चिन्तनशील अभ्यास के सिद्धान्त समझाइये ।

चिन्तनशील अभ्यास के सिद्धान्त समझाइये ।

उत्तर— चिन्तनशील अभ्यास के सिद्धान्त–चिन्तनशील अभ्यास के सिद्धान्त निम्नलिखित हैं—
(1) प्रतिबिम्ब बनाना – चिन्तनशील अभ्यास की क्षमता है एक प्रतिबिम्ब बनाना उस क्रिया के लिए जिससे निरन्तर सीखने की प्रक्रिया चले ।
(2) आत्मवाचक बनाना – चिन्तनशील अभ्यास प्रायोगिक एवं सैद्धान्तिक मूल्यों के आत्मवाचक एवं प्रतिबिम्बित अभ्यास के लिए एक अति महत्त्वपूर्ण क्रिया है। अनुभव के साथ-साथ चिन्तनशील होना भी आवश्यक है।
(3) अर्थग्रहण करना – शिक्षक अपने छात्र को उसके भूतकाल के आधार पर नहीं वरन् उसके भावों, अनुभवों, क्रियाओं एवं प्रतिक्रियाओं को प्रयोग करते हुए उसके वर्तमान ज्ञान को उच्च स्तर पर ले जाए ।
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