परागण क्रिया निषेचन से किस प्रकार भिन्न है ?

परागण क्रिया निषेचन से किस प्रकार भिन्न है ?

उत्तर⇒परागण में परागकणों के परागकोश से निकलकर उसी पुष्प या उस जाति के दूसरे पुष्पों के वर्तिकान तक पहुँचने की क्रिया होती है। यह दो प्रकार से होता है-स्व-परागण द्वारा तथा पर-परागण द्वारा। स्व-परागण केवल उभयलिंगी (hermaphrodate) पौधों में ही होता है, जैसे—सूर्यमुखी, बालसम, पोर्चुलाका आदि । इसके लिए किसी बाहरी कारक या बाह्यकर्ता (agent) की जरूरत होती है जो किसी एक पौधे के पुष्प परागकोश से परागकणों को अन्य किसी पुष्प के वर्तिकान तक पहुँचाने का कार्य करता है। ये बाहरी कारक कीट, पक्षी, चमगादड़, मनुष्य, वायु, जल आदि कोई भी हो सकते हैं। पर-परागण के लिए पुष्पों में कुछ विशेष अवस्थाएँ. होती हैं जिनसे उनमें पर-परागण ही संभव हो पाता है। यह है परागण की क्रिया।
निषेचन की क्रिया परागकणों के वर्तिकाग्र पहुँचने के बाद होती है। नर युग्मक व मादा युग्मक के संगलन (fusion) को निषेचन (fertilization) कहते हैं। इसमें परागकण से एक नलिका विकसित होती है तथा वर्तिका से होती हुई बीजांड तक पहुँचती है।

 वर्तिकाग्र पर परागकणों का अंकुरण

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