झारखण्ड में शिक्षा एवं स्वास्थ्य

झारखण्ड में शिक्षा एवं स्वास्थ्य

> राज्य में शिक्षा का ऐतिहासिक स्वरूप

> झारखण्ड में शिक्षा के विकास में ईसाई मिशनरियों का उल्लेखनीय योगदान है।
> झारखण्ड राज्य में सर्वप्रथम गॉस्सनर इवेंजलिकल लुथरन ईसाई मिशन आया था, जिसने रांची 1845 ई. में इवेंजलिकल लुथरेन चर्च ने रांची में एक विद्यालय की स्थापना की थी।
> 1856 ई. में गॉस्सनर मिशन द्वारा रांची गॉस्सनर उच्च विद्यालय की स्थापना की गई। गॉस्सनर इवेंजलिकल लुथरेन मिशन द्वारा 1864 ई. तक 11 विद्यालय खोले गए ।
> हजारीबाग में 1892 ई. में डब्लिन यूनिवर्सिटी मिशन की स्थापना हुई। इस मिशन ने जुलाई, 1899 में हजारीबाग में सेन्ट कोलम्बा कॉलेज खोला तथा वर्ष 1904 में इस कॉलेज को स्नातक स्तर की मान्यता मिली।
> वर्ष 1920 में इस मिशन ने हजारीबाग में सेन्ट किरण कन्या महाविद्यालय की स्थापना की तथा यह राज्य का पहला डिग्री कॉलेज था ।
> आदिम सेवा मण्डल की स्थापना वर्ष 1940 को हुई थी।
> इसकी स्थापना राजेन्द्र प्रसाद के अनुरोध पर हुई थी। इसका उद्देश्य खादी वस्त्र एवं शिक्षा का विस्तार करना था, जिससे आदिवासी समुदाय को शिक्षा प्रदान कर उसे समाज की मुख्य धारा से जोड़ना था ।
> संविधान के प्रावधानों के अन्तर्गत वर्ष 1968 में राष्ट्रीय शिक्षा नीति बनाई गई, जिसे बाद में संविधान में संशोधन कर राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 1992 को लागू किया गया।

> राज्य में प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा

> राज्य में विद्यालयों को सरकारी विद्यालय, निजी विद्यालय व मदरसा में बाँटा गया है ।
> शिक्षा का अधिकार 2002 के अन्तर्गत राज्य के गाँवों में प्रत्येक 1 किमी की दूरी पर प्राथमिक विद्यालय की स्थापना की गई।
> राज्य में माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए प्रत्येक 3 किमी की दूरी पर विद्यालय की स्थापना का प्रावधान है।
> राज्य के प्रमुख विद्यालय
> राज्य के प्रमुख विद्यालयों का वर्णन निम्न है
> सैनिक विद्यालय इसकी स्थापना वर्ष 1963 को कोडरमा जिले में तिलैया नामक स्थान पर की गई थी। इसकी स्थापना का मुख्य उद्देश्य रक्षा सेवा के लिए विद्यार्थियों को मानसिक और शारीरिक स्तर पर तैयार करना है ।
> नेतरहाट विद्यालय इसकी स्थापना वर्ष 1954 में चार्ल्स नेवियर द्वारा लातेहार जिले में की गई थी। यह विद्यालय गुरुकुल शिक्षा पद्धति पर आधारित है। इसमें छात्रों का चयन प्रतियोगिता परीक्षा के आधार पर होता है ।

> राज्य में शिक्षा से सम्बन्धित योजनाएँ

> झारखण्ड में संचालित शिक्षा से सम्बन्धित योजनाओं का वर्णन निम्न है
> मध्याह्न भोजन योजना
> यह योजना 15 अगस्त, 1995 को शुरू की गई। प्रारम्भ में यह योजना सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालयों और शिक्षा गारण्टी योजना एवं वैकल्पिक तथा नवीन शिक्षा स्कीमों के तहत चलाए जा रहे केन्द्रों में शिक्षा प्राप्त करने वाले प्राथमिक स्तर (कक्षा 1 से 5) तक के सभी बच्चों के लिए थी, किन्तु अक्टूबर, 2007 से शिक्षा के उच्च प्राथमिक स्तर (कक्षा 5 से 8) तक के बच्चों को भी शामिल कर लिया गया है।
> कार्यक्रम के अन्तर्गत प्राथमिक स्तर के बच्चों को 450 कैलोरी और 12 ग्राम प्रोटीन तथा प्राथमिक स्तर से ऊपर के बच्चों के लिए 700 कैलोरी और 20 ग्राम प्रोटीन का पोषाहार निश्चित किया गया है।
> ऑपरेशन ब्लैक बोर्ड
> वर्ष 1987-88 में केन्द्र सरकार द्वारा प्रायोजित यह योजना झारखण्ड राज्य बनने के बाद झारखण्ड सरकार द्वारा भी संचालित की जा रही है।
> इस योजना के अन्तर्गत राज्य के सभी प्राथमिक विद्यालयों में चरणबद्ध तरीके से आवश्यक सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाती है।
> प्रत्येक मौजूदा प्राथमिक विद्यालय में दो बड़े कमरे, कम-से-कम दो शिक्षकों और जरूरी शिक्षण सामग्री की व्यवस्था करना इस योजना का मुख्य अंग है।
> सर्वशिक्षा अभियान
> प्राथमिक शिक्षा को व्यापक बनाने के लिए राज्य में वर्ष 2001 में सर्वशिक्षा अभियान की शुरुआत की गई।
> केन्द्र प्रायोजित इस योजना के अन्तर्गत राज्य के 6 से 14 वर्ष तक की आयु के सभी बच्चों को 8वीं कक्षा तक की निःशुल्क और गुणवत्तापरक प्राथमिक शिक्षा उपलब्ध कराई जाती है ।
> यह योजना पूरे झारखण्ड में लागू है। सर्व शिक्षा अभियान के अन्तर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में कम्प्यूटर शिक्षा प्रदान कर डिजिटल डिवाइड को समाप्त करने का प्रयास किया जा रहा है। केन्द्र सरकार द्वारा ‘शिक्षा गारण्टी योजना’ सर्वशिक्षा अभियान के एक भाग के रूप में चलाई जा रही है ।
> साइकिल वितरण की योजना 
> यह योजना 2002 में प्रारम्भ की गई थी। राज्य सरकार द्वारा सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों की छात्राओं में उच्च विद्यालय की शिक्षा के प्रोत्साहन के लिए योजना शुरू की गई है, जिससे अवस्थित उच्च विद्यालयों तक दूर सुविधाजनक रूप से जाकर अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक वर्गों की छात्राएँ शिक्षा प्राप्त कर सकें।
> इस योजना का लाभ पाने के लिए सम्बन्धित प्रधानाध्यापकों के माध्यम से आवेदन जिला कल्याण पदाधिकारी को प्राप्त होता है, जहाँ से साइकिल वितरण भी कराया जाता है ।
> कस्तूरबा गाँधी बालिका विद्यालय योजना
> यह योजना वर्ष 2004 में केन्द्र सरकार द्वारा गरीब और आरक्षित जाति की छात्रा को आवासीय शिक्षा उपलब्ध कराने हेतु प्रारम्भ की गई ।
> राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान
> यह केन्द्र पोषित योजना है, जो वर्ष 2009 में प्रारम्भ की गई थी ।
> इसका उद्देश्य माध्यमिक शिक्षा की पहुँच को बढ़ाना तथा इसकी गुणवत्ता में सुधार लाना है ।
> इसके अन्तर्गत बालिका आवास, कम्प्यूटर शिक्षा, दिव्यांग शिक्षा जैसी सुविधाएँ उपलब्ध कराई जा रही हैं।
> शिक्षा गारण्टी योजना
> यह योजना 2010 में लागू की गई थी। यह योजना स्कूल न जाने वाले बच्चों को प्राथमिक शिक्षा के दायरे में लाने के लिए शुरू की गई ।
> स्कूल न जाने वाले प्रत्येक बच्चे को इस योजना में ध्यान में रखकर कार्यक्रम बनाया गया है।
> मुख्यमन्त्री विद्यालक्ष्मी योजना
> यह योजना वर्ष 2015 में प्रारम्भ की गई थी । इस योजना के अन्तर्गत 75,000 अनुसूचित जनजाति और 45,000 अनुसूचित जाति की बालिकाओं को कवर किया गया हैं ।
> योजना के अन्तर्गत चयनित बालिकाओं के लिए बैंक अथवा डाकघर में एकाउण्ट खोला गया और ₹2000 जमा किए गए। यह योजना बालिकाओं के स्कूलों में उपस्थिति बढ़ाने एवं प्रोत्साहित करने के लिए चलाई गई है।
> झारखण्ड बालिका आवासीय योजना 
> यह योजना वर्ष 2015 में गरीब व आरक्षित जाति की मेधावी छात्राओं को 12वीं तक की आवासीय शिक्षा प्रदान करने हेतु प्रारम्भ की गई थी।
> इस योजना के अन्तर्गत वर्तमान में झारखण्ड में 57 बालिका आवासीय विद्यालय संचालित हैं।
> आकांक्षा योजना
> यह योजना वर्ष 2016 में शुरू की गई। इसके तहत झारखण्ड के सरकारी विद्यालयों में नामांकित छात्र-छात्राओं को तकनीकी संस्थानों में प्रवेश हेतु निःशुल्क कोचिंग की व्यवस्था तथा रोजगार के मार्गदर्शन की भी व्यवस्था है।
> इसके अन्तर्गत कक्षा-9 से 12 तक के छात्रों को ही शामिल किया गया है।
> बाल समागम
> यह समागम वर्ष 2016 को खेलगाँव, रांची में आयोजित हुआ। जिसके तहत बच्चों को शिक्षण के साथ-साथ, खेलकूद, पेण्टिंग, सांस्कृतिक कार्यक्रम में भाग लेने हेतु जागरूक किया गया ।
> इसमें 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों को शामिल किया गया था।
> मुख्यमन्त्री शैक्षिक भ्रमण योजना 
> यह योजना वर्ष 2017 में शुरू की गई। इसके तहत चार चरणों में माध्यमिक एवं उच्चतर माध्यमिक कक्षा के छात्र-छात्राओं को राज्य के बाहर शैक्षिक भ्रमण के लिए भेजा जाएगा।
> पहाड़िया दिवाकालीन विद्यालय
>  इस प्रकार के कुल 32 विद्यालय सन्थाल परगना प्रमण्डल के अन्तर्गत दुमका, साहेबगंज, गोड्डा एवं पाकुड़ जिलों में संचालित हैं।
> इन विद्यालयों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को पठन-पाठन सामग्री के अतिरिक्त दोपहर का भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है। इनमें कुल 1,600 विद्यार्थियों के पठन-पाठन की व्यवस्था है।
> कम साक्षरता वाले क्षेत्रों में एजूकेशनल कॉम्प्लेक्स
> भारत सरकार की शत-प्रतिशत प्रायोजित योजनान्तर्गत राज्य की अनुसूचित जनजाति की महिलाओं के कम साक्षरता वाले चयनित जिलों – दुमका, जामताड़ा, साहेबगंज, पाकुड़, पश्चिमी सिंहभूम, सरायकेला और पूर्वी सिंहभूम के 25 प्रखण्डों में एजूकेशनल कॉम्प्लेक्स की स्थापना का प्रस्ताव भारत सरकार को भेजा गया है।

> राज्य में उच्च शिक्षा

राज्य में उच्च एवं तकनीकी शिक्षा के विकास में महाविद्यालयों, विश्वविद्यालयों की स्थापना की गई है, जिससे राज्य की छात्राओं को स्नातकोत्तर स्तर तक निःशुल्क शिक्षा प्रदान की जा सके।
> राज्य में प्रमुख उच्च शिक्षण संस्थान 
राज्य के प्रमुख उच्च शिक्षण संस्थान निम्न हैं
> बिरसा कृषि विश्वविद्यालय
> बिरसा कृषि कॉलेज की स्थापना वर्ष 1956 में हुई थी, जिसे विश्वविद्यालय का दर्जा वर्ष 1981 में प्रदान किया गया। यह झारखण्ड में स्थित पहला और एकमात्र एकमात्र कृषि विश्वविद्यालय है।
> यह रांची में स्थित है। इसके द्वारा राज्य के किसानों को कृषि, पशुपालन, वानिकी व पशु चिकित्सा के सम्बन्ध में भी जानकारी दी जाती है।
> रांची विश्वविद्यालय
> रांची विश्वविद्यालय की स्थापना वर्ष 1960 में भीमराव विश्वविद्यालय बिहार को विभाजित करके की गई थी ।
> इस विश्वविद्यालय का मुख्य परिसर रांची में है।
> विनोबा भावे विश्वविद्यालय
> इस विश्वविद्यालय की स्थापना रांची विश्वविद्यालय को 12 सितम्बर, 1992 को विभाजित कर की गई थी। इसका मुख्यालय हजारीबाग में स्थित है।
> इस विश्वविद्यालय से राज्य के चतरा, धनबाद, बोकारो, गिरिडीह व कोडरमा के शिक्षण संस्थान सम्बन्धित है।
> केन्द्रीय विश्वविद्यालय
> केन्द्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना झारखण्ड राज्य में रांची के ब्राम्बे नामक स्थान पर की गई। इसकी स्थापना केन्द्रीय विश्वविद्यालय अधिनियम, 2009 के तहत की गई है।
> इसका उद्देश्य अनुसन्धान एवं सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक विकास के लिए संस्थान की सहभागिता को सुनिश्चित करना है।
> यह विश्वविद्यालय शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए अन्तर्राष्ट्रीय शिक्षण संस्थानों से सहयोग ले रहा है।
> राज्य के अन्य प्रमुख उच्च शिक्षण संस्थान
विश्वविद्यालय
स्थापना वर्ष
हिन्दी विद्यापीठ (देवघर)
1929
छोटानागपुर लॉ कॉलेज, (रांची)
1954
बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मेसरा (रांची)
1955
राजेन्द्र लॉ कॉलेज, (हजारीबाग)
1977
सिद्धू-कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय (दुमका)
1992
नीलाम्बर-पीताम्बर विश्वविद्यालय, मेदिनीनगर (पलामू)
2009
कोल्हान विश्वविद्यालय, चाईबासा ( पश्चिमी सिंहभूम)
2009
नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ स्टडी एवं रिसर्च इन लॉ (रांची)
2010
विनोद बिहारी माहतो कोयलांचल
विश्वविद्यालय (धनबाद)
2017
राज्य के प्रमुख अनुसंधान केन्द्र
नाम स्थान
भारतीय लौह अनुसन्धान संस्थान
रांची – 1925
केन्द्रीय ईंधन अनुसन्धान संस्थान जालगोड़ा – 1947
जनजातीय शोध एवं अनुसन्धान संस्थान
 रांची – 1953
राष्ट्रीय धातु विज्ञान प्रयोगशाला
रांची – 1953
केन्द्रीय मनोचिकित्सा संस्थान
जमशेदपुर
केन्द्रीय टसर अनुसन्धान एवं प्रशिक्षण संस्थान
रांची
कुष्ठ रोग अनुसन्धान केन्द्र
रांची
रिसर्च एण्ड डवलपमेण्ट सेन्टर फॉर आयरन एण्ड स्टील
रांची
मृदा शोध एवं अनुसन्धान संस्थान
हजारीबाग
चावल अनुसन्धान केन्द्र
हजारीबाग
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फाउण्ड्री एण्ड फोर्ज टेक्नोलॉजी
रांची
> राज्य में विशिष्ट शिक्षण संस्थान
> इण्डियन स्कूल ऑफ माइंस अथवा भारतीय खनिज संस्थान इसकी स्थापना वर्ष 1926 में धनबाद में तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन के द्वारा की गई थी। यह खनिज सम्बन्धित तकनीकी शिक्षा प्रदान करता है। इस संस्थान को वर्ष 2016 में IIT का दर्जा दिया गया है ।
यह भारत का तीसरा सबसे पुराना विश्वविद्यालय है। यहाँ पर खनन के अलावा अन्य तकनीकी शिक्षा भी दी जाती है ।
> जेवियर लेबर रिसर्च इंस्टीट्यूट इसकी स्थापना वर्ष 1955 में सोसायटी ऑफ जेसस द्वारा की गई थी ।
> जेवियर समाज सेवी संस्थान इसकी स्थापना वर्ष 1955 में फादर माइकल विंडे ने की थी। यह जमशेदपुर में स्थित है। इसकी स्थापना का उद्देश्य विद्यार्थियों को मैनेजमेण्ट शिक्षा, इण्डस्ट्रीयल रिलेशन, रूरल डवलपमेण्ट एवं सोशल वर्क के लिए प्रशिक्षित करना है ।
> भारतीय प्रबन्धन संस्थान (IIM) इसकी स्थापना वर्ष 2010 में भारत के 8वें प्रबन्धन संस्थान के रूप में हुई थी ।
> यह रांची में स्थित है। यह मानव संसाधन एवं विकास मन्त्रालय, भारत सरकार के दिशा-निर्देश में IIM, कोलकाता एवं झारखण्ड सरकार के सहयोग से संचालित हो रहा है।
> रक्षा शक्ति विश्वविद्यालय इसकी स्थापना वर्ष 2016 में रांची में की गई, जिसका उद्देश्य सुरक्षा बलों को जरूरतों के अनुसार प्रशिक्षण प्रदान करना है, जिससे भविष्य में आने वाली चुनौतियों से निपटा जा सके। यह राज्य का एकमात्र ऐसा संस्थान है।
> तकनीकी शिक्षा
> राज्य के प्रमुख तकनीकी शिक्षण संस्थानों का वर्णन निम्न है
> बिरसा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी इसकी स्थापना वर्ष 1949 में धनबाद में की गई थी।
> बिडला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (BIT) इसकी स्थापना वर्ष 1953 में बी. एम. बिड़ला द्वारा की गई थी। यह संस्थान रांची से लगभग 15 किमी दूर मेंसरा में स्थित है।
> राष्ट्रीय सम्भाग रैंकिंग फ्रेमवर्क, 2018 के द्वारा इसे भारत में 66वाँ स्थान प्राप्त हुआ था। तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में इस संस्थान की काफी प्रसिद्ध है।
> नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी इसकी स्थापना वर्ष 1960 में जमशेदपुर में की गई थी ।
> कैम्ब्रिज इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी इस इंस्टीट्यूट की स्थापना वर्ष 2001 में रांची के ताती ‘सिल्वाई’ नामक स्थान पर हुई है। यह संस्थान अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद् तथा रांची विश्वविद्यालय से सम्बद्ध है।
राजकीय पॉलिटेक्निक संस्थान
नाम
स्थान 
राजकीय पॉलिटेक्निक
रांची, धनबाद, दुमका, लातेहार, कोडरमा, पूर्वी सिंहभूम, बाकारो
राजकीय महिला पॉलिटेक्निक
रांची, बोकारो, धनबाद, जमशेदपुर

> राज्य में स्वास्थ्य परिदृश्य

> झारखण्ड स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर स्थिति प्रदान करने के लिए अग्रसर है। ग्रामीण एवं शहरी लोगों को तथा बच्चों एवं महिलाओं को स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराकर मातृ मृत्यु दर, शिशु मृत्यु दर तथा बच्चों में कुपोषण में कमी लाने के लिए हर सम्भव कोशिश की जा रही है।
> राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं का संचालन चिकित्सा सेवा, अस्पताल, औषधालय, मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल, अनुमण्डलीय अस्पताल, समूह स्वास्थ्य केन्द्र, प्राथमिक स्वास्थ्य आदि के द्वारा किया जाता है।
> राज्य के स्वास्थ्य संकेतक
प्रकार संख्या
शिशु जन्म-दर (प्रति हजार)
44
शिशु मृत्यु-दर (प्रति हजार)
5.8
नवजात शिशु-मृत्यु दर (प्रति हजार)
23
मातृ मृत्यु-दर (प्रति लाख)
245
स्रोत आर्थिक सर्वेक्षण 2017-18
राज्य के चिकित्सा महाविद्यालय
महाविद्यालय
स्थान
स्थापना वर्ष
हॉस्पिटल फॉर मेण्टल डिजीसेस
रांची 1918
रांची तन्त्रिका मनोचिकित्सा एवं सम्बद्ध विज्ञान संस्थान
रांची 1925
एम. जी. एम. मेडिकल कॉलेज
जमशेदपुर
1964
रांची वेटरिनरी कॉलेज
रांची 1964
पाटलिपुत्र मेडिकल कॉलेज
धनबाद 1974
इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल रांची साइन्सेज
रांची 1995
हजारीबाग कॉलेज ऑफ डेण्टल साइंस एण्ड हॉस्पिटल
हजारीबाग 2006
वनांचल डेण्टल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल
गढ़वा 2007
अवध डेण्टल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल
जमशेदपुर 2007
होम्योपैथिक कॉलेज
रांची
होम्योपैथिक कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल
दुमका
गवर्नमेण्ट फार्मेसी इंस्टीट्यूट
जमशेदपुर

> राज्य में स्वास्थ्य सम्बन्धित योजनाएँ

> झारखण्ड में संचालित स्वास्थ्य सम्बन्धी योजनाओं का वर्णन निम्न है
> आयुर्वेदिक चिकित्सा योजना
यह योजना 2001 में प्रारम्भ की गई थी। झारखण्ड सरकार के कल्याण विभाग द्वारा राज्य के अति पिछड़े एवं दूर-दराज जनजातीय क्षेत्रों में जनजातीय जनसंख्या की स्वास्थ्य देखभाल हेतु 35 आयुर्वेदिक चिकित्सा एवं कुष्ठ निवारण केन्द्रों का संचालन किया जाता है।
> पहाड़िया स्वास्थ्य योजना
> यह योजना 2002 में प्रारम्भ की गई थी। यह योजना पहाड़िया जनजातियों के लिए स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध करवाती है । यह योजना गैर-सरकारी संस्थानों द्वारा संचालित है।
> इनकी बीमारियों का उपचार ग्राम सभा द्वारा गठित ग्रामीण धाम द्वारा किया जाता है।
> सप्ताह में एक बार सरकारी चिकित्सक ग्रामीण धामों का निरीक्षण कर उनका उपचार करते हैं ।
> राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन
> यह योजना केन्द्र एवं राज्य सरकार दोनों के सहयोग से 80 : 20 के अनुपात में प्रायोजित है। यह योजना 2005 में प्रारम्भ की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में उचित वहन योग्य, दायित्वपूर्ण जन स्वास्थ्य प्रणाली को लागू करना है।
> इसके प्रमुख कार्य हैं –
– लोगों को समेकित स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध कराना।
–  लिंग भेद तथा जनांकिकीय असमानता को दूर करना ।
– संक्रामक एवं असंक्रामक रोगों की रोकथाम
करना ।
– सार्वजनिक टीकाकरण को बढ़ावा देना ।
– चलन्त चिकित्सा इकाई का संचालन करना।
> मिशन इन्द्रधनुष
> मिशन इन्द्रधनुष का शुभारम्भ वर्ष 2014 में किया गया, जिसका उद्देश्य वर्ष 2020 तक उन सभी बच्चों को सुरक्षा प्रदान करना है, जिन्हें कोई टीका नहीं लगाया गया है। इसके अन्तर्गत सात टीके डिप्थीरिया, काली खाँसी, टिटनेस, पोलियो, तपेदिक, खसरा और हेपेटाइटिस बी शामिल हैं।
> मुख्यमन्त्री गम्भीर बीमारी उपचार योजना
> यह योजना 2015 में प्रारम्भ की गई थी। इस योजना के अन्तर्गत बी.पी. एल परिवारों को चिकित्सा सहायता राशि उपलब्ध कराई जाती है। इसके तहत अधिकतम ₹72 हजार से कम सलाना आय वाले परिवारों को ढाई लाख रुपये की चिकित्सा राशि प्रदान की जाती है।
> हालाँकि ढाई लाख रुपये से अधिक खर्च होने पर स्वास्थ्य समिति की अनुशंसा पर गुर्दा प्रत्यारोपण के लिए पाँच लाख रुपये और कैंसर के लिए अधिकतम चार लाख रुपये का प्रावधान है।
> राष्ट्रीय रोगवाहक जनित रोग नियन्त्रण कार्यक्रम
>  यह योजना 2015 में प्रारम्भ की गई थी। इसका प्रमुख उद्देश्य रोगवाहक जनित रोग का उपचार सुनिश्चित करना तथा इसके सम्बन्ध में जागरूकता बढ़ाना है।
> इसके प्रमुख कार्य हैं
– रक्त का परीक्षण करना।
– मलेरिया प्रकोप क्षेत्रों में डी.डी. टी. का छिड़काव करना ।
– डेंगू, काला ज्वर तथा मलेरिया के उपचार हेतु दवा वितरित करना।
> मुख्यमन्त्री स्वास्थ्य बीमा योजना
> झारखण्ड मुख्यमन्त्री स्वास्थ्य बीमा योजना 15 नवम्बर, 2017 को लागू की गई। जिसका उद्देश्य राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के अन्तर्गत आने वाले परिवारों को इस योजना के तहत कैशलेस उपचार की सुविधा प्रदान करना है।
> इसके बीमा की राशि राज्य सरकार वहन करेगी। इसके अन्तर्गत सरकारी व निजी संस्थान दोनों शामिल होंगे।
> आयुष्मान भारत योजना
> इस योजना की शुरुआत 14 अप्रैल, 2018 को भीमराव अम्बेडकर की जयन्ती के अवसर पर छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले से की गई। इस योजना के तहत आयुष्मान भारत हेल्थ इन्श्योरेन्स स्कीम के तहत ₹5 लाख तक का स्वास्थ्य बीमा उपलब्ध कराया जाएगा।
> इसके अन्तर्गत ‘नेशनल हेल्थ वेलनेस सेंटर’ स्थापित किया जाना है। इस योजना के तहत 10 करोड़ परिवारों को स्वास्थ्य बीमा सुरक्षा उपलब्ध कराई जाएगी। यह योजना 15 अगस्त, 2018 से झारखण्ड सहित सम्पूर्ण देश में लागू की गई।
> ग्रामीण अस्पताल निर्माण योजना इसके अन्तर्गत अनुसूचित क्षेत्र में 14 ग्रामीण अस्पतालों का निर्माण कराया जाना है, जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में सुलभ चिकित्सा उपलब्ध कराने के साथ-साथ 50-50 सीटों वाले अस्पताल का निर्माण करना है। इनमें 9 तालों का संचालन गैर सरकारी संस्थानों द्वारा किया जाएगा।
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