ज्ञान के स्रोत के रूप में समाज की भूमिका स्पष्ट कीजिए।

ज्ञान के स्रोत के रूप में समाज की भूमिका स्पष्ट कीजिए।

उत्तर– ज्ञान के स्रोत के रूप में समाज की भूमिका– मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। परिवार के सदस्य होने के अतिरिक्त बाह्य संसार के लोगों के साथ मिलता-जुलता, अपने अनुभव बाँटता है। सभी कानून, दिशा-निर्देश, विधान समाज में रहने वाले उसके सदस्यों के लिए है। हर समाज की कुछ परम्पराएँ एवं नीतियाँ होती हैं जिन्हें उस समाज में रहने वाले सभी सदस्यों को पालन करना होता है। सभी समाज अपनी एक सांस्कृतिक विरासत रखते हैं जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को संप्रेषित होती है। इस हेतु समाज के लोगों का शिक्षित होना आवश्यक है। स्कूल एवं घर इस विरासत के संप्रेषण में सहायक होते हैं, लेकिन समाज स्वयं में शिक्षा का एक प्रभावशाली अभिकरण है। समाज निरन्तर बदलता रहता है, इसका कोई स्थाई स्वरूप नहीं है तथा यह गतिमान है। समाज के परिवर्तनों की स्कूलों और इनके शैक्षणिक कार्यक्रम में अंतर्किया
होनी आवश्यक है। स्कूल एक ऐसा विशिष्ट वातावरण है जिसे समाज द्वारा दी गई प्रत्येक चीज को स्वीकार करते हुए प्रसार, संरक्षण तथा संप्रेषण देना है।
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