क्या भारतीय समाज के सामाजिक विभेद समाज में संघर्ष ‘कारण है? व्याख्या करें।
क्या भारतीय समाज के सामाजिक विभेद समाज में संघर्ष ‘कारण है? व्याख्या करें।
उत्तर- भारत जैसे विशाल देश में विविधता स्वभाविक है। एक क्षेत्र में वाले विभिन्न जाति, धर्म, भाषा, संप्रदाय के लोगों के बीच विभिन्नताएँ होती सामाजिक विभेद कहलाती है। विभेद, को राष्ट्र की जीवन शक्ति बनाने के विविधता में एकता, सामंजस्य, सहिष्णुता और सहयोग स्थापित करने की आवा होती है। परंतु ये विभेद जब वंश, रंग, जाति, धर्म, संप्रदाय, धन, क्षेत्र के पर सामाजिक विभाजन, पृथकता और प्रतिद्वंद्विता का रूप ले लेते हैं तब पार संघर्ष का कारण बन जाते हैं। अपनी पहचान के प्रति आग्रह और दूसरे के दुराग्रह की भावना राष्ट्रीय पहचान के ऊपर अपनी पहचान और राष्ट्रहित से अपने समुदाय, जाति, धर्म, क्षेत्र, भाषाई हित की प्राथमिकता समाज में संघ जन्म देती है। इनमें सामंजस्य का प्रयास राष्ट्रीय एकता और राष्ट्रीयता को मत प्रदान करता है। राष्ट्रीय पहचान को सुदृढ़ कर. संघर्षों की स्थिति को समाप्त किया जा सकता है।