प्रतिपुष्टि से क्या आशय है ? शिक्षक प्रतिपुष्टि के विभिन्न प्रकारों को स्पष्ट कीजिए।
प्रतिपुष्टि से क्या आशय है ? शिक्षक प्रतिपुष्टि के विभिन्न प्रकारों को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
“पृष्ठपोषण मूल्यांकन के महत्त्वपूर्ण घटक के रूप में है” कैसे ? शिक्षक पृष्ठपोषण के प्रकारों का वर्णन कीजिए ।
अथवा
मौखिक पृष्ठपोषण एवं लिखित पृष्ठपोषण में अन्तर बताइये।
उत्तर – एक अच्छा पृष्ठपोषण किसी व्यक्ति की सम्बन्धित विशेषताओं की अपेक्षा प्रायः उसके व्यवहार या व्यवहार के परिणाम पर केन्द्रित होता है। यह व्यक्ति को अधिगम में आगे बढ़ने एवं सकारात्मक सोचने में सक्षम बनाता है। पृष्ठपोषण में समय का विशेष महत्त्व होता है। घटना की समाप्ति के बाद जितनी जल्दी संभव हो सके उतनी जल्दी पृष्ठपोषण प्रदान किया जाना चाहिए। घटना के समाप्त होने एवं पृष्ठपोषण के प्रदान किए जाने के मध्य यदि अन्तर होता है तो पृष्ठपोषण का प्रभाव कम हो जाता है। पृष्ठपोषण में समय की महत्ता के साथ-साथ उसका स्पष्ट होना भी जरूरी है। लिखित रूप में जो भी पृष्ठपोषण प्रदान किया जाए वह सुपाठ्य होना चाहिए तथा प्रयुक्त भाषा छात्रों के लिए व्यापक होनी चाहिए। मौखिक रूप से पृष्ठपोषण प्रदान करते समय शिक्षक को अपनी आवाज के उतार-चढ़ाव एवं शैली पर ध्यान देना चाहिए अन्यथा छात्र उसका गलत अर्थ भी निकाल सकते हैं ।
पृष्ठपोषण का अर्थ एवं परिभाषाएँ ( Meaning and Definitions of Feedback)—प्रत्येक व्यक्ति यह जानना चाहता है कि वह कैसा कार्य कर रहा है इसके लिए उस व्यक्ति को अपने बारे में तथा उसके द्वारा किए गए कार्य के बारे में सूचनाओं की आवश्यकता होगी, यदि वह अपने कार्य निष्पादन के बारे में सत्य ही जानना चाहता है। किसी व्यक्ति को उसके कार्य निष्पादन के विषय में समय-समय पर सूचित करना कि वह कैसा कर रहा है, पृष्ठपोषण कहलाता है।
छात्र के प्रदर्शन के अवलोकन के आधार पर शिक्षकों द्वारा प्रदान की गई प्रतिक्रिया ही पृष्ठपोषण है। पृष्ठपोषण द्विमार्गी प्रक्रिया है जिसमें प्रदाता प्राप्तकर्त्ता के मध्य सूचनाओं का आदान-प्रदान उनकी गतिविधियों, के अवलोकन के आधार पर किया जाता है।
बर्टोल और मार्टिन के अनुसार, “पृष्ठपोषण, प्राप्तकर्ता द्वारा प्राथमिक व्याख्यायित प्रतिक्रिया है।”
बोवी एवं अन्य के अनुसार, “पृष्ठपोषण, प्राप्तकर्त्ता द्वारा की गई अनुक्रिया है जो प्रदाता को यह बताती है कि सम्प्रेषण को सामान्य रूप से प्राप्त किया जा रहा है। “
पृष्ठपोषण की विशेषताएँ (Characteristics of Feedback) पृष्ठपोषण में निम्नलिखित विशेषताएँ होनी चाहिए—
(1) पृष्ठपोषण आंकलन प्रारूप का भाग होना चाहिए।
(2) पृष्ठपोषण रचनात्मक होना चाहिए ताकि छात्र अपने अभ्यास (Practice) में सुधार हेतु प्रोत्साहित हो सकें
(3) पृष्ठपोषण निश्चित समयान्तराल पर प्रदान करना चाहिए जिससे छात्र उसका प्रयोग अपने आगामी अधिगम एवं कार्य को और अच्छे ढंग से प्रस्तुत करने के लिए प्रोत्साहित हो सके।
(4) पृष्ठपोषण तत्कालिक (Prompt) रूप से प्रदान किया जाना चाहिए ताकि उन्हें याद रहे कि उन्हें पृष्ठपोषण किस लिए प्रदान किया गया है।
(5) पृष्ठपोषण मानदण्डों एवं मानकों की अपेक्षा प्रदर्शन की स्पष्ट व्याख्या के आधार पर न्यायोचित ढंग से किया जाना चाहिए ।
शिक्षक पृष्ठपोषण के प्रकार (Types of Teacher Feed back) – शिक्षक छात्रों को विभिन्न माध्यमों, जैसे—मौखिक रूप में विभिन्न शब्दों, शाबाश, बहुत अच्छे आदि का प्रयोग एवं उनके लिखित कार्य पर प्रशंसात्मक शब्दों या चिह्नों का प्रयोग, उनके सही उत्तरों को पुनः दोहराना आदि प्रकार से पृष्ठपोषण प्रदान करता है । प्रायः कक्षाकक्ष में शिक्षक द्वारा छात्रों को दिए जाने वाले पृष्ठपोषणों को दो प्रकार लिखित एवं मौखिक में विभाजित किया जाता है।
(1) मौखिक पृष्ठपोषण (Oral Feedback) – कक्षा- कक्ष में जब भी मौखिक पृष्ठपोषण की चर्चा की जाएगी तो उसके अन्तर्गत उन सभी प्रकार के कथनों को सम्मिलित किया जाएगा जो छात्र के अधिगम में सुधार हेतु प्रयोग किए जाते हैं। मौखिक पृष्ठपोषण शिक्षक व छात्रों तथा छात्रों-छात्रों के मध्य स्वाभाविक रूप से होने वाली शाब्दिक अन्तःक्रिया का भाग है। हैटि एवं गैने के अनुसार, मौखिक पृष्ठपोषण समूह केन्द्रित या एक से अधिक व्यक्ति केन्द्रित पृष्ठपोषण हो सकता है। सामूहिक । रूप से पृष्ठपोषण तब प्रदान किया जाता है जब शिक्षक द्वारा सामान्य । गलतियों को एकत्रित किया जाये।
मौखिक पृष्ठपोषण कई प्रकार से प्रदान किया जाता है जो कि निम्नलिखित हैं—
(i) सकारात्मक पृष्ठपोषण (Positive Feedback)– कक्षाकक्ष में मौखिक पृष्ठपोषण को वर्गीकृत करने के अनेक तरीके हैं। अनुसंधानकर्त्ताओं के अनुसार एक पृष्ठपोषण तभी सार्थक होता है जब वह प्रतिक्रिया के अनुरूप दिया जाए, जैसे—सही प्रतिक्रिया (Response) पर सकारात्मक टिप्पणी (Positive Comments) करना या गलत प्रतिक्रिया को सही करने के कुछ सुधारात्मक पृष्ठपोषण। जब मौखिक पृष्ठपोषण सकारात्मक रूप में, जैसे—’अच्छा’, ‘ठीक’ है ‘हाँ’ और ‘अच्छा किया’ आदि रूप में प्राप्त होता है तो यह सही प्रतिक्रिया को वैध करता है। इसके साथ सकारात्मक पृष्ठपोषण अधिगमकर्त्ता को अधिगम हेतु सहायता प्रदान करता है तथा अधिगम को स्थिरता प्रदान करने के लिए दृढ़ता से प्रेरित करता है ।
(II) सुधारात्मक पृष्ठपोषण (Corrective Feedback) – छात्र जब गलती करते हैं तब शिक्षकों द्वारा दिया गया पृष्ठपोषण सुधारात्मक पृष्ठपोषण कहलाता है। अनेक विद्वानों के अनुसार छात्रों की गलतियों पर दी गई प्रतिक्रिया ही सुधारात्मक पृष्ठपोषण है। ये पृष्ठपोषण दो रूपों प्रत्यक्ष (Explicitly) या परोक्ष (Implicitly) में प्रदान किए जाते हैं। प्रत्यक्ष रूप से जब सुधारात्मक पृष्ठपोषण प्रदान किया जाता है तो शिक्षक छात्रों को सीधे बता देता है कि उनके द्वारा बताया गया वाक्य गलत है इसके साथ ही वे इसका कारण भी बताते हैं कि छात्र से ” क्या” “कैसे” गलती हुई है।
परोक्ष तरीके से जब पृष्ठपोषण दिया जाता है तो शिक्षक छात्रों की गलतियों में सुधार उनकी गलतियों को दोहराकर या उनसे स्पष्टीकरण मांग कर करता है। प्रत्यक्ष पृष्ठपोषण के अन्तर्गत व्याकरण का स्पष्टीकरण या प्रत्यक्ष सुधार को सम्मिलित किया जाता है जबकि अपरोक्ष पृष्ठपोषण के अन्तर्गत प्रतिक्रिया में आकस्मिक त्रुटियाँ, जैसे- स्पष्टीकरण, जाँच जो कि छात्र के सम्भाषण को बिना बाधित किए हुए उनके कथन को पुन: संगठित करना, के संशोधन को सम्मिलित किया जाता है।
मौखिक पृष्ठपोषण के गुण (Merits of Oral Feedback) मौखिक पृष्ठपोषण के गुण निम्नलिखित हैं—
(1) मौखिक पृष्ठपोषण के माध्यम से लिखित पृष्ठपोषण की अपेक्षा अधिक सूचना प्रदान की जा सकती है क्योंकि इसमें शिक्षक शब्दों के साथ-साथ चेहरे के हाव-भाव आवाज का उतार-चढ़ाव आदि का भी प्रयोग करता है।
(2) मौखिक पृष्ठपोषण देते समय शिक्षक छात्रों की प्रतिक्रिया का अवलोकन कर उसके अनुसार अपने दृष्टिकोण (Approach) में परिवर्तन कर सकता है।
(3) इसके माध्यम से तत्काल पृष्ठपोषण प्रदान किया जा सकता है। इसलिए यह अत्यधिक प्रभावी है।
(4) मौखिक सम्प्रेषण पूरी कक्षा को सामूहिक रूप से प्रदान किया जा सकता है।
(5) मौखिक पृष्ठपोषण प्रदान करते समय शिक्षक अपने शब्दों के प्रभाव का आंकलन कर सकता है और आवश्यकता पड़ने पर उसका स्पष्टीकरण बच्चों को दे सकता है।
मौखिक पृष्ठपोषण के दोष (Demerits of Oral Feedback)— मौखिक पृष्ठपोषण के दोष निम्नलिखित हैं—
(1) इसका प्रभाव क्षणिक होता है।
(2) प्रत्येक छात्र को व्यक्तिगत रूप से पृष्ठपोषण देने में समय अधिक लगता है।
(3) कक्षा का आकार यदि बड़ा होता है तो शिक्षक के लिए यह याद रखना कि किस छात्र को क्या पृष्ठपोषण दिया है, बहुत कठिन हो जाता है।
(4) सामूहिक रूप से मौखिक पृष्ठपोषण देने में कभी-कभी छात्रों में हीनता की भावना भी आ सकती है।
(5) प्रत्येक छात्र को अलग-अलग मौखिक पृष्ठपोषण देना शिक्षक के लिए बड़ा चुनौतीपूर्ण कार्य होता है।
( 2 ) लिखित पृष्ठपोषण (Written Feedback)— मौखिक पृष्ठपोषण किसी कक्षा-कक्ष व्यवस्था का सामान्य भाग होता है तथा सामान्य रूप से घटित होता है। लिखित पृष्ठपोषण को विकल्प के रूप में प्रयोग किया जाता है क्योंकि यह मौखिक पृष्ठपोषण से थोड़ा भिन्न होता है। लिखित पृष्ठपोषण में छात्रों को पृष्ठपोषण लिखित टिप्पणी के रूप में या विभिन्न प्रकार के सुधार के माध्यम से प्रदान किया जाता है। इससे छात्रों के लिखित कार्य हेतु दिए गए पृष्ठपोषणों को सम्मिलित किया जाता है। इस प्रकार के पृष्ठपोषण छात्रों को तत्कालिक रूप से नहीं प्रदान किए जाते हैं बल्कि शिक्षक सा कर कि यह किस प्रकार और क्या प्रदान किया जाए।
छात्रों को जब लिखित पृष्ठपोषण प्रदान करना होता है तो शिक्षक इसके लिए विभिन्न रणनीतियों का प्रयोग करता है। अनुसंधानकर्त्ता के अनुसार दो प्रमुख रणनीतियाँ निम्न हैं—
(i) प्रत्यक्ष पृष्ठपोषण (Direct Feedback)
(ii) अप्रत्यक्ष पृष्ठपोषण (Indirect Feedback)
प्रत्यक्ष पृष्ठपोषण से तात्पर्य शिक्षक द्वारा छात्रों की त्रुटियों एवं गलतियों को प्रत्यक्ष रूप से प्रदान करने से है तथा इसके अन्तर्गत शिक्षक त्रुटि वाले शब्द, वाक्यांश या रूपिम को क्रॉस आउट करता है और उनका रूप छात्रों को प्रदान करना । प्रत्यक्ष पृष्ठपोषण में छात्रों को स्पष्ट रूप से बता दिया जाता है कि क्या गलत है तथा उसे शुद्ध रूप में कैसे लिखा जाएगा जिसका तात्पर्य यह है कि छात्रों को स्वंय त्रुटियों को पहचानने एवं उन्हें सही करने की आवश्यकता नहीं होती है। दूसरी ओर लेखन में अप्रत्यक्ष त्रुटि सुधार के अन्तर्गत त्रुटियों को गोला करना एवं रेखांकित करना सम्मिलित किया जाता है। अप्रत्यक्ष पृष्ठपोषण को पुनः दो मार्गों सांकेतिक अप्रत्यक्ष पृष्ठपोषण (Coded Indirect Feedback) एवं असांकेतिक अप्रत्यक्ष पृष्ठपोषण (Uncoded Indirect Feedback) में विभाजित किया जाता है। सांकेतिक अप्रत्यक्ष में त्रुटियों को रेखांकित कर दिया जाता है और शिक्षक छात्रों को त्रुटि पहचानने में सहायता करने हेतु उस पर एक निर्धारित क्रम में संकेत/प्रतीक बना देता है । असांकेतिक अप्रत्यक्ष पृष्ठपोषण में शिक्षक त्रुटियों को रेखांकित या उन पर गोला तो बनाता है किन्तु उसमें ऊपर त्रुटि पहचानने हेतु कोई संकेत या प्रतीक नहीं बनाता है।
लिखित पृष्ठपोषण के लाभ (Advantages of Written Feedback)— लिखित पृष्ठपोषण के लाभ निम्नलिखित हैं—
(1) यह पृष्ठपोषण छात्रों को निजी व व्यक्तिगत रूप से तथा जिस कार्य से सम्बन्धित है सीधे उसी कार्य हेतु प्रदान किया जाता है।
(2) यह पृष्ठपोषण प्रदान करने का प्रामाणिक एवं विश्वसनीय रूप माना जाता है।
(3) यह बाहरी समीक्षक (External Reviewers) के लिए उपयोगी साक्ष्य के रूप में कार्य करता है ।
(4) इसका प्रभाव दीर्घकाल तक रहता है।
(5) पृष्ठपोषण प्रदान करने हेतु एक शब्द का प्रयोग बार-बार किया जा सकता है।
लिखित पृष्ठपोषण के दोष Feedback) (Disadvantages of Written लिखित पृष्ठपोषण के दोष निम्नलिखित हैं—
(1) लिखित रूप में दिया गया पृष्ठपोषण यदि स्पष्ट रूप से नहीं लिखा गया है तो इसे समझने में कठिनाई होती है।
(2) जब कक्षा का आकार बड़ा होता है तो प्रत्येक के लिए पृष्ठपोषण लिखना अत्यन्त जटिल कार्य हो जाता है।
(3) इसमें समय अधिक व्यय होता है।
(4) छात्रों कार्यों एवं उन पर शिक्षक द्वारा दी गई टिप्पणी के की कॉपी के बिना लिखित पृष्ठपोषण नहीं प्रदान किया जा सकता है।
(5) शिक्षक द्वारा दिए गए पृष्ठपोषण पर छात्रों द्वारा की प्रतिक्रिया का आंकलन नहीं किया जा सकता है।
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