एम.एच.आर.डी. 2005 क्या है ? वर्णन कीजिए।

एम.एच.आर.डी. 2005 क्या है ? वर्णन कीजिए।

अथवा
मानव संसाधन विकास मंत्रालय के कार्यों का वर्णन कीजिए।
                               अथवा
टिप्पणी लिखिये- मानव संसाधन विकास मंत्रालय, 2005 |
उत्तर – एम.एच.आर.डी. 2005 – 2005 में मानव संसाधन विकास मन्त्रालय द्वारा विशिष्ट बालकों हेतु समावेशी शिक्षा की संशोधित कार्य योजना प्रस्तुत की गई।
भारत के मानव संसाधन विकास मन्त्री श्री अर्जुन सिंह ने 21 मार्च, 2005 में कहा था कि “Inclusive Education of Children and Youth” को मुख्य धारा वाले विद्यालयों के माध्यम से शिक्षा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह शिक्षा PWD, Act 1995 के अनुसार प्रदान की जाएगी तथा देश के सभी विद्यालयों को 2020 तक ‘Disabled Friendly’ बना दिया जाएगा। “इस मिशन के अन्तर्गत सभी उच्च शिक्षण संस्थान चाहे वे सरकारी हों या गैर-सरकारी हों, ब्रॉडबैण्ड के माध्यम से एक दूसरे से जोड़े जाऐंगे। इस संगठन में अयोग्य बालकों की शिक्षा के प्रयास के लिए विशेषज्ञों परामर्शदाताओं, माता-पिता या अभिभावकों, सरकारी निकायों, सरकारी एवं गैर-सरकारी विद्यालय संगठनों को सम्मिलित किया गया।”
MHRD योजना में यह भी सम्मिलित किया गया कि शिक्षा पर व्यय होने वाला धन 75% केन्द्र सरकार वहन करेगी तथा 25% खर्च राज्य सरकार को उठाना पड़ेगा लेकिन केन्द्रीय संस्थानों पर आने वाले खर्च को केन्द्र सरकार स्वयं उठाएगी।
मानव संसाधन विकास मन्त्रालय की संशोधित कार्य-योजनामानव संसाधन विकास मन्त्रालय ने जो संशोधित योजना तैयार की, वह निम्नलिखित प्रकार से हैं—
(1) अक्षम बालकों को शिक्षा की मुख्य धारा में नामांकित करना व उनको शिक्षा प्राप्त करने के लिए रोके रखना।
(2) एकीकरण से समावेशीकरण के आन्दोलन में IEDC व सर्व शिक्षा अभियान जैसे कार्यक्रमों को बढ़ावा देना।
(3) समुदाय, कार्यकर्त्ता, शिक्षा से जुड़े व्यक्तियों, अभिभावकों व बच्चों में इस बात की जागरूकता का विकास करना कि असक्षम बालकों को भी मुख्य धारा में रहने व शिक्षा प्राप्त करने का पूर्ण अधिकार है ।
(4) प्रशासनिक व्यक्तियों का यह कर्त्तव्य है कि वे सुनिश्चित करें कि प्रत्येक स्तर पर असक्षम बालकों को शिक्षा प्राप्त हो।
(5) असक्षम बालकों के लिए मुख्य धारा स्कूलों में आवश्यकता पर आधारित शिक्षा एवं सहायता प्रदान करना जिससे उनके शिक्षण योग्यता एवं अधिगम को पूर्णतया विकसित किया जा सके।
(6) वर्तमान समय में जो आरक्षण की व्यवस्था हो उसे सही ढंग से लागू कर उच्च शिक्षा को बढ़ावा दिया जाए।
(7) उपकरणों व साधनों का विशिष्ट ढंग से वितरण व प्रभावी सम्प्रेषण आदि व्यवस्था करना ।
(8) सर्वांगीण विकास को बढ़ावा देने के लिए खेल-कूद व अन्य पाठ्य-सामग्री क्रियाओं में विशिष्ट आवश्यकताओं वाले बालकों को सहभागी बनाना ।
(9) समावेशी शिक्षा के लिए राष्ट्रीय स्तर पर मापदण्ड विकसित करना ।
(10) समावेशी शिक्षा के लिए विद्यालयी शिक्षकों को कक्षागत परिस्थितियों में विकास के लिए विशिष्ट शिक्षकों के माध्यम से उपयुक्त स्रोत सुविधाएँ उपलब्ध कराना ।
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