पृष्ठपोषण कितने प्रकार का होता है ?

पृष्ठपोषण कितने प्रकार का होता है ?

अथवा
आंकलन में व्यक्तिगत तथा सामूहिक प्रतिपुष्टि से आप क्या समझते हैं ? स्पष्ट कीजिए।
                                अथवा
मौखिक पृष्ठपोषण और लिखित पृष्ठपोषण में अन्तर स्पष्ट कीजिये ।
उत्तर – पृष्ठपोषण के प्रकार (Types of Feedback) पृष्ठपोषण के प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं—
(1) संरचनात्मक पृष्ठपोषण (Constructive Feeback)— संरचनात्मक पृष्ठपोषण एक प्रकार का धनात्मक पृष्ठपोषण ही है। संरचनात्मक पृष्ठपोषण विशिष्ट सूचनाओं, विचार-विषय केन्द्रित और अवलोकन पर आधारित होता है। संरचनात्मक पृष्ठपोषण में दो विशेषताएँ पाई जाती हैं—प्रशंसा एवं आलोचना, ये दोनों ही किसी प्रदर्शन, प्रयास या परिणाम के बारे में व्यक्तिगत निर्णय होते हैं। प्रशंसा किसी व्यक्ति या वस्तु के पक्ष में निर्णय होता है जबकि आलोचना उस व्यक्ति या वस्तु के ‘पक्ष में प्रतिकूल निर्णय होता है। यह तथ्यात्मक अवलोकन पर आधारित होता है न कि व्यक्तिगत भावनाओं पर, यह विशिष्ट मुद्दों या मामले को सम्बोधित करता है। संरचनात्मक पृष्ठपोषण का उद्देश्य संशोधन या सुधार के माध्यम से एक व्यक्ति में उसके व्यवहार से सम्बन्धित जागरूकता विकसित करना होता है ।
( 2 ) मौखिक पृष्ठपोषण (Oral Feedback) मौखिक पृष्ठपोषण प्राय: शिक्षण के दौरान दिया जाता है। कभी-कभी इसे अधिक महत्व नहीं दिया जाता क्योंकि यह कम औपचारिक होता है किन्तु यह बहुत शक्तिशाली और प्रभावी उपकरण हो सकता है। यदि इसे पढ़ाने के समय सरलतापूर्वक और समयोजित तरीके से प्रदान किया जाए। उनसे यह पूछना कि “आप इस बारे में और क्या जानते हैं ?” या यह “मानदण्ड से कैसे सम्बन्धित है ?” तथा उनके अधिगम के बारे में उनके विचारों को प्रोत्साहित करना ।
मौखिक पृष्ठपोषण छात्रों को अधिगम में आगे बढ़ाने हेतु प्रभावशाली बल के रूप में कार्य करता है तथा यह पृष्ठपोषण अत्यन्त नियमित एवं अंतःक्रियात्मक रूप में दिया जाता है। यह प्रत्यक्ष (व्यक्तियों या समूहों को लक्षित) लेकिन अप्रत्यक्ष (दूसरों से सुनी बात और क्या कहा गया है पर प्रतिबिम्बित करना) भी होता है। प्रश्नोत्तर एवं संवाद शिक्षकों के लिए मौखिक पृष्ठपोषण प्रदान करने का प्रमुख साधन के रूप में कार्य करते हैं। इसके माध्यम से शिक्षक यह ज्ञात कर सकता है कि छात्रों को पहले से कितना ज्ञान है, उनके ज्ञान एवं समझ के मध्य अन्तराल की पहचान करने में और उन्हें इस योग्य बनाना कि वे अपने वर्तमान ज्ञान एवं अधिगम लक्ष्य के मध्य अन्तराल को समाप्त कर सकें।
( 3 ) लिखित पृष्ठपोषण (Written Feedback)– लिखित पृष्ठपोषण छात्रों को अपने अधिगम में आगे बढ़ने के लिए एक महत्त्वपूर्ण उपकरण के रूप में कार्य करता है। लिखित पृष्ठपोषण कार्य समाप्त होने के पश्चात् लिखित रूप में दिया जाता है। एक प्रभावी लिखित पृष्ठपोषण, छात्रों को उन्होंने तथा अच्छा किया है ? उनमें क्या सुधार की आवश्यकता है ? और अगले चरण के लिए सुझाव एक अभिलेख के रूप में प्रदान किया जाता है। छात्रों को लिखित पृष्ठपोषण प्रदान करने का एक लाभ यह होता है कि छात्र उससे प्रेरित होकर उस कार्य को बार-बार करने का प्रयत्न करते हैं क्योंकि मौखिक रूप में दिया गया पृष्ठपोषण छात्र भूल जाते हैं । “
( 4 ) व्यक्तिगत पृष्ठपोषण (Individual Feedback) – व्यक्तिगत पृष्ठपोषण छात्रों को कक्षा के बाहर व्यक्तिगत परिचर्चा या अन्य माध्यमों से प्रदान किया जाता है। इसका उपयोग सहकारी अधिगम में छात्रों की उपलब्धि को अभिप्रेरित करने, समूह के छात्रों के मध्य उपलब्धि की एकरूपता को बनाए रखने एवं उच्च उपलब्धि के प्रभाव को बनाए रखने में किया जा सकता है। व्यक्तिगत पृष्ठपोषण समूह पृष्ठपोषण से अधिक प्रभावशाली होता है। व्यक्तिगत पृष्ठपोषण में निम्नलिखित गुण होते हैं—
(i) व्यक्तिगत पृष्ठपोषण व्यक्तिगत, अभ्यान्तर एवं आधिकारिक रूप से प्रदान किया जा सकता है।
(ii) शिक्षक प्रत्येक छात्र को उसकी आवश्यकता, क्षमता एवं कमजोरियों से परिचित करा सकता है।
(iii) यह लिखने या टाइप करने की अपेक्षा अधिक शीघ्रता से प्रदान किया जा सकता है।
( 5 ) सामूहिक पृष्ठपोषण (Group Feedback) इस प्रकार के पृष्ठपोषण प्राय: समय-सारणिक रूप से ट्यूटोरियल सत्र के समय या जहाँ छात्र परियोजना या प्रायोगिक कार्यों में सामूहिक रूप से कार्य कर रहे हैं ऐसे स्थानों पर प्रदान किया जाता है। सामूहिक पृष्ठपोषण में निम्नलिखित गुण होते हैं—
(i) यह छात्रों की आलोचनात्मक व्याख्या करते समय व्यक्तिगत पृष्ठपोषण की अपेक्षा कम भयावह होता है।
(ii) छात्र समूह में अन्य लोगों को प्राप्त पृष्ठपोषण के माध्यम से अनेक बातें सीख सकता है। जैसे कि उन्हें किस समस्याओं का सामना करना पड़ा कार्य को पूर्ण करने में तथा उन्होंने किस सन्दर्भ में अपना कार्य किया है।
(iii) व्यक्तिगत योग्यताओं को तभी सूचित किया जाता है जब शिक्षक को यह आभास हो कि उस समूह में किसी छात्र की योग्यता को गुप्त रखा जा रहा है। छात्र की व्यक्तिगत योग्यताओं को उजागर करने का उद्देश्य केवल इतना ही होता है कि उस योग्यता का लाभ समूह को मिले तथा वह छात्र विशेष भी समूह में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर सकें ।
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