परिवर्तन अभिकर्त्ता के रूप में शिक्षक की भूमिका को संक्षेप में लिखिए।
परिवर्तन अभिकर्त्ता के रूप में शिक्षक की भूमिका को संक्षेप में लिखिए।
उत्तर – परिवर्तन अभिकर्त्ता के रूप में शिक्षक की भूमिका — शिक्षक एवं शिक्षार्थी सम्पूर्ण शिक्षा प्रणाली के आधार स्तम्भ हैं किन्तु परिवर्तन के शैक्षिक कारक में शिक्षक का स्थान अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। शिक्षण विधियों, पाठ्यक्रम, शिक्षण उद्देश्यों एवं पाठ्यसहगामी क्रियाओं आदि के द्वारा शिक्षक परिवर्तन में अपनी भूमिका का निर्वहन करता है। अतः परिवर्तन अभिकर्ता के रूप में शिक्षा अपनी भूमिका का निर्वहन निम्न प्रकार से कर सकता है—
( 1 ) लैंगिक निरपेक्ष भाषा का विकास – प्रायः पुरुष शिक्षक अपनी अन्तः क्रिया के दौरान (He, Him) और स्त्रीलिंग से सम्बन्धित शब्दों या वाक्यों का प्रयोग करता है, इसके बजाय दोनों लिंगों से सम्बन्धित शब्दों को समान रूप में प्रयोग करने की आदत का विकास करना चाहिए। (He or She, Her or Him)
( 2 ) अलग-अलग बैठने की व्यवस्था करने की बजाय एक साथ बैठने को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए–हमारे समाज में लड़केलड़कियों को शुरू से ही अलग-अलग बिठाने की व्यवस्था की जाती है जिस कारण इन दोनों लिंगों में काफी गहरा अन्तराल पैदा हो जाता है और अलग-अलग ही रहते हैं तथा काम करते हैं। एक साथ बैठने से वे एक-दूसरे की सोच को प्रभावित कर सकेंगे जो लैंगिक समानता की तरफ अग्रसर होने में मदद कर सकेगा।
( 3 ) कक्षागत गतिविधियों में समान भागीदारी सुनिश्चित करना – कक्षागत परिस्थितियों में कई प्रकार की प्रतियोगिता और क्रियाविधियों का आयोजन किया जाता है। इन सभी में लड़के और लड़कियों को समान रूप में भाग लेने का अवसर देना चाहिए।
( 4 ) दोनों ही लिंग से सम्बन्धित उदाहरण देना चाहिए–शिक्षकों को लैंगिक समानता स्थापित करने के उद्देश्य से समान रूप से दोनों लिंगों से सम्बन्धित उदाहरणों का प्रयोग करना चाहिए। उन पुरुष भूमिकाओं को बदलकर महिलाओं की भूमिका दी जानी चाहिए जो लैंगिक असमानता को समाप्त करने में मददगार साबित हो सकते हैं। जैसे—बस के ड्राइवर के रूप में सिर्फ पुरुष नाम ही न हो बल्कि महिला नाम का भी प्रयोग करना चाहिए। इससे मनोवैज्ञानिक रूप से लैंगिक समानता की तरफ अग्रसर होने का फायदा मिलेगा।
( 5 ) लड़कों-लड़कियों को एक-दूसरे के प्रति संवेदनशील बनाना – शिक्षकों का यह भी दायित्व हैं कि लड़के-लड़कियों दोनों को एक-दूसरे के प्रति संवेदनशील बनाए। लड़कियों को छेड़ना आदि समस्या के प्रति लड़कों को संवेदनशील बनाने का प्रयत्न करना चाहिए साथ ही साथ एक-दूसरे के प्रति सम्मान देने की बात सिखानी चाहिए । अनुसंधानों में यह बात निकल कर सामने आई है कि विद्यालय में शिक्षक लड़कों पर ज्यादा ध्यान देते हैं लेकिन कुछ अनुसंधानों में यह बात भी सामने आई है कि सेकेण्डरी स्तर पर शिक्षक लड़कों पर ज्यादा ध्यान नहीं देते। लड़कियों का सेकेण्डरी स्तर पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है। अनुशासनात्मक कार्यवाहियों में लड़कों का प्रतिशत लड़कियों की तुलना में ज्यादा होता है।
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