ग्रेडिंग प्रणाली क्या है ?
ग्रेडिंग प्रणाली क्या है ?
उत्तर- ग्रेडिंग भारतीय शिक्षा प्रणाली में सत्र 2009-10 में ग्रेडिंग प्रणाली की शुरुआत के साथ शिक्षा प्रणाली को पुनः जीवित करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम आगे बढ़ाया। इसके द्वारा परीक्षा के दौरान छात्रों पर दबाव को कम करने में सहायता मिलेगी। पिछले वर्षों के दौरान छात्रों के लिए शिक्षा का अर्थ ज्ञान के स्थान पर मात्र अंकों को प्राप्त करना था, इसी के परिणामस्वरूप इस तरह की नीतियों को बनाने की व्यवस्था हुई। सी.बी.एस.ई. ने कक्षा 6 से 10 तक के बच्चों के लिए यह प्रणाली प्रारम्भ की है। इस प्रणाली द्वारा परीक्षा पढ़ाई के बोझ को कम करने में सहायता मिलेगी क्योंकि इसके अन्तर्गत छात्रों को सत्र के दौरान केवल एक नहीं बल्कि कई परीक्षाओं से गुजरना पड़ेगा। ग्रेडिंग प्रणाली का उद्देश्य बालकों का सम्पूर्ण विकास करना है। यदि छात्र किसी एक विषय या क्षेत्र में दक्ष होता है तो उसे उसी क्षेत्र में प्रोत्साहित किया जाता है। यदि बालक शैक्षिक रूप से कमजोर होता है तो उसे कला, खेल-कूद आदि में अच्छे अंक अथवा ग्रेड प्राप्त हो जाते हैं ।
अंकन प्रणाली कमियों को दूर करने के लिए माध्यमिक शिक्षा आयोग (1952-1953) तथा शिक्षा आयोग (1964-66) ने अंकों के स्थान पर ग्रेड प्रणाली का सुझाव दिया।
विषय विशेषज्ञों एवं परीक्षा सुधार विशेषज्ञों ने ग्रेड प्रणाली को आरम्भ करने के लिए सिफारिश की। उनका मानना है कि इसके द्वारा आंकिक प्रक्रिया की त्रुटियों को कम किया जा सकता है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने सन् 1975 और 1976 में कार्यशालाएँ आयोजित की और इसके आधार पर 7 बिन्दु ग्रेड प्रणाली अपनाने का प्रावधान किया गया। ये सात बिन्दु ग्रेड कहे गए जो कि O, A, B, C, D, E और F हैं।
परीक्षक प्राप्तांकों के आधार पर प्रत्यक्ष रूप से ग्रेड प्रदान कर सकते हैं और आवश्यकता पड़ने पर इन प्राप्तांकों को सामान्य संभाव्यता वक्र (NPC) के आधार पर 7 भागों में बांट सकते हैं। विभिन्न विषयों में न्यूनतम ग्रेड औसत परीक्षा परिषद् अथवा विश्वविद्यालय निर्धारित कर सकता है। सामान्यतया न्यूनतम औसत ग्रेड सम्पूर्ण पाठ्यचर्या के लिए 2 या D होना चाहिए, न्यूनतम 2 या D ग्रेड प्राप्तांक छात्रों को ही अगली कक्षा में भेजने का प्रावधान होना चाहिए। यदि कोई छात्र किसी विषय में D से कम तथा अन्य विषय में D से उत्तम है तो उसे अगली कक्षा में इस शर्त पर भेजा जाना चाहिए कि D से कम वाले औसत ग्रेड के विषय को वह अगले वर्ष उत्तीर्ण कर लेगा।

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