पारिस्थितिकी की परिभाषा देते हुए पारिस्थितिकी की विशेषताएँ एवं प्रकार बताइये ।

पारिस्थितिकी की परिभाषा देते हुए पारिस्थितिकी की विशेषताएँ एवं प्रकार बताइये ।

उत्तर – पारिस्थितिकी— फ्रांस के जीव विज्ञानी ज्योफ्रीसेंट हिलेरी ने सन् 1859 में जीवों के परिवार और समुदाय के समग्र सम्बन्धों के अध्ययन को इथोलोजी (Ethology) नाम दिया। जर्मन जीव विज्ञानी हीकल ने सन् 1866 में इकोलोजी (Ecology) शब्द रचा।
इकोलोजी (Ecology) शब्द दो ग्रीक शब्दों से बना है जिसमें ‘OIKOS’ अर्थात् घर या रहने का स्थान और ‘logos’ अर्थात् विज्ञान हैं। दूसरे शब्दों में आवास जहाँ जीवन बसता है, उसकी परिस्थितियों या पर्यावरण के तत्वों का अध्ययन और वैज्ञानिक विवेचन करना ही पारिस्थितिकी का उद्देश्य है अर्थात् यह एक व्यवस्थित पर्यावरण विज्ञान है। ओडम ने इसकी परिभाषा करते हुए लिखा है कि “पारिस्थितिकी जीव अथवा जीवों के समूह का पर्यावरण के साथ सम्बन्धों का अध्ययन है, या जीवों और पर्यावरण के अन्तर्सम्बन्धों का विज्ञान है।”
परिभाषाएँ—ओडम की उपर्युक्त परिभाषा के अनुरूप ही इकोलोजी (Ecology) शब्द की अन्य विद्वानों ने भी परिभाषाएँ प्रस्तुत की, जिनमें से प्रमुख परिभाषाएँ इस प्रकार हैं
(i) टेलर के अनुसार- “पारिस्थितिकी वह विज्ञान है जो सभी जीवों का सम्पूर्ण पर्यावरण के साथ पूर्ण सम्बन्धों का अध्ययन करता है। “
(ii) एनसाइक्लोपीडिया ऑफ ब्रिटेनिका के अनुसारपारिस्थितिकी वह विज्ञान है जो जीवों के एक दूसरे के सम्बन्धों तथा उन तत्वों का अध्ययन करता है जो पर्यावरण के अंग हैं।” **
(iii) माकहॉउस एवं स्माल के अनुसार—”पारिस्थितिकी जीवों और पर्यावरण के आपसी सम्बन्धों का विज्ञान है।”
(iv) पीटरहेगेट के अनुसार- ‘पारिस्थितिकी पादप एवं जीवजन्तुओं का पर्यावरण के साथ सम्बन्धों का अध्ययन है।”
(v) डब्ल्यू जी. मूर के अनुसार—”पारिस्थिति की वह विज्ञान है जो जीवों के पर्यावरण के साथ सम्बन्धों को प्रतिपादित करता है।”
पारिस्थितिकी की उपर्युक्त परिभाषाओं से यह स्पष्ट है कि पारिस्थितिकी जीव अर्थात् पशु, पक्षी एवं अन्य जीव तथा मानव पर पर्यावरण के समग्र प्रभाव व सम्बन्धों का वैज्ञानिक अध्ययन एवं विश्लेषण करना है। पर्यावरण एवं जीवों का सम्बन्ध एकांगी या एकतरफा नहीं होता अर्थात् यह नहीं है कि केवल पर्यावरण का ही प्रभाव जीवों पर पड़ता है अपितु जीव भी पर्यावरण को प्रभावित करते हैं और मानव तो विशेषत: अपने बौद्धिक विकास, तकनीकी एवं वैज्ञानिक ज्ञान से पर्यावरण को सर्वाधिक प्रभावित करता है। इस क्रम में वह न केवल पर्यावरण का उपयोग करता है अपितु उसको प्रभावित कर पारिस्थितिकी असन्तुलन का कारण भी बनता है। इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि पर्यावरण एवं जीवों में अन्तर्सम्बन्धों का अध्ययन अर्थात् पारिस्थितिकी एक •व्यावहारिक व्यवस्थित विज्ञान है।
पारिस्थितिकी की प्रमुख विशेषताएँ— पारिस्थितिकी की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं-
(i)पारिस्थितिकी प्राणियों तथा उनके वातावरण के सम्बन्धों के विश्लेषण का अध्ययन करता है।
(ii) पारिस्थितिकी के अन्तर्गत विशाल प्रकृति के स्वरूप तथा कार्यों का ज्ञान प्रदान किया जाता है।
(iii) पारिस्थितिकी प्राणियों तथा इनके वातावरण के सम्बन्धों का वैज्ञानिक अध्ययन है।
(iv) पारिस्थितिकी वह विज्ञान है जिसमें सम्पूर्ण प्राणियों तथा उनके सम्पूर्ण वातावरण के सम्बन्धों का अध्ययन किया जाता है।
(v) इसमें प्राणियों तथा उनके वातावरण में आन्तरिक सम्बन्धों तथा आन्तरिक निर्भरता का वैज्ञानिक अध्ययन किया जाता है।
(vi) यह वैज्ञानिक अध्ययन का एक आयाम है जिसमें जीव प्राणियों के कल्याण हेतु नियंत्रण तथा संचालन का अध्ययन किया जाता है।
(vii) पारिस्थितिकी एक दार्शनिक विचारधारा भी है। इसमें विश्व जीवन का अर्थापन प्राकृतिक प्रक्रियाओं के रूप में किया जाता है।
(viii) पारिस्थितिकी विज्ञान में प्राणियों तथा उनके वातावरण में आन्तरिक सम्बन्धों, प्राणियों के आन्तरिक सम्बन्ध प्राणियों के आन्तरिक सम्बन्धों तथा जीवों के मध्य आन्तरिक सम्बन्धों का अध्ययन किया जाता है।
पारिस्थितिकी के प्रकार—पारिस्थितिकी की व्यापकता के आधार पर इसका विभाजन निम्नलिखित दो भागों में किया जा सकता है–
(1) एकांगी पारिस्थितिकी—इस पारिस्थितिकी में किसी जीव की एक जाति या उपजाति के सम्बन्धों एवं प्रभावों का अध्ययन किया जाता है। जैसे—मेंढक एक जीव है। इसकी एक जाति ‘राना टिग्रीना’ का उसके वातावरण से सम्बन्ध का अध्ययन एकांगी पारिस्थितिकी कहलाती है।
(2) सम्पूर्ण पारिस्थितिकी— इसमें समुदायों अथवा सम्पूर्ण पारिस्थितिकी प्रणालियों का अध्ययन किया जाता है; जैसेपारिस्थितिकीवेत्ता सम्पूर्ण तन्त्र, जैसे—मरूस्थल, गुफाओं और कोणधारी वनों का अध्ययन किया जाता है जिसमें वह सम्पूर्ण ऊर्जा तथा पदार्थों की प्रवाह प्रणाली का वर्णन करता है।
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