पूर्वाग्रह के प्रकारों का विस्तार से वर्णन कीजिए ।

पूर्वाग्रह के प्रकारों का विस्तार से वर्णन कीजिए ।

उत्तर— पूर्वाग्रह के प्रकार – पूर्वाग्रह के विभिन्न प्रकार माने गए हैं । कतिपय पूर्वाग्रह के प्रकार निम्न हैं—

(1) प्रजातीय पूर्वाग्रह / नस्ल – प्रजातीय पूर्वाग्रह में व्यक्ति अपने से भिन्न प्रजाति के लोगों के प्रति पूर्वाग्रहित होता है। भारत में भी हमें प्रजातीय पूर्वाग्रह का उदाहरण मिलता है। यदि प्रजातीय पूर्वाग्रहों की गहराई में जाकर देखें तो हम पायेंगे कि इसमें सत्यता लेशमात्र भी नहीं है। यद्यपि जैसे-पहले प्रजातियों में परस्पर पूर्वाग्रह ज्यादा देखने को मिलता था अब कम हो गया है, लेकिन पूर्वाग्रह समाप्त नहीं हुआ है। इससे मालूम चलता है कि प्रजातीय पूर्वाग्रह आज भी प्रचलित है। समय-समय पर इसका प्रकटीकरण हो जाता है। इस तथ्य को समयसमय पर किए गए अनुसंधान उजागर करते हैं।
(2) यौन पूर्वाग्रह – यौन पूर्वाग्रह से तात्पर्य किसी यौन के व्यक्तियों के प्रति एक विशेष प्रकार का पूर्वाग्रह होता है। अमेरिकन मनोवैज्ञानिकों ने पाया कि करीब 30 वर्ष पहले अमेरिका में यौन पूर्वाग्रह ज्यादा था। इस पूर्वाग्रह के चलते वह नारी को कमजोर, दूसरों पर निर्भर आदि गुण युक्त समझा जाता था अर्थात् नारी के प्रति सकारात्मक पूर्वाग्रह रखा जाता था। पुरुषों को अपेक्षाकृत परिश्रमी, नेतृत्वशक्ति से युक्त सत्ताधारी, प्रभावशाली समझा जाता था अर्थात् सकारात्मक पूर्वाग्रह से देखा जाता था। यद्यपि आज अमेरिकी समाज में दोनों को समतुल्य देखा जाता है। लेकिन भारतीय समाज में आज भी यौन पूर्वाग्रह विद्यमान है। यहाँ आज भी नारी को पुरुषों पर निर्भर, कमजोर, पतिव्रता नारी समझा जाता है। इसका कारण महिलाएँ स्वयं भी हैं ।
(3) उम्र पूर्वाग्रह – उम्र भी पूर्वाग्रह का कारण होता है। हम वृद्ध को अशक्त, आश्रित, निष्क्रिय, अपंग, लाचार समझते हैं एवं उसी तरह उनके साथ व्यवहार करते हैं। विशेषकर जापान में वृद्धों की अधिक उम्र होती है। अतः वहाँ की जनता उन्हें जिन्दा भी जला देती है क्योंकि वहाँ की संस्कृति भी ऐसी है। भारत में भी उम्र पूर्वाग्रह विद्यमान है। आज की युवापीढ़ी वृद्धों को अपने से छुटकारा पाने के लिए वृद्धाश्रम में छोड़ देती है जो अनुचित है।
(4) साम्प्रदायिक पूर्वाग्रह – साम्प्रदायिक पूर्वाग्रह से तात्पर्य किसी विशेष सम्प्रदाय के प्रति दूसरे समुदाय या सम्प्रदाय के लोगों की मनोवृत्ति से होता है। भारत में तीन समुदाय अर्थात् समुदाय, मुस्लिम समुदाय तथा सिक्ख समुदाय की मनोवृत्तियाँ एक दूसरे के प्रति अधिक तीक्ष्ण हैं । जिससे वे एक दूसरे के प्रति पूर्वाग्रस्त हैं। इस पूर्वाग्रह के कारण ही हिन्दू मुस्लिम, हिन्दू सिक्खों के साम्प्रदायिक दंगे होते हैं।
(5) वेशभूषा सम्बन्धी पूर्वाग्रह – जो वेशभूषा व्यक्ति स्वयं अपनाते हैं उसके प्रति उनकी रुचि अधिक हो जाती है। दूसरी वेशभूषा को वह अच्छा नहीं समझते हैं। एक हिन्दू के अन्दर मुसलमान की तुर्की टोपी से पूर्वाग्रह बन जाता है।
(6) संस्कृति पूर्वाग्रह – व्यक्ति अपनी संस्कृति के प्रति पक्षपात पूर्ण रवैया अपनाता है। वह अन्य संस्कृतियों को निम्न दृष्टि से देखता है । भारतीय अपनी संस्कृति को पाश्चात्य संस्कृति से श्रेष्ठ समझते हैं। इसी तरह पाश्चात्य संस्कृति वाले भारतीय संस्कृति को बहुत हीन मानते हैं । फलस्वरूप पूर्वाग्रह बन जाता है।
(7) आर्थिक पूर्वाग्रह – समाज में विभिन्न स्तर समूह में परस्पर द्वेष तथा संघर्ष रहता है। निर्धन व धनिक, मजदूर वर्ग, पूंजीपति एवं श्रमिक वर्ग में दूसरे के प्रति पूर्वाग्रह विकसित हो जाता है।
(8) धर्म से सम्बन्धित पूर्वाग्रह – धर्म सम्बन्धी पूर्वाग्रह में व्यक्ति अपने धर्म के व्यक्तियों के प्रति स्वीकारात्मक मनोवृत्ति एवं दूसरे धर्म के व्यक्तियों के प्रति नकारात्मक मनोवृत्ति दर्शाता है। फलस्वरूप परस्पर शत्रुता उत्पन्न हो जाती है। जावेलका ने अध्ययन में पाया कि ईसाइयों की पूर्वाग्रह नीग्रो के प्रति अधिक नकारात्मक होती है। हिन्दू धर्म मानने वाले लोग मुस्लिम धर्म मानने वाले लोगों के प्रति अधिक पूर्वाग्रहित होते हैं। इस ढंग का पूर्वाग्रह या पूर्वाग्रह का सामाजिक कुप्रभाव हमें विभिन्न प्रकार के सामाजिक ढंग में जिसका आधार धार्मिक विश्वास है, में मिलता है।
(9) क्षेत्रीय पूर्वाग्रह –भारत में क्षेत्रीय पूर्वाग्रह भी देखने को मिलता है। शहरी लोग अपने को अधिक बुद्धिमान, चतुर एवं आधुनिक समझते हैं तथा गांव में रहने वाले व्यक्ति को मन्दबुद्धि एवं नासमझ समझते हैं। शहरी क्षेत्रों में रहने वाले व्यक्तियों में भी परस्पर पूर्वाग्रह होता है। दिल्ली, मुम्बई जैसे महानगरों में रहने वाले व्यक्तियों को छोटे शहर के व्यक्ति प्रायः धूर्त एवं खुदगर्ज समझते हैं। जबकि सभी ऐसे नहीं होते हैं।
(10) राजनीति से सम्बन्धित पूर्वाग्रह – भारत में राजनीति से सम्बन्धित पूर्वाग्रह अधिक दिखाई देता है। एक राजनीतिक दल के सदस्य अपने सिद्धान्तों को आदर्श मानता है एवं दल के सदस्यों के प्रति सकारात्मक पूर्वाग्रह रखता है लेकिन अन्य के राजनीतिक दलों को हेय, भ्रष्ट समझता है। उसकी कमजोरियों को उजागर करता है। इस प्रकार पूर्वाग्रह का जन्म राजनैतिक स्वार्थों से होता है। सत्रीय काल के दौरान उनकी परस्पर छींटाकशी पूर्वाग्रह को स्पष्ट करती है।
(11) वर्ण पूर्वाग्रह – वर्ण पर आधारित पूर्वाग्रह सर्वत्र विद्यमान है न केवल भारत में अपितु विदेशों में भी पायी जाती है। काले-गोरों का भेद इत्यादि वर्ण पर भी आधारित पूर्वाग्रह है। जब वर्ण पर आधारित पूर्वाग्रह बन जाता है तो व्यक्तियों के व्यवहार, स्वभाव, बुद्धि एवं क्षमता का अनुमान इन्हीं के आधार पर लगाया जाता है।
(12) जाति सम्बन्धी पूर्वाग्रह – भारत एक ऐसा देश है जिसमें विभिन्न जातियों के लोग रहते हैं। प्राय: देखा गया है कि एक जाति के लोग दूसरी जाति के लोगों को अपने से तुच्छ तथा गिरा हुआ समझते हैं एवं उनके प्रति भेदभाव दिखलाते हैं। इसे ही जाति पूर्वाग्रह की संज्ञा दी जाती है । जाति पूर्वाग्रह का एक लाभ यह होता है कि एक जाति के लोग आपस में एक दूसरे को एक समाज का सदस्य मानते हैं चाहे वे किसी क्षेत्र, व्यवसाय या वर्ग के हों। फलस्वरूप उनके जाति के नाम पर एकता बनी रहती है। इसका स्पष्ट परिणाम यह होता है कि उनकी पूर्वाग्रह अपनी जाति के लोगों के प्रति स्वीकारात्मक होती है लेकिन अन्य जाति के लोगों के प्रति उनकी नकारात्मक पूर्वाग्रह होती है और उनके प्रति शत्रुता एवं विद्वेषता बढ़ जाती है जिसकी मात्रा अधिक होने से जातीय दंगों का जन्म होता है।
(13) भाषा पूर्वाग्रह – भारत में बहुत जाति के लोग रहते ही हैं, में साथ ही साथ उनकी भाषा भी अलग-अलग है जिससे भाषा पूर्वाग्रह का जन्म होता है। इस तरह की पूर्वाग्रह में एक भाषा बोलने वाले सभी व्यक्ति अपने को एक ही समूह का सदस्य मानकर आपस में कुछ एकता दिखलाते हैं। दूसरी भाषा बोलने वाले लोगों के प्रति तुच्छता तथा विद्वेषता का भाव दिखलाते हैं। आये दिन हम अखबारों में भाषा को लेकर दलगत समुदाय की खबरें पढ़ते रहते हैं। फिर भी दक्षिण भारत में लोग हिन्दी भाषा के प्रति एक नकारात्मक मनोवृत्ति बनाए हुए है और उन्हें इस बात का डर हमेशा बना रहता है कि कहीं इस भाषा को हम पर न थोपा जाए |
(14) गन्ध पूर्वाग्रह – गन्ध के आधार पर भी पूर्वाग्रह होता है। मानव समूहों में विभिन्न मानव शरीर की गन्ध पायी जाती है उदाहरणार्थ- जापानी महिला होटल में कार्य करती थी वह एक गोरी जाति के व्यक्ति की शारीरिक गन्ध से इतनी प्रभावित हुई कि बेहोश हो गयी। ये प्रतिक्रिया सामान्य व्यक्ति में नहीं होती है किन्तु यह जरूर होता है कि एक गोरी जाति का व्यक्ति पीली या काली जाति के व्यक्तियों की शारीरिक गन्ध पसन्द न करे इसलिए वह उनको निम्न दृष्टि से देखें।
(15) विभिन्न मुखाकृति सम्बन्धी पूर्वाग्रह — विभिन्न जातियों, प्रजातियों एवं समूह के व्यक्तियों की मुखाकृति में भिन्नता होती है। जैसे- बंगाली, बिहारी आदि की मुखाकृति भिन्न होती है। एक बंगाली का सिर बड़ा होगा, मुख की बनावट ऐसी होगी कि वह दूसरे प्रान्तों के निवासियों से भिन्न प्रतीत होगा । पूर्वाग्रह का निर्माण इन्हीं विभिन्नताओं के आधार पर होता है।
(16) राष्ट्रीयता सम्बन्धी पूर्वाग्रह – विभिन्न राष्ट्रों में परस्पर अनेक प्रकार के भेद विकसित हो जाते हैं। इस कारण उनमें पूर्वाग्रह विकसित हो जाता है, जैसे- अमरीकन, रूसियों, जापानियों- ब्रिटेन में, भारत-पाकिस्तान, भारत-चीनियों से परस्पर पूर्वाग्रह निर्मित होता है।
(17) व्यक्तिगत रुचियाँ सम्बन्धी पूर्वाग्रह – व्यक्तिगत रुचियों के आधार पर भी पूर्वधारणाओं का निर्माण होता है। एक व्यक्ति किसी वस्तु से घृणा करता है तो वह इसी तरह की अन्य वस्तुओं तथा उस वस्तु से जिसमें अन्य व्यक्ति रुचि लेते हैं, उसके प्रति पूर्वधारणाओं का विकास कर लेता है।
(18) अक्षमता सम्बन्धी पूर्वाग्रह विकलांग तथा अपंग बालकों को असमर्थी बालक या अक्षम बालक भी कहा जाता है। कोठारी आयोग ने विकलांग बालकों को तीन भागों में बाँटा है—
(i) शारीरिक दृष्टि से विकलांग—अंधे, लंगड़े, गूंगे एवं बहरे बालक ।
(ii) बौद्धिक दृष्टि से विकलांग—जन्मजात अल्प तथा मन्द बुद्धि बालक ।
(iii) सामाजिक कारणों से विकलांग—वह बालक जो समाज में सही एवं समुचित प्रकार से परिष्कृत नहीं किए जाने के कारण असामान्य हो गए है।
“शारीरिक रूप से विकलांग बालक शारीरिक रूप से दोष ग्रसित व्यक्ति होते हैं। ऐसे व्यक्ति के किसी न किसी अंग में कोई असामान्य कमी होती है जिसके कारण वह सामान्य व्यक्ति की तरह दैनिक कार्य नहीं कर पाता।” विकलांग बालक अपने शारीरिक दोषों के कारण सामाजिक समायोजन नहीं कर पाते हैं।
इस तरह इन अक्षमता वर्ग के प्रति लोगों में प्रारम्भ से ही पूर्वाग्रह बना हुआ है कि अक्षमता वर्ग हमारे ऊपर बोझ है। अतः वह उन्हें हेय दृष्टि से देखते हैं या फिर सहानुभूति दृष्टि से देखते हैं। उनके मन में यह पूर्वाग्रह रहता है कि ये कार्य करने के योग्य नहीं हैं फलतः उनके प्रति वह नकारात्मक मनोवृत्ति बना लेते हैं जबकि शारीरिक रूप से विकलांग बालकों में अधिक बुद्धिमता पायी जाती है जो अत्यन्त मन्दबुद्धि के बालक होते हैं उन्हें वह देखना पसन्द नहीं करते हैं। अब सरकार के प्रयासों के कारण समाज के वर्गों ने इन पर ध्यान देना शुरू किया है।
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