दल-शिक्षण के लाभ, सीमाएँ तथा इसके उपयोग हेतु सुझाव दीजिए।
दल-शिक्षण के लाभ, सीमाएँ तथा इसके उपयोग हेतु सुझाव दीजिए।
उत्तर-दल-शिक्षण के लाभ—
(1) दल-शिक्षण में शिक्षण का कार्य दो या दो से अधिक अध्यापकों द्वारा किया जाता है, अत: विद्यार्थियों को अधिक विशेषज्ञों से ज्ञान प्राप्त करने का अवसर मिलता है।
(2) दल-शिक्षण के (एस.ए.एस.) लघु सत्र में प्रत्येक विद्यार्थी को चर्चा में सहभागी बनने और अपने विचार अभिव्यक्त करने का अवसर मिलता है।
(3) दल-शिक्षण में अध्यापक अपना अध्यापन कार्य अन्य अध्यापकों की उपस्थिति में करता है, अत: वे अपने विषय का गहराई से अध्ययन करते हैं और अधिक परिश्रम करते है अर्थात उनका व्यावसायिक विकास होता है।
(4) एक अध्यापक को दिव्य के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालने वाले विभिन्न की शैलियों, कौशलों आदि के निरीक्षण का सर प्राप्त होता है।
(5l) दल-शिक्षण के समय कक्षा का वातावरण प्रजातान्त्रिक एवं परिचयात्मक होने के कारण श्री में सामाजिक सम्बन्धों एवं समायोजन का विकास होता है।
दल-शिक्षण की सीमाएँ—
(1) अध्यापकों की वैचारिक भिन्नता एवं स्वयं को श्रेष्ठ दिखाने की भावना विद्यार्थियों के समक्ष विवादास्पद वातावरण निर्मित
(2) दल-शिक्षण के लिए बड़े कमरों, सेमीनार कक्ष या सम्मेलन कक्ष की आवश्यकता होती है जिनका अधिकांश विद्यालयों में अभाव होता है जिससे दल-शिक्षण की प्रभावकारिता में कमी आती है।
(3) दल-शिक्षण की प्रभावशीलता का आधार शिक्षकों का परस्पर विश्वास, सम्मान एवं सहयोग हैं। यदि शिक्षकों में इसके प्रति आस्था और प्रतिबद्धता नहीं है, तो यह कभी भी सफल नहीं हो सकती।
(4) इसमें शिक्षक की भूमिकाओं में विविधता एवं बाहुल्य के कारण अधिक श्रम करना पड़ता है और कई बार शिक्षक भूमिकाओं को एक-दूसरे के अवरोधक के रूप में अनुभव करता है जिससे विभिन्न भूमिकाओं में सामंजस्य बनाए रखने में कठिनाई अनुभव होती है।
(5) अध्यापक अपनी परम्परागत रूढ़िवादी अभिवृत्ति के कारण इस विधि को अपनाने और समूह में शिक्षण करने में कठिनाई अनुभव करते हैं।
(6) दल-शिक्षण की संरचना लचीली होनी चाहिए अन्यथा इससे लाभ की सम्भावना नहीं रहती है। समय सारिणों में भी इसके कालांश को समय सीमाओं में नहीं बाँधा जा सकता।
दल-शिक्षण के उपयोग हेतु सुझाव—
(1) दिन अध्यापकों की अदल-शिक्षण के अनुरूप हो उन्हें ही दल-शिक्षण में सम्मिलित किया जाना चाहिए।
(2) डेविड वारविक के अनुसार, “दल-शिक्षण का प्रयोग परिपक्व तथा सन्तुलित शिक्षकों द्वारा ही प्रभावशाली ढंग से किया जा सकता है। दल के सभी अध्यापक अपने उत्तरदायित्व तथा व्यवस्था के प्रति संवेदनशील होने चाहिए।”
(3) प्रशिक्षण संस्थाओं द्वारा दल- शिक्षण प्रविधि का उपयोग छात्राध्यापकों व सेवारत अध्यापकों को सिखाना चाहिए। प्रशिक्षण संस्थाओं के अध्यापकों को अपने प्रकरणों के शिक्षण में दल-शिक्षण का प्रदर्शन करना चाहिए जिसमें छात्राध्यापक उनका प्रयोग विद्यालयों में कर सकें।
(4) अध्यापकों को दल-शिक्षण से सम्बन्धित विषय-वस्तु या क्रिया का स्वेच्छा से चयन करने का अवसर देना चाहिए।
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