जिम्नास्टिक में कौन-कौनसे व्यायाम किये जाते हैं?

 जिम्नास्टिक में कौन-कौनसे व्यायाम किये जाते हैं? 

उत्तर—  जिम्नास्टिक में निम्नलिखित व्यायाम किये जाते हैं—

(1) आगे लुढ़कना — यह अत्यन्त सरल व्यायाम है। गद्दे पर दोनों पैर मिलाकर खड़े हो जायें। दोनों हाथ जमीन के समानान्तर सामने फैलायें । घुटनों से थोड़ा झुकें। अब दोनों हथेलियाँ गद्दे पर रखें। गर्दन को भुजाओं के बीच अन्दर की तरफ मोड़ते जायें। कोहनियों को मोड़ते हुए कन्धे एवं कमर के बल पर आगे लुढ़क जायें। घुटने छाती के साथ मिलाकर रखें। सीधे होने पर खड़े हो जायें। साधारणतया हम इस क्रिया को सीधी कलाबाजी लगाना भी कहते हैं ।
(2) पीछे लुढ़कना — गद्दे के विरुद्ध दिशा में मुँह करके, पैर मिलाकर सीधे खड़े हो जायें। अब कमर तथा गर्दन आगे की ओर झुकाते हुए हाथों को धीरे-धीरे पैरों के समीप बढ़ाते हुए क्रमश: जंघाएँ, नितम्ब, कमर, पीठ एवं कन्धों को गद्दे पर लुढ़कायें । अब हाथों को कोहनियों से मोड़कर हथेलियों को कंधों के पास स्थापित करें। अब पीछे की ओर पलटें। पैर खोलें एवं हाथों का सहारा लगाते हुए खड़े हो जायें। विशेष ध्यान देने योग्य बात यह है कि टाँगें घुटनों से कदापि न मुड़ें तथा पैर के पंजे खिंचे हुए हों। खुले पैरों से खड़े होने के पश्चात् उछलकर दोनों पैरों को मिला लें और सीधे हो जायें ।
(3) सिर के बल कलाबाजी — तीन-चार कदम दूर से दौड़ते हुए गद्दे के निकट आयें। दोनों हथेलियाँ गद्दे पर स्थापित करें। सिर को दोनों हाथों के मध्य गद्दे पर टिकायें। कमर से झटका (Flick) मारकर पलट खा जायें एवं घुटने मोड़कर दोनों पैर गद्दे पर टिकायें । शरीर का सन्तुलन बनाये रखते हुए सीधे खड़े हो जायें। दोनों पैर मिले रहने चाहिये। इस व्यायाम को थोड़ी दूरी से दौड़कर करने से अच्छा स्विंग मिलता है।
(4) एक टाँग पर सन्तुलन — विभिन्न प्रकार के व्यायामों में शरीर सन्तुलन की आवश्यकता होती है। शरीर सन्तुलन के कई व्यायाम हैं, उन्हीं में से हॉरीजोण्टल बैलेंस एक है। दोनों पैर मिलाकर सामान्य स्थिति में खड़े हों। घुटना सीधा रखते हुए बायें पैर के पंजे को खींचते हुए धीरे-धीरे पीछे ले जायें। दोनों कोहनियाँ सीधे रखते हुए, हथेलियों का रुख जमीन की ओर करते हुए भुजाओं को धीरे-धीरे आगे की ओर झुकायें। गर्दन एवं रीढ़ की हड्डी सीधी रखें। करीब 45° का कोण बनाते हुए कुछ समय तक रुकें। फिर धीरे-धीरे सामान्य स्थिति में आयें।
(5) डाइव — जैसा कि आपने आगे लुढ़कने का व्यायाम सीखा है, डाइव भी उससे मिलता-जुलता व्यायाम है। सबसे पहले गद्दे से करीब 5 मीटर दूर सीधे खड़े हो जायें। वहाँ से दौड़ते हुए आयें। गद्दे के निकट पहुँचने पर दोनों पैरों से ऊपर उछलें। शरीर को आगे झुकाते हुए पहले हथेलियाँ गद्दे पर स्थापित करें। तत्पश्चात् फ्रन्ट रोल की समस्त क्रियाएँ दोहरायें। यह व्यायाम सीखने के लिये पहले एक स्थान पर खड़े होकर डाइव लगाने का अभ्यास करें।
(6) हैड स्टैन्ड – यह अत्यन्त सरल व्यायाम है। दोनों हथेलियों को पृथ्वी की ओर रखते हुए कन्धे से भुजाओं को पृथ्वी के समानान्तर कर लें। अब हथेलियाँ पृथ्वी पर स्थापित कर किसी एक पैर से स्विंग लेते हुए, दोनों पैरों को ऊपर हवा में स्थापित कर लें। आपके शरीर का सारा भार हथेलियों पर रहना चाहिये । हवा में पैरों को मिला लें। कुछ समय तक रुकें, धीरे-धीरे एक पैर को पीछे से नीचे लायें, उसके पीछेपीछे दूसरे पैर को भी पृथ्वी पर लायें और सीधे खड़े हो जायें। यह क्रिया हैड स्टैन्ड कहलाती है ।
(7) कार्ट व्हील – कार्ट व्हील का अर्थ है— गाड़ी का पहिया । हमें अपने शरीर द्वारा फर्श पर इस प्रकार की क्रिया करनी है मानो गाड़ी का पहिया आगे की ओर बढ़ रहा है। पूर्व में यह क्रिया एक स्थान पर में खड़े होकर प्रारम्भ करनी चाहिये। तत्पश्चात् अभ्यास होने पर दो कदम लेकर करनी चाहिये। सबसे पहले दोनों हाथ सीने के सामने पृथ्वी के समानान्तर ले जाकर हथेलियों का रुख नीचे की ओर करें। बायीं टाँग को घुटने से मोड़ते हुए घुटने से ऊपर वाले टाँग के हिस्से को पृथ्वी के समानान्तर कर लें। कमर से स्विंग देते हुए दोनों हथेलियों को बारी-बारी से पृथ्वी पर कुछ फासलों पर रखें एवं उठे हुए पैर को भी पृथ्वी पर रखें । अब दूसरी टाँग को स्विंग देते हुए ऊपर हवा में ले जायें। साथ ही पृथ्वी पर रखे हुए पैर को भी ऊपर हवा में पहले पैर से अलग रखते हुए ले जायें। धीरे-धीरे दोनों पैरों को बारी-बारी से पृथ्वी पर दूसरी ओर स्थापित करें। इस प्रकार एक चक्र पूरा होता है । अभ्यास के पश्चात् लगातार दो, तीन, चार अथवा अधिक चक्र लगा सकते हैं।
(8) पैरेलल बार — पैरेलल बार पर कई प्रकार के व्यायाम किये जाते हैं। इनमें से कुछ व्यायाम इस प्रकार हैं—(1) पैरेलल बार के एक सिरे के पास खड़े हो जायें। हाथों से दोनों छड़ों की कोहनियाँ मोड़कर पकड़ें। पैरों को जमीन पर सीधे रखें। कमर से झटका देते हुए कोहनियों को सीधा करें। आपका शरीर दोनों छड़ों के बीच झूलता रहे। अब एक हाथ उठाकर उसी छड़ पर आगे रखें। फिर दूसरे हाथ को उसी छड़ पर ही आगे बढ़ायें। इस प्रकार दूसरे छोर तक बढ़ते चले जायें। अन्त में स्विंग कर गद्दे पर कूद जायें । यह पैरेलल बार पर चलना कहलाता है। (2) पहले बताये गये (1) व्यायाम के अनुसार दोनों हाथों पर झूलें । स्विंग के साथ दोनों पैरों को अपने हाथों के आगे दोनों छड़ों पर फैला दें।
घुटने एवं पंजे खिंचे हुए रहने चाहिये। इसके पश्चात् हाथों को उठाकर आगे रखें। दोनों टाँगें पीछे से निकालकर स्विंग कराते हुए फिर हाथों के आगे स्थापित करें। यही क्रिया दोहराते हुए दूसरे छोर तक पहुँचें। अन्त में टाँगों को स्विंग कराते हुए गद्दे पर कूद जायें (लैंड करें)। यह पैरेल बार पर चढ़ना कहलाता है। (3) पैरेलल बार की दोनों छड़ों को बीच से पकड़ें। उछल कर हाथों के बल झूल जायें। कोहनियाँ, घुटने एवं पंजे सीधे होने चाहिये। धीरे-धीरे स्विंग लें तथा कमर की सहायता से झूलें। घुटनों एवं कोहनियों को न मोड़ें। आगे जाते समय सीना आगे निकलना चाहिये। पहले 5 बार करें, धीरे-धीरे इसमें वृद्धि करें। अन्तिम बार आगे बढ़ने पर उठ लें एवं कूद कर गद्दे पर आ जायें। इसे झूला (Swing) कहते हैं। (4) पैरेलल बार की छड़ों के बीच से थोड़ा पीछे पकड़ कर हाथों के बल झूल जायें। टाँगों से स्विंग लेकर दोनों पैर फैलाकर, हाथों से आगे, दोनों छड़ों पर स्थापित करें। हाथों को आगे स्थापित करें। धीरेधीरे सिर को आगे छड़ों के बीच झुकायें, कन्धों को छड़ों पर टिकायें। सिर को अन्दर की तरफ करते जायें। कमर को आगे करते हुए रोल करें। टाँगों को पुन: फैलाकर हाथों को आगे ले जायें। यही क्रिया दूसरी बार करें। अन्त में स्विंग के साथ उछलकर गद्दे पर कूदें। इसे सामने का रोल (Front roll) कहते हैं ।
(9) पिरामिड – इस व्यायाम में कई खिलाड़ी एक साथ भाग लेते हैं। इस व्यायाम में खिलाड़ी ऐसी मुद्राएँ बनाते हैं कि दर्शक वाह! वाह ! कह उठते हैं। इस व्यायाम के खिलाड़ी का शरीर मजबूत, लचीला तथा फुर्तीला होना चाहिये । इस व्यायाम में तालमेल, एकाग्रता तथा सन्तुलन आदि की अत्यन्त आवश्यकता होती है। पिरामिड मुद्राएँ कई प्रकार से बनायी जा सकती हैं।
(10) वॉल्टिंग बॉक्स या हॉर्स — वॉल्टिंग बॉक्स को हिन्दी में गद्देदार घोड़ा कहते हैं। यह 1.63 मीटर लम्बा, 8.5 मीटर चौड़ा एवं 1.20 मी. ऊँचा होता है। इस बॉक्स को पार करने के लिए इसके सहारे स्प्रिंग बोर्ड रखा जाता है। खिलाड़ी दूर से दौड़कर आता है। नजदीक पहुँचने पर ऊपर उछलता है तथा दोनों पैरों को मिलाकर पंजों के बल स्प्रिंग बोर्ड पर जोर से गिरता है, तब स्प्रिंग बोर्ड उसे ऊपर उछाल देता है। खिलाड़ी वॉल्टिंग बॉक्स पर हथेलियाँ रखते हुए, उसे पार करता हुआ दूसरी ओर बिछे हुए गद्दों पर सीधा खड़ा हो जाता है। इस प्रकार हम वॉल्टिंग बॉक्स की क्रियाओं को चार भागों में बाँटते हैं— (1) दौड़ना (Running), (2) कुदान की पूर्व तैयारी (Take off), (3) कूदना (Vault) तथा (4) अन्त (Landing) |
( 11 ) सन्तुलन बीम—इसे सन्तुलन बीम (Balancing beam) भी कहते हैं। जैसा कि नाम से स्पष्ट होता है, बीम के व्यायाम शारीरिक सन्तुलन बनाये रखने के लिये होते हैं। बीम 5 मी. लम्बा, 1.20 मी. ऊँचा तथा 10 सेमी. चौड़ा होता है। बीम पर कई प्रकार के व्यायाम किये जाते हैं। इस कक्षा में हम निम्नलिखित व्यायाम सीखेंगे—
(i) बीम पर चढ़ना – हमेशा बीम के एक सिरे पर चढ़ना चाहिये । बीम पर कई प्रकार से चढ़ा जाता है। हाथों के सहारे, उछल कर, स्प्रिंग बोर्ड की सहायता से तथा अन्य कई प्रकार से बीम पर चढ़ा जाता है। इसके लिये अभ्यास की आवश्यकता होती है ।
(ii) बीम पर से उतरना – बीम पर चढ़ने के पश्चात् उस पर विभिन्न प्रकार के व्यायाम किये जाते हैं । इन व्यायामों की समाप्ति पर बीम पर से नीचे उतरते हैं। बीम पर से उतरने के कई तरीके हैं। सीधे उतरना, हवा में आगे कलाबाजी खाकर, उल्टी कलाबाजी खाकर तथा अन्य कई प्रकार से बीम पर से उतरा जाता है।.
(iii) तालबद्ध कदम से चलना – बीम पर एक सिरे से चढ़कर खड़े हो जायें। दोनों हाथ साईड में कंधों की ऊँचाई तक जमीन के समानान्तर फैला दें। हथेलियाँ जमीन की तरफ हों। पूरे पैर टिकाते हुए धीरे-धीरे एक सिरे से दूसरे सिरे चल कर जायें । यही क्रिया तेज गति से चलकर करें । यही क्रिया पंजों के बल चलकर करें। आपके कदम तालबद्ध होने चाहिये ।
(12) हॉरीजेण्टल बार — यह एक धातु की गोल छड़ होती है, जो 28 मि.मी. व्यास की होती है। यह तीन मीटर लम्बी होती है तथा पृथ्वी से 2.5 मीटर ऊँचाई पर स्थापित की जाती है। इस छड़ को उछलकर दोनों हाथों से पकड़कर झूल जाते हैं । इस छड़ पर कई प्रकार के व्यायाम किये जाते हैं। आगे पीछे झूलना (Swing movements), पुल अप्स (Pull-ups) तथा पकड़ बदलना आदि। हॉरीजेण्टल बार के व्यायाम सरल होते हैं, लेकिन इनमें भी अत्यन्त अभ्यास की आवश्यकता होती है। प्रशिक्षक की अनुपस्थिति में जिम्नास्टिक का कोई भी व्यायाम नहीं करना चाहिए।
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