तनाव सम्बन्धित विकार के बारे में आप क्या जानते हैं। योगाभ्यास दुष्चिन्ता को दूर करने में किस प्रकार मदद करता है ?

 तनाव सम्बन्धित विकार के बारे में आप क्या जानते हैं। योगाभ्यास दुष्चिन्ता को दूर करने में किस प्रकार मदद करता है ? 

                                                                  अथवा
तनाव क्या है ?
उत्तर—  तनाव सम्बन्धित विकार-तनाव से सम्बन्धित विकारों में मानसिक स्वास्थ्य विकार शामिल होते हैं जो शारीरिक, मानसिक या भावनात्मक तनाव के कारण छोटी और दीर्घकालिक चिंता दोनों के लिए एक कठिन प्रतिक्रिया का परिणाम है। इन विकारों में जुनूनी बाध्यकारी विकार और मानसिक स्वास्थ्य और तनाव से सम्बन्धित विकार शामिल होते हैं।
तनाव शारीरिक या मानसिक सकारात्मक या नकारात्मक दबाव के परिणामस्वरूप होने वाली एक सचेत या अचेतन मनोवैज्ञानिक भावना या शारीरिक स्थिति है जो अनुकूल क्षमताओं को बढ़ाती है, यह एक मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया घटनाओं, धमकी नुकसान या किसी जीव को चुनौती या कि उपलब्ध से अधिक द्वारा शुरू की है। मुकाबला संसाधनों और यह मनोवैज्ञानिक प्रतिक्रियाओं कि अनुकूलन की ओर निर्देशित कर रहे हैं की विशेषता हैं। तनावपूर्ण एजेंटों की प्रतिक्रिया में तनाव शरीर पर पहनने और आँसू हैं।
सकारात्मक या नकारात्मक (जैसे—धमकी) अस्थायी रूप से तनाव या अत्यधिक अनुकूल क्षमताओं का अनुभव होने पर एक व्यक्ति को आमतौर पर जोर दिया जाता है। तनाव अत्यधिक व्यक्तिगत है और इस तरह के नवीनता, दर, तीव्रता, अवधि या इनपुट की व्यक्तिगत व्याख्या और आनुवांशिकं या अनुभवात्मक कारक जैसे चर निर्भर करता है । तीव्र और पुरानी दोनों तनाव चिंता विकारों से रूग्णता को तेज कर सकते हैं । एक व्यक्ति का मजाक दूसरे व्यक्ति का तनाव हो सकता है।
चिन्तामुक्त होने के लिए योग कैसे आपकी मदद कर सकता है ?—नियमित योगाभ्यास आपको शान्त एवं निश्चिन्त रहने में मदद कर सकता है। और साथ ही अविचलित हुए समस्याओं का सामना करने की शक्ति प्रदान करता है। योगाभ्यास आदर्श रूप से योगासन, प्राणायाम, ध्यान एवं प्राचीन योग विज्ञान का सम्पूर्ण समन्वय है और इन सभी से कई चिन्ता ग्रसित व्यक्तियों को पुनः स्वस्थ करने के साथ-साथ जीवन को फिर से सकारात्मक रूप से जीने की क्षमता प्रदान की जा चुकी है। निम्नलिखित योग तकनीक अस्थिर मन को शांत करने में मदद कर सकती है—
(1) अपने शरीर को विभिन्न योगासनों में ढाल कर तनाव मुक्त रखें—योगासन तनाव एवं नकारात्मकता को हमारे शरीर से दूर करने में सहायता करते हैं। निम्नलिखित योगासनों की मदद से प्रसन्न एवं स्वस्थ शरीर व मन प्राप्त कर सकते हैं—
(i) धनुरासन
(ii) मत्स्यासन
(iii) जानु शीर्षासन
(iv) सेतु बंधासन
(v) मर्जरी आसन
(vi) पश्चिमोत्तासन
(vii) हस्तपादासन
(viii) अधोमुख श्वानासन
(ix) शीर्षासन
(x) शवासन।
(2) प्राणायाम द्वारा सही सांस लेने की विधि से तनाव मुक्त हो जाएँ – श्वास पर अपना ध्यान केन्द्रित करने से व्यर्थ के विचारों से मुक्ति मिलती है जो तनाव के मूल कारण होते हैं। निम्नलिखित श्वसन प्रक्रियाओं का अभ्यास करें—
(i) कपाल भाती प्राणायाम
(ii) भस्त्रि का प्राणायाम
(iii) नाड़ी शोधन प्राणायाम
(iv) भ्रामरी प्राणायाम
( 3 ) शान्तचित प्राप्त करने के लिए ध्यान करें – विचलित मन को शांत करने के लिए ध्यान एक सर्वश्रेष्ठ विधि है। एक शांति की अनुभूति होती है और निरन्तर अभ्यास से यह अहसास कर पाते हैं कि किस प्रकार मन हमें छोटी-छोटी तुच्छ चीजों में उलझा कर रखता है ध्यान हमें भविष्य के बारे में अत्यधिक चिंता करने एवं बेचैन होने से भी बचाता है।
(4) योग विज्ञान को अपने जीवन में नियमित अभ्यास में लाकर प्रसन्न रहें और हर पल आनंद लें — दैनिक जीवन में प्राचीन योग ज्ञान को जानना और प्रयोग करना हमें सरल अपितु गहन योग सिद्धान्तों (यम और नियम) के बारे में बताता है, जो हमारे लिए एक खुशहाल एवं स्वस्थ जीवन का सार बन सकता है। ‘अपरिग्रह’ सिद्धान्त लालच एवं आसक्ति भावना से होने वाली चिंता, व्याकुलता एवं तनाव से मुक्त करने में मदद करता है। योग के यम और नियम पौष्टिक आहार खाने में और स्वस्थ जीवन शैली निभाने में मदद करेंगे, जिससे आप काफी हद तक तनाव एवं व्याकुलता से उभर जायेंगे ।
(5) अपने आस-पास सकारात्मक संगत रखें – जब आप अधिकतर समय सकारात्मक विचार वाले व्यक्तियों के साथ बिताते हैं, तब आप भी इन विचारों से प्रेरित होते हैं जिनकी झलक जिन्दगी के प्रति आपके नजरिये में प्रदर्शित होती है। केवल एक सकारात्मक मन ही आनन्द, शांति एवं निश्चित होने की रचना कर सकता है।
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