दत्तकार्य के उद्देश्य तथा लाभ बताइए |
दत्तकार्य के उद्देश्य तथा लाभ बताइए |
उत्तर – दत्तकार्य के उद्देश्य – दत्त कार्य शैक्षिक क्रिया का वह भाग है, जिसे विद्यार्थियों को पूरा करने के लिए दिया जाता है। प्रत्येक विद्यालय में प्राय: इसका प्रयोग किया जाता है। शिक्षण स्व अध्ययन पर आधारित होता है और अधिक विस्तृत होने के कारण अध्यापक को उसी अनुदेशन पर निर्भर रहना पड़ता है। यदि अध्यापक विद्यार्थी की गलतियों तथा कठिनाइयों के बारे में जानना चाहता है तो उसे इस बात का अधिक ध्यान रखना होगा कि वह छात्रों से किस काम की अपेक्षा रखता है और उसी से सम्बन्धित दत्त कार्य छात्रों को दिया जाना चाहिए। दत्त कार्य के द्वारा छात्रों को व्यक्तिगत रूप से सीखने के पाठ्यवस्तु की व्यवस्था तथा संगठन के अधिक अवसर मिलते हैं। इसके अतिरिक्त सीखी हुई पाठ्यवस्तु पर पुनः छात्र को सोचने तथा नवीन तरीकों से करने के अवसर मिलते हैं|
दत्त कार्य के द्वारा ज्ञानात्मक पक्ष के सभी उद्देश्यों की प्राप्ति की जा सकती है साथ ही ज्ञानात्मक पक्ष के साथ क्रियात्मक पक्ष के निम्नस्तर के उद्देश्यों की भी प्राप्ति की जा सकती है। भावात्मक पक्ष के विकास में इसका प्रयोग नहीं के बराबर किया जाता है।
दत्तकार्य के लाभ – दत्तकार्य के लाभ निम्न प्रकार से है–
(i) इससे व्यक्तिगत योग्यताओं एवं कौशल का विकास होता है |
(ii)निरन्तर अध्ययन की आदत का विकास होता है।
(iii) मौलिक चिन्तन एवं कल्पना शक्ति का विकास होता है ।
(iv) अध्ययन के प्रति छात्र में सही अभिवृत्ति का विकास होता है।
(v) इसके द्वारा व्यक्तिगत शैक्षिक निर्देशन का विकास होता है।
(vi) छात्र इस क्रिया में अपने अनुभव के आधार पर सीखते हैं।
(vii) अध्यापक को छात्र की विभिन्नता व विशिष्टता का पता लगता है।
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