पूर्वाग्रह का अर्थ एवं इसकी विशेषताओं का वर्णन कीजिए ।

पूर्वाग्रह का अर्थ एवं इसकी विशेषताओं का वर्णन कीजिए ।

                                    अथवा
पूर्वाग्रह क्या है?
उत्तर— पूर्वाग्रह शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा के ‘प्रेजूडिसियम’ (Prejudicium) शब्द से हुई है। इसका अभिप्राय ‘पूर्वनिर्णयन’ से है अर्थात् वास्तविकता को विधिवत् समझे बगैर किसी समूह या व्यक्ति के बारे में उसके वर्ग या प्रजातीय सदस्यता के आधार पर कोई विचार या धारणा बना लेना पूर्वाग्रह है। विभिन्न विद्वानों ने इसी तरह परिभाषित किया है—
बैरन एवं बाइरने (2004) के अनुसार, “किसी अन्य समूह के सदस्यों के प्रति नकारात्मक अभिवृत्ति को पूर्वाग्रह कहते हैं।”
ऑलपोर्ट (1954) के अनुसार, “यह एक प्रकार का ऐसा विरोधी भाव है, जो दोषपूर्ण एवं अनन्य सामान्यीकरण पर आधारित होता है । इसकी अनुभूति या अभिव्यक्ति की जा सकती है। यह किसी पूरे समूह या किसी व्यक्ति के प्रति निर्देशित होता है, क्योंकि वह उस समूह का सदस्य होता है।”
शेरिफ एवं शेरिफ (1969) के अनुसार, “किसी समूह के सदस्यों द्वारा उनके मानकों से उत्पन्न किसी दूसरे एवं सदस्यों के प्रति निर्मित नकारात्मक अभिवृत्ति को ही पूर्वाग्रह कहते हैं।”
पूर्वाग्रह की विशेषताएँ पूर्वाग्रह की परिभाषाओं तथा तथ्यों के आधार पर हम उसकी विशेषताओं को निम्नानुसार प्रकट कर सकते हैं—
(1) पूर्वाग्रह तर्कहीन होता है- पूर्वाग्रह अविवेकी, तर्कहीन तथा असंगत होता है। कई बार सही तथ्य तथा सूचनाएँ व्यक्ति के सामने रखने पर भी वह अपने पूर्वाग्रह पर बना रहता है।
(2) पूर्वाग्रह उपार्जित होता है— पूर्वाग्रह जन्जमात नहीं होता है अपितु इसी समाज में रहकर उपार्जित होता है। जैसा वह घर में माता पिता, भाई बहन, अन्य सदस्यों, अन्य समूहों, पास पड़ोसियों, विद्यालयों, मित्रों आदि के द्वारा व्यक्तियों के बारे में जैसा सुनता है उसी को ग्रहण कर पूर्वाग्रह विकसित कर लेता है। उदाहरणार्थ — यह कहा जाता है किं अमुक जाति के लोग बहादुर होते हैं, परिश्रमी या कामचोर होने हैं बच्चों के मन में वैसी ही छवि अंकित हो जाती है तथा वह उन्हें अर्जित कर लेते हैं।
(3) पूर्वाग्रह में भावात्मक स्वर होता है— पूर्वाग्रह में भावात्मक स्वर होता है। वह व्यक्ति किसी समूह, धर्म, जाति के प्रति या तो अनुकूल होता है या प्रतिकूल होता है। यदि अनुकूल होती है तो वह दूसरे समूह धर्म जाति के लोगों के प्रति स्नेह व प्रेम दर्शाता है। यदि उसकी पूर्वाग्रह प्रतिकूल हुई तो घृणा, द्वेष आदि भावात्मक रूपों को दर्शाता है । उदाहरण के लिए अमेरिका के गोरी जाति के लोग नीग्रो के प्रति नकारात्मक पूर्वाग्रह तथा भारत के उच्च वर्ग के लोग निम्न जाति के लोगों के प्रति भावात्मक पूर्वाग्रह देखने को मिलती है ।
(4) पूर्वाग्रह व्यक्ति विशेष पर नहीं सम्पूर्ण समूह पर संचालित होती है— पूर्वाग्रह का निशाना व्यक्ति विशेष नहीं होता है बल्कि पूरा समुदाय होता है। उदाहरण के लिए अमेरिका का गोरी जाति का व्यक्ति एक नीग्रो से इसलिए घृणा करता है क्योंकि वह नीग्रो समाज से सम्बन्धित है, इसी प्रकार उच्च वर्ग का व्यक्ति दलित से इसलिए घृणा व विद्वेष रखता है क्योंकि वह दलित समाज से सम्बन्धित है श्रेष्ठता के बावजूद प्रतिकूल पूर्वाग्रह निर्मित हो जाती है ।
(5) पूर्वाग्रह की प्रकृति कार्यात्मक होती है – पूर्वाग्रह की प्रकृति कार्यात्मक होती है क्योंकि इसका लाभ व्यक्ति को मिलता है । जैसे—पूर्वाग्रह घृणा एवं विद्वेष को सही ठहराने में संतोष प्रदान करता है तथा दमित इच्छाएँ भी सन्तुष्ट होती है।
(6) पूर्वाग्रह वास्तविकता से सम्बन्धित नहीं होती है— पूर्वाग्रह का सम्बन्ध वास्तविकता से नहीं होता है। वह सुनी-सुनाई बातों एवं पुराने रीति रिवाजों पर आधारित होती है। भारत को स्वतंत्र हुए वर्षों बीत गए हैं लेकिन पूर्वाग्रह के कारण आज भी हम निम्न वर्ग के साथ छुआछूत तथा भेदभाव करते हैं। यदि उनसे पूछा जाए कि उनकी चमड़ी, रक्त में क्या कोई भेद है ? वह इसका उत्तर यही देंगे कि यह हमारी परिपाटी चली आ रही है हमारे पूर्वज भी ऐसा करते चले आ रहे हैं।
(7) पूर्वाग्रह अस्तित्वरहित होता है –पूर्वाग्रह ऐसे निर्णयों पर आधारित होता है जिनका कोई अस्तित्व नहीं होता है। यह पूर्वाग्रह व्यक्ति बचपन में ही विकसित कर लेता है। ‘
(8) पूर्वाग्रह का निर्माण ऐतिहासिक अध्ययनों से होता है– वस्तुतः हम ऐतिहासिक पुस्तकों में जब किसी अन्य समूह के बारे में पढ़ते हैं तब उनके सम्बन्ध में वैसी ही पूर्वधारणाएँ बना लेते हैं। यही कारण है कि ब्रिटिशकाल में जो इतिहास लिखा है वह हिन्दू मुसलमानों में दूरी बढ़ाने में समर्थ रहा। हिन्दू महाराणा प्रताप, शिवाजी को अपना आदर्श मानते हैं तो मुसलमान अकबर तथा औरंगजेब को इस प्रकार ! इतिहास की पुस्तकें पूर्वाग्रह के निर्माण में सहायक होती है।
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