा की जाती है कि वो ज्ञान निर्माण को एक चुनौती के रूप में स्वीकार करें। विद्यार्थी प्रदान किए गए ज्ञान का आलोचनात्मक रूप से विश्लेषण करें। उसके विभिन्न पक्षों की सत्यता एवं वैधता की जाँच करें। सत्यता और वैधता की कसौटी पर खरा उतरने के पश्चात् ही उस ज्ञान को ग्रहण करें। इस प्रक्रिया में उसे समझने के विभिन्न मापदण्डों का उपयोग करना चाहिए। उसे ज्ञान को रटना नहीं है, अपितु उसके विभिन्न पहलुओं को अंगीकार करना है। अतः विद्यार्थी को ज्ञान को चुनौती के रूप में स्वीकार कर ज्ञान के विभिन्न मुद्दों का आलोचनात्मक शिक्षाशास्त्र की सहायता से उसके प्रत्येक पक्ष का मूल्यांकन करना है।
यह उदारवादी शिक्षा का एक महत्त्वपूर्ण अंग है। इसमें सामाजिक रूपान्तरण को शिक्षा का एक महत्त्वपूर्ण तत्त्व माना है। फ्रेरे ने विभिन्न सामाजिक तत्त्वों यथा धर्म, जेण्डर, यौनिकता, राष्ट्रीयता, नैतिकता को शिक्षा में सम्मिलित किया है।
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