जातिगत रूढ़िवादिता एवं पूर्वाग्रह के कारण बताइये ।
जातिगत रूढ़िवादिता एवं पूर्वाग्रह के कारण बताइये ।
उत्तर– जातिगत रूढ़िवादिता एवं पूर्वाग्रह के कारण – जातिगत रूढ़िबद्धता के प्रमुख कारण एवं प्रभाव निम्नलिखित हैं—
(1) जातिगत कार्य – पुराने समय में गुण आधारित कार्य विभाजन था लेकिन धीरे-धीरे लोगों में यह धारणा बन गई कि जन्म के आधार पर ही कार्य विभाजन होना चाहिए जिससे लोगों की यह जातिगत रूढ़िबद्धता बन गई। इस रूढ़िबद्धता का प्रभाव यह हुआ कि निम्न वर्ग निम्न ही रह गया तथा उच्च वर्ग उच्च ।
(2) श्रेष्ठता एवं सत्ता की भावना – जातिगत रूढ़िबद्धता का एक कारण उच्च वर्ग में श्रेष्ठता की भावना एवं स्वयं की सत्ता को उच्च मानना है जिसके फलस्वरूप लोगों में यह धारणा सदैव बनी रहती है एवं निम्न वर्ग में भिन्नता की धारणा पनप जाती है।
(3) सामाजिक स्थिति में वृद्धि–अपनी सामाजिक स्थिति में वृद्धि के लिए समाज का उच्च वर्ग निम्न वर्ग का शोषण तथा नियंत्रण करने लगता है जिससे समाज का उच्च वर्ग और उच्च तथा निम्न वर्ग और निम्न हो जाता है। मनुष्य में उच्च स्थिति की भूख उसमें सभी वर्गों को पछाड़ने की रूढ़िबद्धता को जन्म देती है जिसके कारण जातिगत रूढ़िबद्धता को बल मिलता है। .
(4) आनुवांशिकता आधारित व्यवसाय – लोगों में व्यवसायगत रूढ़िबद्धता यह भी होती है कि एक शुद्र का व्यवसाय साफ सफाई करना होता है तो उसका पुत्र भी वही व्यवसाय अपनाएगा। इस रूढ़िबद्धता के कारण निम्न वर्ग प्रगति तथा विकास की ओर अग्रसर नहीं हो पाते तथा उच्च वर्ग के लोग जातिगत रूढ़िबद्धता को त्याग नहीं पाते।
(5) अस्पृश्यता एवं छुआछूत की भावना – समाज में अस्पृश्यता तथा छुआछूत की भावना प्राचीन समय से स्थित है एवं यही रूढ़िवादिता उनमें आज भी है तथा समाज के प्रत्येक स्तर पर यह भावना देखने को मिलती है। इसका प्रभाव यह है कि निम्न वर्गों की बस्तियाँ समाज से विलग होती हैं एवं उनमें बर्तन इत्यादि भी अलग होते हैं।
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