पाठ्यान्तर क्रियाओं का क्या अर्थ है ? इन क्रियाओं के क्या लाभ हैं ?

पाठ्यान्तर क्रियाओं का क्या अर्थ है ? इन क्रियाओं के क्या लाभ हैं ?

उत्तर— पाठ्यान्तर या पाठ्य सहगामी क्रियाओं का अर्थ — विभिन्न विषयों के शिक्षण अधिगम के साथ विद्यालय में बालकों के सर्वांगीण विकास के लिये जो क्रियाएँ कराई जाती हैं उन्हें पाठ्यान्तर क्रियाएँ कहा जाता है। ये क्रियाएँ अध्यापन के कार्य में तो सहायक सिद्ध होती ही हैं, अपितु ये क्रियाएँ छात्रों को ‘जीवन की शिक्षा देने में बहुत सहायक सिद्ध होती हैं। इन क्रियाओं की सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि इसमें छात्र सक्रिय होते हैं । “
पाठ्यांतर क्रियाओं के मुख्य लाभ निम्न हैं—
(1) विषय-वस्तु को रोचक बनाने, अभ्यास कराने तथा आत्मसात कराने में ये क्रियाएँ महत्त्वपूर्ण योगदान देती हैं।
(2) नैतिक विकास को बढ़ावा मिलता है।
(3) छात्रों में नेतृत्त्व के गुणों का विकास होता है ।
(4) बालक समझने लगते हैं कि अधिकारों के साथ कर्त्तव्यों का भी उतना ही महत्त्व है ।
(5) शारीरिक विकास में सहायता मिलती है ।
(6) अनुशासन, आत्मानुशासन तथा सामाजिक अनुशासन बन जाता है।
(7) व्यावसायिक विकास में सहायता मिलती है ।
(8) पाठ्यान्तर क्रियाओं द्वारा छात्रों की मूल प्रवृत्तियों का उन्नयन होता है।
(9) छात्रों में सामाजिक भावना का विकास होता है ।
(10) छात्रों में सहयोग की भावना विकसित होती है ।
(11) छात्र अवकाश के समय का सदुपयोग करना सीखते हैं ।
(12) सहपाठीय क्रियाओं द्वारा छात्रों को स्वयं अपने को पूर्णरूप के अवसर मिलते हैं |
(13) सांस्कृतिक एकता को बढ़ावा मिलता है ।
(14) राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा मिलता है ।
(15) स्वशासन में प्रशिक्षण प्राप्त होता है ।
(16) छात्रों में वफादारी की भावना होती है ।
(17) बालकों में स्कूल के प्रति आदर की भावना पनपती है ।
(18) व्यक्तिगत रुचियों और अभिरुचियों को पनपने के अवसर प्राप्त होते हैं ।
(19) बालकों में सामूहिक रूप से काम करने की भावना अर्थात् टीम भावना का विकास होता है ।
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