पर्यावरण का मनुष्य पर क्या प्रभाव पड़ता है ? वर्णन कीजिए ।

पर्यावरण का मनुष्य पर क्या प्रभाव पड़ता है ? वर्णन कीजिए ।

उत्तर—पर्यावरण का मनुष्य पर प्रभाव – पर्यावरण मनुष्य के स्वास्थ्य व होने वाली बीमारियों में प्रमुख भूमिका अदा करता है—
(i) पर्यावरण के कुछ अवयव बीमारी फैलाने वाले कीटाणुओं की सहायता करते हैं। आर्द्रता मोतीझरा, (टायफाइड) के कीटाणुओं के लिए एक उपयुक्त स्थिति है अत: आर्द्र भागों में यह बीमारी बड़ी आसानी से पनपती है।
(ii) पर्यावरण रोग फैलाने वाले जीवाणुओं की रखने वाले जन्तु एवं कीटों के पनपने एवं प्रसार करने में अनुकूल साधन प्रदान करता है। इनकी संख्या बढ़ने में यह मानव जीवन में दखलन्दाजी ज्यादा बढ़ा देते हैं, साथ ही रोग फैलाने वाले कीटाणुओं को स्वस्थ मनुष्य तक पहुँचा देते हैं। गर्मी, आर्द्रता एवं पानी एकत्र होने वाले स्थानों में मच्छर अधिक पनपते व बढ़ते हैं। जो कि मलेरिया एवं फाइलेरिया जैसी बीमारी के परजीवियों को मनुष्य तक पहुँचाने में मदद करते हैं। गन्दगी के कारण मक्खियाँ काफी बढ़ती हैं, जो कि मल विसर्जित स्थानों में अतिसार, कालरा व टाइफाइड के कीटाणु मनुष्य तक पहुँचाती है।
(iii) पर्यावरण बीमारी के जीवाणुओं को मनुष्य तक पहुँचाने में वाहन का कार्य करते हैं। ये जीवाणु पर्यावरण के माध्यम से मनुष्य तक पहुँच जाते हैं। जहाँ बीमारी उत्पन्न करने में सफल हो जाते हैं। ‘अमोबाइसिस’ बड़े शहरों में होने वाली प्रमुख समस्या है। इसके परजीवी गन्दे प्रदूषित जल द्वारा मनुष्य तक पहुँच जाते हैं जहाँ पर बीमारी का कारण बनते हैं। वहाँ पर्यावरण स्वयं बीमारी उत्पन्न नहीं करता वरन् बीमारी फैलाने वाले परजीवी को मनुष्य के उपयुक्त अंग तक पहुँचा देता है। इसी प्रकार क्षय रोग हमारे देश की एक विकराल समस्या है जिसके जीवाणु रोगी के स्वस्थ मनुष्य तक हवा के माध्यम से पहुँच जाते हैं।
(iv) कई स्थितियों में पर्यावरण के अवयव स्वयंमेव बीमारी का कारण बन जाते हैं। हिमालय के तराई क्षेत्रों में रहने वाले लोगों में गलगंड, एक जन स्वास्थ्य समस्या है। इस क्षेत्र के पानी में ‘ आयोडीन’ की मात्रा बहुत कम होती है जिससे यह बीमारी एक विकराल समस्या बन गयी है।
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