ऊर्जा संसाधनों के प्रबन्ध पर टिप्पणी लिखिये ।
ऊर्जा संसाधनों के प्रबन्ध पर टिप्पणी लिखिये ।
उत्तर— ऊर्जा प्राप्ति के संसाधनों में कोयला, खनिज तेल, तापीय विद्युत, जलविद्युत, अणुशक्ति के परम्परागत स्रोत हैं। इन सभी ऊर्जा स्रोतों का समुचित व नियोजित प्रबन्ध वर्तमान युग की आवश्यकता है, क्योंकि इनमें कोयला व खनिज तेल समाप्त हो जाने वाले हैं, पुनर्निर्माण निकट भविष्य में संभव नहीं है। जल विद्युत हेतु बांध बनाने में सावधानियाँ रखना आवश्यक है, जिससे पर्यावरण पर विपरीत प्रभाव न पड़े और अणुशक्ति उच्च तकनीकी पर आधारित एक प्रक्रिया है जिसका उपयोग उचित प्रबन्ध व्यवस्था से ही संभव हो सकता है।
ऊर्जा संसाधन प्रबन्ध –ऊर्जा संसाधनों को विकसित करने, प्रचारित करने और उपयोग करने में प्रबन्धन की भूमिका महत्त्वपूर्ण है। ऊर्जा प्रबन्धन के प्रमुख पक्ष निम्नलिखित हैं—
(i) विद्युत उत्पादन हेतु बांध-निर्माण के लिए उचित स्थल का निर्धारण करना तथा उसके पर्यावरण पर प्रभाव को जाँचना।
(ii) विद्युत के उपयोग पर नियंत्रण
(iii) कोयला व पेट्रोल के उपयोग को सीमित करना ।
(iv) इनके उपयोग से पर्यावरण पर कुप्रभाव न पड़ने देने की व्यवस्था करना ।
(v) ऊर्जा के नये स्रोतों का पता लगाना ।
(vi) ऊर्जा के क्षेत्र में शोध कार्य, ऊर्जा संरक्षण के नवीन उपायों की खोज करना तथा
(vii) ऊर्जा-संरक्षण के प्रति जनजागरण व शिक्षा आदि की व्यवस्था करना ।
(viii) परमाणु संयंत्रों की स्थापना एवं रखरखाव की समुचित व्यवस्था करना जिससे रेडियोधर्मिता का खतरा न हो ।
(ix) ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों का विकास, जिसमें सौर, पवन, ज्वारीय ऊर्जा तथा बायो गैस का प्रचलन ।
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