ध्यान धारित अतिसक्रियता विकार (ADHD) की अवधारणा स्पष्ट कीजिए।
ध्यान धारित अतिसक्रियता विकार (ADHD) की अवधारणा स्पष्ट कीजिए।
अथवा
अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिस्आर्डर (ADHD) से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर— ध्यानाभाव एवं अतिसक्रियता विकार ( Attention deficit hyperactivity disorder)– ध्यानाभाव एवं अतिसक्रियता विकार (ध्यातिवि) अंटेशन डेफिसिट हाइपरएक्टिवटी डिसऑर्डर (Attention-deficit hyperactivity disorder) या ADHD एक मानसिक विकार और दीर्घकालिक स्थिति है जो लाखों बच्चों को प्रभावित करती है और अधिकांशतः यह स्थिति व्यक्ति के वयस्क होने तक बनी रह सकती है।
ध्यातिवि (ADHD) को ध्यानाभाव विकार (ADD) और अतिसक्रियता भी पुकारा जाता है, लेकिन ध्यातिवि (ADHD) अधिक सटीक शब्द है क्योंकि यह इस स्थिति के दोनों प्राथमिक पहलुओं ध्यान ना देना और अतिसक्रियता-आवेगी व्यवहार का वर्णन बखूबी करता है।
हालाँकि ध्यातिवि (ADHD) से ग्रस्त कई बच्चों में ध्यानाभाव और अतिसक्रियता आवेगी व्यवहार में से कोई एक लक्षण अधिक मुखर होता है पर अधिकांश बच्चों में ध्यानाभाव और अतिसक्रियता आवेगी व्यवहार का एक मिला-जुला रूप देखा गया है।
विश्व में लगभग 3 से 5% बच्चे इससे पीड़ित हैं। ADHD के साथ जुड़ी प्रमुख समस्याओं में ध्यानाभाव (ध्यान की कमी या ध्यान न देना), आवेगी व्यवहार, असावधानी और अतिसक्रियता शामिल है। अधिकांशत: ADHD से ग्रस्त बच्चे हीन भावना, अपने बिगड़े सम्बन्धों और विद्यालयों में खराब प्रदर्शन जैसी समस्याओं से जूझते रहते हैं। माना जाता है कि ध्यानाभाव एवं अतिसक्रियता विकार आनुवांशिक रूप से व्यक्ति में आता है ।
ध्यातिवि (ADHD) के संकेत और लक्षण उन गतिविधियों में और अधिक स्पष्ट रूप से उभरकर आते हैं, जिनके दौरान मानसिक रूप से ध्यान केन्द्रित करने की आवश्यकता होती है। ध्यातिवि (ADHD) से ग्रस्त अधिकांश बच्चों में इसके संकेत और लक्षण 7 वर्ष की उम्र से पहले ही देखे जा सकते हैं। कुछ बच्चों में तो, ध्यातिवि (ADHD) के लक्षण शैशवावस्था में दिखाई देते हैं ।
हालाँकि ध्यातिवि (ADHD) का कोई स्थायी उपचार नहीं है फिर भी उपचार से इसके लक्षणों को काफी सीमा तक कम किया जा सकता है। आमतौर से उपचार में मनोवैज्ञानिक परामर्श, दवायें या फिर दोनों शामिल हो सकते हैं। किसी बच्चे का ध्यातिवि (ADHD) से ग्रस्त होना अभिभावकों और बच्चों दोनों के लिए भयावह हो सकता है, साथ ही इसके साथ जीवन एक चुनौती जैसा हो सकता है, हालाँकि उपचार के द्वारा इसके लक्षणों पर बहुत हद तक काबू पाया जा सकता है। ध्यातिवि (ADHD) के शिकार अधिकतर बच्चे बड़े होकर एक जीवंत, सफल और सक्रिय वयस्क बनते हैं ।
सामान्यत: यह माना जाता है कि यह विकार आनुवांशिक रूप से बच्चों में स्थानान्तरित होता है। लेकिन कुछ मनोवैज्ञानिक इसके लिए अन्य कारकों को भी उत्तरदायी मानते हैं। जिसमें प्रमुख निम्न प्रकार हैं—
(i) परिवार में पहला बच्चा, मुख्यतः लड़का ।
(ii) बच्चों में अन्य आनुवांशिक रोग; जैसे— टर्नर सिंड्रोम की उपस्थिति ।
(iii) कुछ कीटनाशकों के सम्पर्क में आने पर ।
(iv) प्रतिदिन दो से अधिक घंटे टी.वी. या कम्प्यूटर या वीडियो गेम पर बिताने वाले बच्चों में ।
(v) गर्भावस्था के दौरान माँ द्वारा धूम्रपान और शराब का सेवन करना ।
(vi) समय से पहले जन्म लेने वाले बच्चे में ।
(vii) दिल की बीमारी से ग्रसित बच्चों में ।
(ADHD) से ग्रसित बच्चों को स्कूल के साथ-साथ अपने परिवार और दोस्तों के साथ सामंजस्य बैठाने में अत्यधिक कठिनाई का सामना करना पड़ता है। ऐसे बच्चों में चिन्ता व बेचैनी काफी अधिक मात्रा में पायी जाती है। अनेक परिस्थितियों में ऐसे बच्चे हद से ज्यादा मुखर होते हैं। ये विकार रोजमर्रा की जिन्दगी का संचालन करने की बच्चों की क्षमता को व्यापक रूप से प्रभावित करता है।
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