पर्यावरण क्या है ? विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।

 पर्यावरण क्या है ? विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए। 

                                  अथवा
पर्यावरण से आप क्या समझते हैं ?
                                  अथवा
पर्यावरण का अर्थ एवं परिभाषाएँ बताइये ।
                                  अथवा
पर्यावरण की अवधारणा को स्पष्ट कीजिये ।
                                  अथवा
पर्यावरण किसे कहते हैं ?
उत्तर— पर्यावरण का अर्थ एवं परिभाषाएँ—
‘पर्यावरण’ शब्द अंग्रेजी के ‘Environment’ शब्द का हिन्दी रूपान्तर है। ‘एनवायरमेन्ट’ का अर्थ है—वह बाह्य आवरण जो हमें चारों ओर से घेरे हुए है। पर्यावरण से अभिप्राय उन सभी दशाओं तथा तत्त्वों से लिया गया है जो हमें चारों ओर से घेरे हुए हैं।
प्रकृति के जैव, अजैव तत्त्वों के समुच्चय को पर्यावरण कहते हैं। पर्यावरण में चार घटक सम्मिलित होते हैं— भूमि, जल, वायु तथा जैविक प्राणी ।
परिभाषा—‘पर्यावरण’ शब्द ‘परि + आवरण’ से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है जो हमें चारों ओर से पूर्ण रूप से घेरे हुए हैं अर्थात् हमें चारों ओर से घेरे हुए बाह्य आवरण ही पर्यावरण है। इस प्रकार भूमि, जल, वायु, पशु-पक्षी, पेड़-पौधे तथा वनस्पति सब मिलकर पर्यावरण का निर्माण करते हैं, क्योंकि ये ही हमें चारों ओर से घेरे हुए हैं।
अन्य परिभाषाएँ — अनेक विद्वानों द्वारा कोशों में पर्यावरण को किया है जिनमें से प्रमुख परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं—
(i) प्रसिद्ध अमेरिकी वैज्ञानिक हर्षको विट्ज ने पर्यावरण को निम्न प्रकार परिभाषित किया है, “पर्यावरण उन समस्त बाह्य दशाओं और प्रभावों का योग है जो प्राणी के जीवन एवं विकास को प्रभावित करते हैं। “
(ii) प्रसिद्ध जर्मन भूगोलवेत्ता ए. फिटिंग के अनुसार, “जीव की पारिस्थिति के समस्त तत्त्व या घटक मिलकर पर्यावरण कहलाते हैं।’
(iii) प्रसिद्ध भूगोलवेत्ता डॉ. सविन्द्र सिंह ने पर्यावरण को परिभाषित करते हुए कहा है कि, “पर्यावरण भूगोल सामान्य रूप से जीवित जीवों तथा प्राकृतिक पर्यावरण के मध्य तथा मुख्य रूप से प्रौद्योगिक स्तर पर विकसित मानव एवं उसके प्राकृतिक पर्यावरण के मध्य अन्तर्सम्बन्धों के स्थानिक गुणों का अध्ययन है।”
(iv) एनसाइक्लोपीडिया ऑफ ब्रिटेनिका के अनुसार, “पर्यावरण उन सभी बाह्य प्रभावों का समूह है जो जीवों को प्राकृतिक, भौतिक एवं जैविक शक्ति से प्रभावित करते रहते हैं तथा प्रत्येक जीव को आवृत्त किये रहते हैं।”
(v) प्रसिद्ध विद्वान दार्शनिक ताँसले के अनुसार, “चारों ओर पायी जाने वाली प्रभावकारी दशाओं (Effective Conditions) का बह योग, जिसमें जीव रहते हैं, वातावरण अथवा पर्यावरण कहलाता है। “
(vi) डगलस व हालैण्ड के अनुसार, “पर्यावरण अथवा वातावरण वह शब्द है जो समस्त बाह्य शक्तियों, प्रभावों और परिस्थितियों का सामूहिक रूप से वर्णन करता है, जो जीवंधारी के जीवन, स्वभाव, व्यवहार तथा अभिवृद्धि विकास तथा प्रौढ़ता पर प्रभाव डालता है। “
पर्यावरण की विशेषताएँ – पर्यावरण की विशेषताएँ निम्न हैं—
(i)  व्यक्ति के जन्म से मृत्युपर्यन्त प्रभावित करने वाली सम्पूर्ण परिस्थितियों को पर्यावरण में सम्मिलित करते हैं।
(ii) वंशानुक्रम के अतिरिक्त सभी घटकों, कारकों तथा परिस्थितियों को जो प्रभावित करते हैं, उन्हें पर्यावरण कहते हैं ।
(iii) जीवधारियों के विकास एवं उत्थान को प्रभावित करने वाली बाह्य शक्तियों को पर्यावरण कहा जाता है।
(iv) इसके अन्तर्गत भौतिक में वायु, जल तथा भूमि और जैविक में पौधों, पशु-पक्षियों तथा मनुष्य को सम्मिलित करते हैं ।
(v) मानव की व्यवस्था, प्रबन्ध तथा संस्थाओं के वातावरण तथा गतिविधियों
(vi) एवं कार्यों को भी सम्मिलित करते हैं। पर्यावरण के अन्तर्गत भौतिक, रासायनिक, सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, जैविक तथा सांस्कृतिक क्रियाओं को सम्मिलित किया जाता है ।
(vii) जीवन तथा व्यवहार की प्रकृति को प्रभावित करने वाली भौतिक, सामाजिक, नैतिक, सांस्कृतिक, भावात्मक, आर्थिक तथा राजनैतिक शक्तियों को पर्यावरण का अंग माना जाता है।
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