नई दिल्ली भगदड़ः सीढ़ियों से उतरा रेला और दबते चले गए लोग, बिना टिकट ही ट्रेन में चढ़ने को तैयार थे यात्री

नई दिल्ली भगदड़ः सीढ़ियों से उतरा रेला और दबते चले गए लोग, बिना टिकट ही ट्रेन में चढ़ने को तैयार थे यात्री

महाकुंभ जाने की ललक और अथाह भीड़ की वजह से नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर करीब डेढ़ दर्जन लोगों की जान चली गई। इसमें कई बच्चे भी शामिल हैं। रेलवे बोर्ड ने घटना की जांच कराने के आदेश दिए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस हादसे पर शोक व्यक्त किया है। राजधानी के प्रमुख रेलवे स्टेशन पर भीड़ नियंत्रण की असफलता को लेकर कई सवाल भी खड़े हो रहे हैं। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि महाकुंभ जाने के लिए बहुत सारे लोग बिना टिकट के ही प्लैटफॉर्म पर पहुंच गए थे। उन्हें रोका भी नहीं जा रहा था। कई लोगों ने कहा कि ट्रेन के अंदर ही वह टीईटी से टिकट ले लेंगे।

दिल्ली के कापसहेड़ा के रहने वाले एक शख्स ने कहा कि भगदड़ की शुरुआत सीढ़ियों से हुई थी। प्लैटफॉर्म पर भीड़ जरूर थी लेकिन हलचल कम थी। ट्रेन के प्लैटफॉर्म परिवर्तन के बाद लोगों का इधर से उधर आना जाना शुरू हो गया। वहीं सीढ़ियों के ऊपर से एक रेला आया और उसकी चपेट में आकर लोग गिरने लगे। गिरने वाले लोग दबते चले गए। यह पूरा वाकया बताने वाले शख्स की मां भी भगदड़ में गिर गईं। उनकी मौत हो गई। उन्होंने कहा कि वह परिवार के साथ छपरा जा रहे थे।

अन्य प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक बहुत सारे यात्री बिना टिकट के ही प्लैटफॉर्म पर पहुंच गए थे। रेलवे ने रात 12:30 पर एक स्पेशल ट्रेन भी महाकुंभ के लिए चलाई थी। बहुत सारे लोग इसी से प्रयागराज जाना चाहते थे। यात्री टिकट खरीदना चाहते थे लेकिन सभी ट्रेनों के टिकट की सीमा खत्म हो चुकी थी। ऐसे में वे बिना टिकट ही प्लैटफॉर्म पर जमा होने लगे। एक महिला ने कहा, टिकट चेकर आएगा तो हम टिकट ले लेंगे। ट्रेन में सीट लेने के लिए लोग भागे जा रहे थे।

ज्यादातर लोगों के मुताबिक भीड़ रेलवे स्टेशन में घुस गई और वहां किसी तरह की रोकटोक भी नहीं हुई।

प्लैटफॉर्म बदलने से मची अफरा-तफरी?

आम दिनों में भी अगर प्लैटफॉर्म के बदले जाने का अनाउंसमेंट हो जाता है तो यात्रियों के खासी तकलीफ होती है। खासकर बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों के लिए बार-बार सीढ़ियां चढ़ना और भीड़ का सामना करना मुश्किल हो जाता है। वहीं प्लैटफॉर्म पर अथाह भीड़ होने के बाद भी अचानक प्लैटफॉर्म बदले जाने की घोषणा ही जानलेवा साबित हो गई। एक प्रत्यक्षदर्शी ने कहा, प्लैटफॉर्म पर इतनी भीड़ थी कि लोग फुटओवर ब्रिज पर जमा हो गए। एनडीआरएफ के जवान भी वहां मौजूद थे। इतनी भीड़ त्योहारों के समय भी नहीं होती। वहीं एक वेंडर ने बताया कि प्लैटफॉर्म बदला नहीं गया था बल्कि स्पेशल ट्रेनों का अनाउंसमेंट हो रहा था। ऐसे में लोग इधर से उधर आने जाने लगे।

एक यात्री ने कहा, घटना 9 बजे के आसपास की है। पब्लिक इतनी हो गई कि पुलिस संभाल ही नहीं पाई। प्लैटफॉर्म पर भीड़ कम थी। लेकिन पुल पर बहुत भीड़ थी। एक प्रत्यक्षदर्शी ने कहा, रात में 10 बजकर 10 मिनट कि प्रयाग स्पेशल ट्रेन थी। हम पहुंच ही नहीं पाए। हम उतर रहे थे तभी पीछे से रेला आया। भीड़ बहुत ज्यादा थी। उन्होंने कहा,मेरी बेटी भी फंस गई ती। मेरी बहन आधे घंटे बाद मिली। उसकी मौत हो चुकी थी। मैंने उसे माउथ टु माउथ दिया। लेकिन एक घंटे तक कोई नहीं आया। पटरियों के रास्ते मैं उसे लेकर बाहर गया। मैं बढ़ा-चढ़ाकर नहीं बता रहा। मेरी बहन मर चुकी थी।

Source – Hindustan

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