पाठ्यचर्या मूल्यांकन के स्रोतों की विस्तृत विवेचना कीजिये ।
पाठ्यचर्या मूल्यांकन के स्रोतों की विस्तृत विवेचना कीजिये ।
उत्तर–पाठ्यचर्या मूल्यांकन के स्रोत निम्न हैं—
(1) शिक्षक–पाठ्यचर्या मूल्यांकन विद्यालय के शिक्षकों द्वारा भी किया जाना चाहिए क्योंकि हम शिक्षक इस दृष्टि से पाठ्यचर्या के भाग हैं कि हम कक्षा में पाठ्यचर्या को पढ़ाने का कार्य करते हैं और इसी कारण हम पाठ्यचर्या के कार्यान्वयन से सम्बन्धित महत्त्वपूर्ण सूचना प्रदान कर सकते हैं। शिक्षक पाठ्यचर्या मूल्यांकन के बहुत ही महत्त्वपूर्ण साधन हैं। साथ ही वे शिक्षक भी जो वर्तमान में विषय को पढ़ा नहीं रहे लेकिन जिन्हें विषय-वस्तु का पर्याप्त ज्ञान है और जिनके पास विशेष पाठ्यचर्या की पृष्ठभूमि की सूचना है, ऐसे शिक्षक भी पाठ्यचर्या मूल्यांकन में सहायक हो सकते हैं। बशर्ते शिक्षक के पास पाठ्यचर्या की समीक्षा के लिए अपेक्षित कुशलता प्राप्त हो। इस पाठ्यचर्या के उद्देश्य में से एक उद्देश्य आपकी इस योजना के विकास में सहायक होना भी है।
( 2 ) शिक्षार्थी–एक विशेष पाठ्यचर्या के शिक्षार्थी इस कारण से प्रमुख एवं अधिक आवश्यक सूचना के स्रोत हैं कि अभीष्ट पाठ्यचर्या किस प्रकार प्रसांगिक है और किस प्रकार इसे कार्यान्वित किया जा रहा है। एक विशेष पाठ्यचर्या में अध्ययनरत शिक्षार्थियों के पाठ्यचर्या मूल्यांकन हेतु पाठ्यचर्या सम्बन्धी विस्तृत सूचनायें दो प्रकार से एकत्रित की जा सकती हैं—प्रथम, यह पता करके कि क्या शिक्षार्थियों ने वास्तव में अभीष्ट निर्गत विनिर्देशन प्राप्त किये हैं और क्या वे इस बात का अहसास करते हैं कि उन्हें पाठ्यचर्या के उद्देश्यों की प्राप्ति हो गयी है। इस प्रकार की सूचना सामान्यतः मूल्यांकन प्रक्रिया द्वारा एकत्रित की जाती हैं। द्वितीय, शिक्षार्थियों से यह मालूम करके कि वे कहाँ तक यह समझते हैं कि उन्होंने पाठ्यचर्या विशेष के उद्देश्यों की प्राप्ति की है। शिक्षार्थियों से प्राप्त यह सूचना गुणात्मक प्रकार की है क्योंकि यह शिक्षार्थियों के अनुभव पर आधारित है और ये पाठ्यचर्या में सुधार हेतु अधिक मूल्यवान है। इस प्रकार की मूल्यवान सामग्री का एकत्रीकरण उन शिक्षार्थियों से भी कर सकते हैं जो कक्षा उत्तीर्ण कर जा चुके हैं और वह पाठ्यचर्या कार्यान्वयन में अधिगम कर चुके हैं।
( 3 ) समुदाय-पाठ्यचर्या मूल्यांकन हेतु स्थानीय समुदाय में एक विशिष्ट पाठ्यचर्या का शिक्षित व्यक्ति जानकारी प्रदान करने के लिए महत्त्वपूर्ण स्रोत के रूप में कार्य कर सकता है। स्थानीय समुदाय की पाठ्यचर्या सम्बन्धी जरूरतें पाठ्यचर्या को प्रासंगिक तथा आवश्यकता आधारित अथवा अनुपयोगी बना सकती हैं। समुदाय की आवश्यकताओं तथा अपेक्षाओं के आधार पर ही संशोधित पाठ्यचर्या समाजीकृत और जिम्मेदार नागरिक विकसित कर समुदाय के उद्देश्य की अधिकतम प्राप्ति कर सकेगी।
(4) पाठ्यचर्या विशेषज्ञ पाठ्यचर्या विशेषज्ञ पाठ्यचर्या विकास हेतु शिक्षार्थियों की दृष्टि से अति उपयोगी जानकारी आधुनिक तकनीक के बारे में दे सकते हैं। वर्तमान में किसी सोद्देश्य पाठ्यचर्या में यह स्पष्ट किया जाने लगा है कि शिक्षार्थी पाठ्यचर्या विशेष के अन्त तक क्या करने योग्य हो सकेंगे अर्थात् पाठ्यचर्या के उद्देश्य अपेक्षित व्यवहारगत परिवर्तन के रूप प्रारम्भ में ही स्पष्टतः लिख दिये जाते हैं। केवल इतना ही नहीं बल्कि किन परिस्थितियों में उन्हें यह आचरण करना होगा और त्रुटियों की स्वीकृति का सन्तुलन क्या होगा। पाठ्यचर्या विशेषज्ञों ने प्रारम्भ से ही महत्त्वपूर्ण कार्य किया है। इसलिये पाठ्यचर्या मूल्यांकन में इनका योगदान अपरिहार्य हो जाता है। अतः पाठ्यचर्या विशेषज्ञ पाठ्यचर्या मूल्यांकन हेतु जानकारी के अच्छे स्रोत हैं।
(5) विषय विशेष के ज्ञाता अथवा विषय विशेषज्ञ पाठ्यचर्या के क्रियान्वयन पर विशेष रूप से अनुशासन की दृष्टि से यह आवश्यक ही है कि इस क्षेत्र के अन्य विषय विशेषज्ञों के विचारों पर उनको संगत और विश्वसनीय मानकर विचार किया जाय। विषय विशेषज्ञ अन्य वर्गों जैसे क्षेत्र में कार्यरत अथवा स्वनियोजित विद्वान व्यक्ति भी हो सकता है। क्योंकि विशेषज्ञ क्षेत्रीय परिस्थितियों के सम्बन्ध में मुख्य सूचनायें देंगे जो पाठ्यचर्या मूल्यांकन की दृष्टि से अधिक मूल्यवान साबित होगी।
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