केन्द्रीय प्रवृत्ति माप क्या है ? शिक्षा में इनके उपयोग को स्पष्ट कीजिए।

केन्द्रीय प्रवृत्ति माप क्या है ? शिक्षा में इनके उपयोग को स्पष्ट कीजिए।

अथवा

केन्द्रवर्ती मानों से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर — केन्द्रीय प्रवृत्ति की मापों का अर्थ एवं परिभाषाएँ (Meaning and Definitions of Measures of Central. Tendency)—सांख्यिकी में केन्द्रीय प्रवृत्ति का अर्थ है किसी आवृत्ति वितरण में कौन सा आवृत्ति वितरण केन्द्र के पास है। केन्द्रीय प्रवृत्ति के मापों द्वारा एक ऐसे प्राप्तांक का पता लगाया जाता है जो उस समूह के सम्पूर्ण प्राप्तांकों का प्रतिनिधित्व कर सके और समूह के प्राप्तांकों को एक ही प्राप्तांक द्वारा व्यक्त किया जा सके।
संक्षेप में कहा जा सकता है कि वह विधि जिनके द्वारा किसी आंकिक शृंखला के केन्द्रीय प्रवृत्ति का द्योतक, एक अकेला अंक प्राप्त किया जाता है जो केन्द्रीय प्रवृत्ति का माप कहलाता है। केन्द्रीय प्रवृत्ति के माप को प्राय: औसत (Average) कहते हैं अर्थात् “एक ऐसा प्रतिरूपी मूल्य जिसकी ओर अन्य संख्याएँ संकेन्द्रित होती हों, केन्द्रीय प्रवृत्ति की माप कहलाता है। “
केन्द्रीय प्रवृत्ति की माप की प्रमुख परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं—
सिम्पसन के अनुसार, “एक केन्द्रीय प्रवृत्ति का माप वह विशिष्ट मूल्य है जिसके चारों तरफ अन्य अंक संगठित होते हैं या जो अंकों को दो अर्द्ध भागों में विभाजित करता है। “
रॉस के अनुसार, “केन्द्रीय प्रवृत्ति का मान वह मान है जो कि सारे आँकड़ों का श्रेष्ठतम प्रतिनिधित्व करता है। “
डी. कून के अनुसार, “साधारण रूप में केन्द्रीय प्रवृत्ति की माप का अर्थ एक विशेष संख्या से है जिसके निकट अन्य प्राप्तांक भी होते हैं। “
केन्द्रीय प्रवृत्ति माप का शिक्षा में उपयोग—  केन्द्रीय प्रवृत्ति की विभिन्न मापों का शिक्षा में अनुप्रयोग निम्नलिखित हैं—
( 1 ) मध्यमान का उपयोग (Use of Mean)– मध्यमान का उपयोग निम्नलिखित बातों पर निर्भर करता है, जैसे—
(i) जब हमें केन्द्रीय प्रवृत्ति के लिए शुद्ध मान की आवश्यकता होती है तो हम मध्यमान की ही गणना करते हैं।
(ii) जब वितरण में समस्त प्राप्तांकों को समान रूप से महत्त्व दिया जाए तो मध्यमान की गणना की जाती है।
(iii) यदि हमें तो दो या तीन शृंखला के केन्द्रीय प्रवृत्ति की तुलना करनी हो तो हमें मध्यमान की ही गणना करनी होती है।
(iv) जब मध्यमान की सहायता से बहुलांक, मानक विचलन आदि की गणना करनी हो ।
( 2 ) मध्यांक का उपयोग (Use of Median)– मध्यांक का उपयोग निम्नलिखित बातों पर निर्भर करता है, जैसे—
(i) जब अंकों का वितरण विकृत तथा असामान्य हो ।
(ii)  जब आवश्यकता के अनुसार जल्दी ही केन्द्रीय प्रवृत्ति को जानना हो।
(iii) जब मध्यांक की सहायता से बहुलांक की गणना करनी हो ।
 (iv) जब वितरण के वास्तविक मध्य बिन्दु की आवश्यकता हो ।
(3) बहुलांक का उपयोग (Use of Mode) –बहुलांक का उपयोग निम्नलिखित बातों पर निर्भर करता है, जैसे—
(i) जब केन्द्रीय प्रवृत्ति की माप बहुत ही शीघ्रता से तथा केवल अनुमान मात्र की जानकारी प्राप्त करनी हो तो बहुलांक ज्ञात करना बहुत आसान हो जाता है।
(ii) जब अंकों का वितरण पूर्ण रूप से अपूर्ण हो अर्थात् वितरण प्रणाली के कुछ अंक या वर्गान्तर छूट गए हों।
(iii) व्यापार तथा वाणिज्य आदि जगहों पर बहुलांक को बहुत ज्यादा वरीयता प्रदान की जाती है।
(4) गुणोत्तर मध्यमान का उपयोग (Use of Geometric Mean)— गुणोत्तर मध्यमान का उपयोग उन स्थानों पर किया जाता है जहाँ किसी घटना के बढ़ते हुए क्रम का अध्ययन करने की आवश्यकता होती है या किसी चल राशि के सम्बन्ध में होने वाले उतार-चढ़ाव की आवश्यकता हो ।
(5) हरात्मक मध्यमान का उपयोग (Use of Harmonic Mean)— हरात्मक मध्यमान का उपयोग उन स्थानों पर किया जाता है जहाँ कोई भी कार्य एक समय-सीमा के अन्तर्गत आता हो या हम यह कह सकते हैं कि यदि चरों का अध्ययन एक निश्चित समय-सीमा के अन्तर्गत आता है, वहाँ हरात्मक मध्यमान की गणना की जाती है ।
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